Last Updated: Tuesday, February 5, 2013, 20:44
नई दिल्ली : गैर-सरकारी संगठन आक्सफेम इंडिया, क्रिश्चियन एड तथा सेंटर फोर बजट एंड गवर्नेंस एकाउंटेबिलिटी (सीबीजीए) ने कहा है कि भारत में बड़े अमीरों पर अधिक कर लगाना चाहिए तथा प्रत्यक्ष संसाधनों से कर राजस्व बढाते हुए कर-जीडीपी अनुपात बढाना चाहिए। इससे समावेशी विकास के लिये अधिक धन संसाधन जुटाने में मदद मिलेगी।
इन संगठनों ने 2013-14 के आम बजट के लिए अपने प्रस्तावों में यह सुझाव दिए हैं। संगठनों का कहना है, वित्त मंत्रालय द्वारा देश की कर प्रणाली में प्रगतिशील ढांचे के अभाव पर ध्यान दिए जाने की जरुरत है। मंत्रालय को शिक्षा, स्वास्थ्यचर्या, खाद्य सुरक्षा के वित्तपोषण के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने होंगे। इन्होंने यहां एक संगोष्ठी में कहा कि धनवानों पर अधिक कर लगाकर, संपत्ति कर का हिस्सा बढाकर तथा विरासत कर को बहाल कर प्रत्यक्ष कर संग्रह बढाया जा सकता है।
आक्सफेम की मुख्य कार्याधिकारी निशा अग्रवाल ने कहा, अन्य देश प्रत्यक्ष कराधान पर अधिक निर्भर करते हैं जिसके तहत अधिक कर चुकाने में सक्षम लोगों से अधिक राजस्व लिया जाता है। उन्होंने कहा कि भारत में जीडीपी का 15.5 प्रतिशत ही कर राजस्व के रूप में आता है जो कि जी20 देशों में सबसे कम है। इसे बढ़ाकर कम से कम 20 प्रतिशत किया जाना चाहिये।
इसी तरह सीबीजीए ने अंतरराष्ट्रीय कराधानों में त्रुटियों की ओर ध्यान आकषिर्त करते हुए कहा है कि दोहरे कराधान समझौते पर फिर से विचार होना चाहिए। सीबीजीए के निदेशक सुब्रत दास ने कहा कि सरकार को विशेषकर संपत्ति व उत्तराधिकार कर सहित प्रत्यक्ष करों को बढाना चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, February 5, 2013, 20:44