Last Updated: Tuesday, December 27, 2011, 13:54
नई दिल्ली : छोटे एवं कुटीर उद्योगों में नकदी के संकट और भुगतान में विलंब की समस्या से निपटने के उददेश्य से लाए गए एक विधेयक को संसद ने मंगलवार को मंजूरी दे दी। राज्यसभा ने मंगलवार को आढ़ती विनियमन विधेयक, 2011 को ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है।
इसके पूर्व विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए वित्त राज्य मंत्री नमो नारायण मीणा ने कहा कि देश के उद्योगों को नियमित करने के उददेश्य से रिजर्व बैंक को अधिकार देने का प्रावधान इस विधेयक में किया गया है।
भुगतान में देरी की समस्या के बारे में विभिन्न सदस्यों द्वारा जतायी गयी चिंता पर मीणा ने कहा कि सरकार इस मामले में गंभीर है और उसे दूर करने के लिए इस विधेयक में उचित प्रावधान किए गए हैं।
मीणा ने चर्चा के दौरान कुछ सदस्यों द्वारा लगाए गए इस आरोप को गलत बताया कि इस विधेयक के जरिए बड़ी कंपनियों के ऋणों की पुनर्रचना की जाएगी। उन्होंने कहा कि विधेयक के प्रावधानों में छोटे एवं मझोले उद्यमियों को ऋण के मामले में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि सरकार का मानना है कि छोटे एवं मझोले उद्यमियों सहित देश के व्यवसायियों के समक्ष नकदी की समस्या नहीं रहे और उनके उत्पादन का चक्र प्रभावित नहीं हो।
इसके पहले चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि भारत में ऋण पर ब्याज की दरें काफी अधिक हैं जिससे छोटे व्यापारियों को विशेष रूप से मुश्किल होती है। उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि औद्योगिक उत्पादन ऋणात्मक हो गया है और राजस्व संग्रह में भी कमी दर्ज की गयी है। उन्होंने कहा कि बाहर से आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में कमी आ रही है वहीं भारत से बाहर जाने वाले एफडीआई में भारी वृद्धि हुई है। इसका अर्थ यह है कि बाहर के लोग भारत में निवेश करने से बचना चाहते हैं जबकि यहां के लोग बाहर निवेश को तरजीह दे रहे हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि छोटे और मध्यम उद्योगों को बड़े उद्योगों के मुकाबले काफी कम सुविधाएं मिल रही हैं। इसके अलावा छोटे और मध्यम उद्यमियों को भ्रष्टाचार का भी सामना करना पड़ता है। कांग्रेस के रामचंद्र खूंटिया ने कहा कि विधेयक में स्थायी समिति की सिफारिशों को स्वीकार किया गया है और इस विधेयक से पांच करोड़ लोगों को फायदा होगा।
पंजाब में आलू किसानों की समस्या का जिक्र करते हुए बसपा के नरेंद्र कुमार कश्यप ने मछली उत्पादकों, सेब किसानों और गुड़ तैयार करने वाले लोगों की चिंताओं पर भी ध्यान दिए जाने का आग्रह किया वहीं माकपा के तपन कुमार सेन ने आरोप लगाया कि सरकार की नीति बड़े उद्योगों के पक्ष में है और छोटे एवं मध्यम श्रेणी के उद्यमियों ेके हितों की अनदेखी की जा रही है। सपा के महेंद्र मोहन ने कहा कि प्रावधानों को उचित तरीके से लागू किए जाने पर जोर दिया जाना चाहिए। उन्होंने विभिन्नों कानून को भी प्रभावी बनाए जाने की जरूरत बतायी।
बसपा के गंगाचरण, भाजपा के बीपी सिंह बदनौर, तृणमूल कांग्रेस के डी बंदोपाध्याय, कांग्रेस के ईएमएस नचियप्पन, मनोनीत अशोक गांगुली ने भी चर्चा में भाग लिया। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, December 27, 2011, 19:24