Last Updated: Monday, October 1, 2012, 16:03
वाशिंगटन: अमेरिका की सॉफ्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट कारपोरेशन ने अमेरिकी प्रशासन को को नयी श्रेणी के एच1बी वीजा के लिए 10,000 डालर (5लाख रुपये से अधिक) और स्थायी निवास अथवा ग्रीन कार्ड के लिए 15,000 डालर (7.5 लाख रुपये से अधिक) फीस रखने की सलाह दी है। इससे भारतीय आईटी कंपनियां सबसे अधिक प्रभावित होंगी।
कंपनी ने कहा है कि इससे पांच अरब डालर जुटाया जा सकता है।
माइक्रोसॉफ्ट की योजना के मुताबिक नयी श्रेणी के एच1बी और ग्रीन कार्ड सालाना 20,000 जारी किए जा सकते हैं। इन्हें केवल स्टेम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) तक सीमित रखा जाए।
कंपनी के मुताबिक इससे जुटाए गए धन का इस्तेमाल ‘स्टेम’ शिक्षा कार्यक्रमों में किया जा सकता है।
गौरतलब है कि भारतीय साफ्टवेयर एवं सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के इंजीनियर अमेरिका में काम के लिए ज्यादातर एच1बी वीजा पर ही जाते हैं। यदि इस प्रस्ताव को संसद द्वारा स्वीकार किया गया तो सबसे अधिक भारतीय आईटी कंपनियां प्रभावित होंगी।
माइक्रोसॉफ्ट ने यह प्रस्ताव ऐसे समय में दिया है जबकि यहां यात्रा पर आने वाले विदेश मंत्री एस एम कृष्णा द्वारा अमेरिका की विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के समक्ष एच1बी वीजा में बढ़ोतरी के मुद्दे को उठाए जाने की संभावना है।
इस प्रस्ताव का खुलासा पिछले हफ्ते माइक्रोसॉफ्ट के विधिक और कारपोरेट मामलों के सलाहकार और कार्यकारी उपाध्यक्ष बर्ड स्मिथ ने वाशिंगटन स्थित एक शोध संस्थान के कार्यक्रम के दौरान किया था।
माइक्रोसॉफ्ट में 6,000 रिक्तियां हैं जिसमें से 3,400 रोजगार अनुसंधानकर्ताओं, डेवलपर और इंजीनियरों के लिए है।
उन्होंने ब्रुकिंग इंस्टीट्यूट में कहा, ‘बहुत कम अमेरिकी विद्यार्थी है जिनके पास नवप्रवर्तन आधारित उद्योगों में रोजगार पाने के लिए जरूरी शिक्षा का स्तर है।’ (एजेंसी)
First Published: Monday, October 1, 2012, 16:03