Last Updated: Sunday, March 24, 2013, 13:19

नई दिल्ली : महारत्न कंपनी कोल इंडिया लि. (सीआईएल) तथा उसकी 7 सहायक इकाइयों द्वारा दो साल में उत्पाद शुल्क अपवंचना का मामला सामने आया है। राजस्व विभाग के अधिकारियों ने कहा कि इसके लिए कंपनी से करीब 750 करोड़ रुपए का शुल्क वसूला गया है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि खुफिया सूचना के आधार पर केंद्रीय उत्पाद खुफिया महानिदेशालय ने पिछले महीने कोल इंडिया और उसकी कोयला उत्पादक अन्य इकाइयों के खिलाफ जांच शुरू की थी। जांच में यह तथ्य सामने आया कि उनके द्वारा उत्पाद शुल्क की अपवंचना की जा रही है।
जांच में यह तथ्य सामने आया कि कोल इंडिया की 7 सहायक इकाइयां उनके द्वारा उपभोक्ताओं को बेचे जाने वाले कोयले के निर्धारण मूल्य पर रायल्टी तथा ‘स्टोइंग उत्पाद शुल्क’ (पुनर्वास तथा खदानों से संबद्ध बुनियादी ढांचा विकास के लिये लिया जाने वाला शुल्क) ले रही हैं। लेकिन उपभोक्ताओं से जुटाया गया यह शुल्क सरकार के पास जमा नहीं कराया गया था।
सूत्रों ने बताया कि पिछले दो साल में इस तरह की उत्पाद शुल्क अपवंचना की राशि अनुमानत: 750 करोड़ रुपये बैठती है। इस बारे में कोल इंडिया के प्रवक्ता तथा निदेशक वित्त से कई बार संपर्क का प्रयास किया गया, लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला।
छोड़ी गई खानों के ढांचागत विकास तथा पुनर्वास आदि पर 20 रुपये प्रति टन के हिसाब से ‘स्टोइंग उत्पाद शुल्क’ लगता है। वहीं दूसरी ओर रॉयल्टी दर कोयला खदानों के हिसाब से 90 से 250 रुपये टन के बीच है।
फिलहाल कोयले के निर्धारणीय मूल्य पर 6 प्रतिशत का उत्पाद शुल्क लगता है। जांच के दौरान राजस्व विभाग के अधिकारियों ने सातों सहायक इकाइयों के खातों की जांच की।
सूत्रों ने बताया कि कोल इंडिया के अधिकारियों ने सहायक इकाइयों पर उत्पाद शुल्क की देनदारी की बात स्वीकार की है। उन्होंने कहा कि सहायक इकाइयों ने पिछले सप्ताह दो वित्त वर्षों के उत्पाद शुल्क के रूप में केंद्र सरकार को 746 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। (एजेंसी)
First Published: Sunday, March 24, 2013, 13:19