Last Updated: Friday, November 4, 2011, 11:02
नई दिल्ली: खाद्य मंत्रालय राज्य सरकारों और कुछ अन्य अंशधारकों द्वारा सुझाये गये कुछ परिवर्तनों को शामिल करने के बाद अगले सप्ताह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक के मसौदे को विचार के लिए कानून मंत्रालय के पास भेज सकता है।
खाद्य सचिव बी सी गुप्ता ने कहा है कि मंत्रालय द्वारा वितरित किये गये खाद्य विधेयक के मसौदे के बारे में राज्य सरकारों की टिप्पणियों प्राप्त हुई हैं। उन्होंने कहा कि हम मसौदा विधेयक में कुछ परिवर्तन कर रहे हैं उसके बाद यह विधेयक विचार के लिए कानून मंत्रालय को भेजा जायेगा।
खाद्य मंत्री के वी थामस ने हाल ही में घोषणा की थी कि उनका मंत्रालय 20 नवंबर तक मंत्रिमंडल की मंजूरी प्राप्त करने का लक्ष्य कर रहा है जिसके बाद इस विधेयक को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जायेगा जो 22 नवंबर से शुरु हो रहा है।
पिछले सप्ताह थामस ने संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ प्रस्तावित बदलावों के बारे में विचार विमर्श किया था।
गुप्ता ने कहा कि ये परिवर्तन आम घरों तथा गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं जैसे विशेष श्रेणी के लोगों को लाभ पहुंचायेंगे।
प्रमुख परिवर्तनों के तहत प्रस्तावित विधेयक में अर्हता के संदर्भ में न्यूनतम शब्द को जोड़ा जाना है ताकि सरकार के पास यह विकल्प रहे कि अधिक खाद्यान्न उत्पादन होने की स्थिति में आम घरों की श्रेणी में आने वाले लोगों को प्रति व्यक्ति प्रति माह तीन किग्रा से अधिक सब्सिडीप्राप्त खाद्यान्न दिया जा सके।
मसौदा विधेयक का मौजूदा प्रावधान आम घरों की श्रेणी में आने वालों को केवल तीन किग्रा चावल और गेहूं आपूर्ति करने की सीमा निर्धारित करता है जिसकी कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य के 50 प्रतिशत से अधिक न हो।
बाकी बदलावों में से केवल सार्वजनिक वितरण प्रणाली का आधुनिकीकरण कर चुके राज्यों में आम घरों के लिए लाभ का विस्तार करने की शर्त को हटाना शामिल है।
मौजूदा मसौदा केवल उन्हीं राज्यों में आम घरों को सुविधा मुहैया कराने की बात करता है जहां पीडीएस का आधुनिकीकरण किया गया है। अब ये लाभ सभी राज्यों को मुहैया कराया जायेगा। इससे आगे गर्भवती और बच्चों को दूध पिलाने वाली मां को छह महीने के लिए 1,000 रुपये प्रति माह की नकद सहायता पूरे देश में उपलब्ध करायी जायेगी जबकि पहले इसे केवल 52 जिलों में लागू किया जाना था।
प्रस्तावित विधेयक के कारण सरकारी खजाने पर सब्सिडी के रूप में प्रतिवर्ष 1,00,000 करोड़ रुपये का बोझ आयेगा।
(एजेंसी)
First Published: Friday, November 4, 2011, 16:32