Last Updated: Thursday, September 5, 2013, 16:54
नई दिल्ली : कृष्णा गोदावरी बेसिन स्थित डी6 क्षेत्र से गैस की आपूर्ति 4.2 डालर के पुराने दाम पर करने के लिए दबाव बनाने की सरकार की संभावित पहल को रिलायंस ने ‘अवैध’ बताते हुए कहा कि यह कदम क्षेत्र के अनुबंध समझौते के खिलाफ और तेल एवं गैस क्षेत्र में निजी निवेश को खत्म करने के समान होगा।
सरकार ने अगले साल एक अप्रैल से देश में पैदा होने वाली प्राकृतिक गैस का दाम बढ़ाकर करीब दोगुना करने को मंजूरी दी है। बहरहाल, पेट्रोलियम मंत्रालय एक प्रस्ताव तैयार कर रहा है, जिसमें केजी डी6 क्षेत्र के डी1 और डी3 तथा एमए कुओं से निकलने वाली गैस के लिए तब तक 4.2 डालर प्रति दस लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट (एमबीटीयू) का दाम दिया जायेगा जब तक कि यह साबित नहीं हो जाता कि क्षेत्र से लक्ष्य के मुकाबले कम गैस का उत्पादन भूगर्भीय कारणों से हुआ।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री एम. वीरप्पा मोइली को 3 सितंबर को कड़े शब्दों में लिखे पत्र में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने कहा है कि उत्पादन भागीदारी अनुबंध (पीएससी) के तहत सांकेतिक उत्पादन आंकड़े क्षेत्र के ठेकेदार के लिये बाध्यकारी नहीं है। रिलायंस के कार्यकारी निदेशक पीएमएस प्रसाद ने लिखा है ‘न तो पीएससी और न ही क्षेत्र विकास योजना या फिर निवेश प्रस्ताव में कहीं भी ऐसा कुछ है कि उत्पादन में आने वाली कमी को समझौते का उल्लंघन माना जाए और इसके लिये जुर्माना लगाया जाना चाहिये।
प्रसाद ने कहा है कि रिलायंस कई मौकों पर सरकार से कहा चुका है कि वह उद्योग के जाने माने किसी तीसरे पक्ष को स्वतंत्र जांच के लिए नियुक्त कर सकता है। ऐसे तकनीकी विशेषज्ञ क्षेत्र के प्रदर्शन को देखें और पता लगाएं कि क्या कंपनी ऊंचा दाम पाने के लिए कहीं गैस की जमाखोरी तो नहीं कर रही है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, September 5, 2013, 16:54