Last Updated: Thursday, October 18, 2012, 17:27

नई दिल्ली : केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने योजना आयोग के साथ मिलकर एक ऐसा प्रस्ताव तैयार किया जिसके तहत राज्य सरकारें ग्रामीण विकास की किसी एक योजना का पैसा दूसरी योजना या किसी नई योजना पर भी खर्च करने के लिए आजाद होंगी।
ग्रामीण विकास फ्लेक्जी (अनुनेय) कोष 40,000 करोड़ रुपए का होगा और यह अगले वित्त वर्ष से राज्यों के लिए उपलब्ध होगा और राज्य अप्रैल 2013 से मार्च 2017 यानी 12वीं योजना अवधि के आखिर तक इसका लाभ ले सकेंगे। ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने यहां योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया के साथ संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, `पहली बार हम 40,000 करोड़ रुपए का कोष स्थापित कर रहे हैं जो सभी राज्यों के लिए उपलब्ध होगा। इसके तहत राज्य ग्रामीण विकास योजनाओं पर कुछ राशि अपनी मर्जी के हिसाब से खर्च कर सकेंगे।`
उन्होंने कहा कि यह कोष अगले वित्त वर्ष से मार्च 2017 तक राज्यों के लिए उपलब्ध होगा। इसमें केंद्र व राज्य का अनुपात 70:30 का रहेगा और इसमें केंद्र 28,000 करोड़ रुपए का योगदान करेगा। आहलूवालिया ने कहा, `यह केवल अगले साल से ही परिचालन में आएगा। मेरा विचार है कि हमें अधिकतम लचीलापन देना चाहिए। लेकिन यह ऐसा मुद्दा है जो अंतत: मंत्रिमंडलीय मंजूरी के लिए जाएगा।` मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि यह फ्लेक्सी फंड राज्य की प्राथमिकताओं के आधार पर बेहतर लक्षित परियोजनाएं सुनिश्चित करेगा।
अहलुवालिया ने कहा, ‘राज्य सरकारें बहुत समय से मांग करती आ रही है कि योजनाओं का पैसा खर्च करने के संबंध में नियमों को लचीला बनाया जाए।’ ग्रामीण विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि अनुनेय कोष का पैसा पर्यावरण को बचाने वाली, पंचायती राज्य संस्थाओं को शक्ति प्रदान करने वाली अथवा ग्रामीण बुनियादी सुविधाओं के विस्तार और सार्वजनिक सेवाओं में सुधार से जुड़ी अभिनव परियोजनाओं के लिए होगा। (एजेंसी)
First Published: Thursday, October 18, 2012, 17:27