Last Updated: Thursday, March 28, 2013, 19:26

नई दिल्ली : देश का चालू खाते का घाटा चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्तूबर-दिसंबर 2012) में बढ़कर सकल घरेलू उत्पादन यानी जीडीपी का 6.7 प्रतिशत हो गया। यह इस चालू खाते के घाटे का अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है।
मुख्यत: बढ़ते व्यापार घाटे यानी निर्यात की तुलना में अयात में अधिक कमी के कारण इसमें बढोतरी दर्ज की गई है। चालू खाते का घाटा नकद विदेशी मुद्रा के प्रवाह में अंतर को दर्शाता है। भारतीय रिजर्व बैंक ने भुगतान संतुलन पर अपनी रपट में कहा है, `चालू खाते का घाटा जुलाई सितंबर, 12 में 5.4 प्रतिशत था जो मुख्य रूप से बड़े व्यापार घाटे के कारण तीसरी तिमाही में जीडीपी का 6.7 प्रतिशत हो गया।`
रपट में कहा गया है कि दिसंबर 2012 को समाप्त आलोच्य तिमाही में वस्तुओं के निर्यात में कोई उल्लेखनीय वृद्धि देखने को नहीं मिली वहीं आयात 9.4 प्रतिशत बढ़ा। आयात में यह वृद्धि मुख्य रूप से तेल एवं गैस आयात में बढ़ोतरी के कारण हुई। रिजर्व बैंक ने कहा है कि व्यापार घाटा तीसरी तिमाही में बढ़कर 59.6 अरब डालर हो गया जो एक साल पहले समान तिमाही में 48.6 अरब डालर था। उल्लेखनीय है कि वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने अपने बजट भाषण में भी बढ़ते चालू खाते के घाटे पर चिंता जताई थी। (एजेंसी)
First Published: Thursday, March 28, 2013, 19:26