`चिट फंड कारोबार पर सेवाकर नहीं लगाया जा सकता`

`चिट फंड कारोबार पर सेवाकर नहीं लगाया जा सकता`

नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने चिट-फंड कारोबार पर सेवाकर लगाने की केंद्र की अधिसूचना यह कहते हुए रद्द कर दी कि भागीदारों के बीच चिट राशि की नीलामी करने वाले एक फोरमैन का कार्य वित्त कानून में उपलब्ध ‘सेवा’ की परिभाषा के दायरे में नहीं आता है।

न्यायमूर्ति बी.डी. अहमद और न्यायमूर्ति आर.वी. ईश्वर की पीठ ने अपने फैसले में कहा, ‘‘सांविधिक प्रावधानों की विवेचना करने पर हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि चिट.फंड कारोबार में फोरमैन द्वारा दी गई सेवाओं पर कोई सेवाकर नहीं लगाया जा सकता।’’ पीठ ने कहा, ‘‘भारत सरकार के वित्त मंत्रालय :राजस्व विभाग: द्वारा 20 जून, 2012 को जारी अधिसूचना रद्द की जाती है।’’ दिल्ली उच्च न्यायालय का यह फैसला दिल्ली चिट.फंड एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका पर आया जिसमें वित्त कानून, 1994 के तहत एक प्रावधान को रद्द करने का अनुरोध किया गया था। चिट-फंड कारोबार को नए कानून के तहत करयोग्य बनाने के लिए इस प्रावधान को एक जुलाई, 2012 को लागू किया गया था।

पीठ ने संबंधित मामले में कानून के प्रावधानों पर विचार करते हुये कहा ‘‘चिट व्यावसाय में भाग लेने वालों द्वारा अपना योगदान धन के किसी एक रूप में ही दिया जाता है, जैसा कि वित्त अधिनियम की धारा 65बी.33 में परिभाषित किया गया है।’’ पीठ ने आगे कहा ‘‘इस लिहाज से यह एक तरह से धन का लेनदेन हुआ।’’ इस आधार पर कि चिट व्यवसाय में फारमैन की सेवायें सेवाकर योग्य है, सेवा कर नहीं लगाया जा सकता। (एजेंसी)

First Published: Saturday, April 27, 2013, 20:57

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