चिटफंड कंपनियों पर सेबी की नजर

चिटफंड कंपनियों पर सेबी की नजर

कोलकाता : पूंजी बाजार नियामक सेबी ने देश में विशेषकर पूर्वी क्षेत्र में अनियमित रूप से फैल रहे चिटफंड कारोबार पर चिंता व्यक्त करते हुए लोगों को निवेश पर उंचे प्रतिफल के वायदों की लालच के प्रति सावधान किया है। बाजार नियामक ने आज कहा कि वह ऐसी सूचीबद्ध कंपनियों पर भी कार्रवाई करेगा जो निर्धारित समय सीमा के भीतर न्यूनतम 25 प्रतिशत सार्वजनिक भागीदारी के नियम का अनुपालन नहीं करेंगी।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) अध्यक्ष यूके सिन्हा ने आज यहां कहा ‘‘कुछ चिटफंड कंपनियां तो इस तरह के वादे कर रही हैं जिनके तहत कोई भी वैध तरीके से व्यावसायिक गतिविधियां करते हुये वादे के अनुरुप रिटर्न नहीं दे सकता।’’ सिन्हा ने यहां भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा ‘‘हमने इनमें से कुछ कंपनियों के खिलाफ कारवाई शुरु की है, जांच चल रही है। कुछ मामलों में अंतरिम आदेश भी दिये गये हैं, लेकिन फिर ये कंपनियां न्यायालय भी पहुंच जातीं हैं।’’ सिन्हा ने कहा कि कई लोग इन चिटफंड कंपनियों की योजनाओं में निवेश कर रहे हैं जो कि जोखिम भरा है। ‘‘ये कंपनियां कानून में व्याप्त खामियों का फायदा उठा रही हैं।’’ उन्होंने कहा ‘‘हमने सरकार से आग्रह किया है कि उसे नये कानून के साथ आगे आना चाहिये जिसमें इन कंपनियों के लिये एक नियामक की व्यवस्था हो।’’ सिन्हा से जब सहारा के मुद्दे पर सवाल किया गया तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। कंपनियों में न्यनूतम 25 प्रतिशत सार्वजनिक हिस्सेदारी के नियम का अनुपालन किये जाने के मुद्दे पर सेबी अध्यक्ष ने कहा कि अनुपालन में असफल रहने वाली कंपनियों के खिलाफ कड़ी कारवाई की जायेगी।

सिन्हा ने कहा ‘‘सेबी सूचीबद्ध कंपनियों में न्यूनतम 25 प्रतिशत सार्वजनिक हिस्सेदारी पर लगातार जोर दे रहा है। देश में सार्वजनिक क्षेत्र से इत्तर करीब 200 कंपनियां हैं जो कि दिशानिर्देशों का पालन नहीं कर रही हैं।’’ उन्होंने कहा कि इन 200 में से 37 कंपनियों के शेयरों में सौदों को निलंबित किया गया है जबकि 51 कंपनियों ऐसी हैं जो कि दिशानिर्देशों को पूरा करने के लिये कोई उपाय नहीं कर रहीं हैं। इस दिशानिर्देश के अनुपालन की समय सीमा जून 2013 है। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, March 26, 2013, 16:41

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