चौथी तिमाही में चालू खाते का घाटा 3.6 प्रतिशत

चौथी तिमाही में चालू खाते का घाटा 3.6 प्रतिशत

नई दिल्ली : वैश्विक लेनदेन में देश के चालू खाते का घाटा 2012-13 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च,2013) में घटकर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.6 प्रतिशत पर आ गया। पूरे वित्त वर्ष का घाटा 2012-13 में यह 4.8 प्रतिशत के रिकार्ड स्तर पर रहा।

आरबीआई के आज जारी आंकड़ों में कहा गया है, ‘व्यापार घाटा कम होने से कैड तेजी से कम होकर 2012-13 की चौथी तिमाही में जीडीपी के 3.6 प्रतिशत पर आ गया जो तीसरी तिमाही में 6.7 प्रतिशत तक चला गया था।’ आलोच्य अवधि में अर्थव्यवस्था में नरमी के कारण गैर तेल और गैर सोना आयात में कमी आयी। इससे कैड कम हुआ। इस वर्ष मार्च की तिमाही में कैड 18.1 अरब डॉलर या सकल घरेलू उत्पाद के 3.6 प्रतिशत के बराबर रहा जो पिछले साल की इसी तिमाही के 21.7 अरब डॉलर के घाटे से कम है।

आरबीआई ने कहा, ‘मुख्य तौर पर गैर-तेल, गैर सोना आयात में कमी आई जिससे घरेलू आर्थिक गतिविधियों में नरमी का संकेत मिलता है।’ वित्त वर्ष 2012-13 के दौरान कैड 87.8 अरब डॉलर (जीडीपी के 4.8 प्रतिशत के बराबर) रहा। 2011-12 में 78.2 अरब डॉलर (सकल घरेलू उत्पाद के 4.2 प्रतिशत के बराबर) था। इस बीच वित्त मंत्रालय ने कहा कि कैड में अल्पकालिक बढ़ोतरी या गिरावट से परेशानी या खुशी नहीं होनी चाहिए। हमें कैड के वार्षिक आंकड़े को देखना चाहिए।

वित्त मंत्रालय ने कहा, ‘हमें साल के अंत के कैड के आंकड़े को देखना चाहिए कि वह कहा है। मंत्रालय ने कहा, ‘...पिछले वित्त वर्ष के कैड के बारे में हमने जो अनुमान देखे थे उससे यह लग रहा था कि बाजार जरूरत से ज्यादा परेशान था। ये अनुमान कह रहे थे कि घाटा पांच प्रतिशत से बहुत ऊंचा होगा जबकि हम अब देख रहे हैं कि यह पांच प्रतिशत से काफी कम है।’ (एजेंसी)

First Published: Thursday, June 27, 2013, 13:40

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