छोटी दिवाली पर नहीं दिखी अर्थव्यवस्था में बड़ी उम्मीद, निर्यात घटा, महंगाई बढ़ी

छोटी दिवाली पर नहीं दिखी अर्थव्यवस्था में बड़ी उम्मीद, निर्यात घटा, महंगाई बढ़ी

छोटी दिवाली पर नहीं दिखी अर्थव्यवस्था में बड़ी उम्मीद, निर्यात घटा, महंगाई बढ़ी नई दिल्ली : अर्थव्यवस्था के तीव्र वृद्धि की राह पर लौटने की उम्मीदें आज उस समय धूमिल पड़ती दिखीं जब दिवाली की पूर्व संध्या पर जारी सरकारी आंकड़ों में औद्योगिक उत्पादन और निर्यात में गिरावट तथा खुदरा बाजार की महंगाई में वृद्धि दर्ज की गई। बहुचर्चित 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में भी उत्साह नहीं दिखाई दिया। पहले दिन दूरसंचार कंपनियों ने ज्यादा रचि नहीं दिखाई। ऐसे में स्पेक्ट्रम नीलामी से सरकार को 40,000 करोड़ जुटा लेने की उम्मीदें भी सिरे चढ़ती नजर नहीं आतीं हैं।

विनिर्माण क्षेत्र के खराब प्रदर्शन से सितंबर माह में औद्योगिक उत्पादन :आईआईपी: में 0.4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई जबकि एक साल पहले इसी महीने में आईआईपी में 2.5 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी। एक महीना पहले अगस्त, 2012 में औद्योगिक उत्पादन में सालाना आधार पर 2.3 प्रतिशत वृद्धि रही थी।

देश के निर्यात कारोबार में भी गिरावट का दौर रहा। एक साल पहले की तुलना में अक्तूबर 2012 में निर्यात में 1.63 प्रतिशत गिरावट आ गई। और व्यापार घाटा 21 अरब डालर की रिकार्ड उंचाई पर पहुंच गया। हालांकि, पिछले माह की तुलना में यह गिरावट कुछ कम रही है।

आम आदमी को बढ़ती मुद्रास्फीति से कोई राहत नहीं मिली। चीनी, दाल, सब्जियों तथा कपड़े जैसे जरूरी सामान की बढ़ती कीमतों से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति में बढ़त दर्ज की गई। अक्तूबर में खुदरा मूल्यों पर आधारित महंगाई की दर 9.75 प्रतिशत पर पहुंच गई। एक महीना पहले यह 9.73 प्रतिशत पर थी।

पिछले वित्त वर्ष 2011-12 में आर्थिक वृद्धि दर घटकर नौ साल के निचले स्तर 6.5 प्रतिशत तक नीचे आ गई। मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 5.5 प्रतिशत रही जिससे भारतीय रिजर्व बैंक ने इस साल यानी 2012-13 का वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 5.8 प्रतिशत किर दिया।

योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने सितंबर में औद्योगिक उत्पादन में गिरावट को निराशाजनक बताया है। अमेरिका और यूरोपीय बाजारों में सुस्त मांग के चलते देश के निर्यात में लगातार छठे महीने गिरावट दर्ज की गई है। अक्तूबर में निर्यात बीते साल की तुलना में 1.63 प्रतिशत घटकर 23.2 अरब डालर रहा। सितंबर में निर्यात 11 प्रतिशत घटा था।

हालांकि, अक्तूबर में आयात 7.37 प्रतिशत बढ़कर 44.2 अरब डालर हो गया। यह आयात का पिछले 18 माह का उच्च स्तर है। इससे व्यापार घाटा 20.96 अरब डालर तक पहुंच गया। इससे पहले मई, 2011 में आयात 45.2 अरब डालर रहा था।

वाणिज्य सचिव एस.आर. राव ने आंकड़े जारी करते हुए संवाददाताओं को बताया, विश्व व्यापार निरंतर सिकुड़ रहा है। विश्व के साथ हमारा जुड़ाव बढ़ा है, इसलिए किसी भी घटनाक्रम का भारत के व्यापार पर असर पड़ेगा। (एजेंसी)

First Published: Monday, November 12, 2012, 19:36

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