Last Updated: Monday, September 16, 2013, 20:52

नई दिल्ली : प्याज तथा अन्य सब्जियों के महंगा होने के कारण थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति अगस्त महीने में छह माह के उच्चतम स्तर 6.1 प्रतिशत पर पहुंच गयी। मुद्रास्फीति में इस उछाल से भारतीय रिजर्व बैंक के नये गवर्नर रघुराम राजन के लिए नीतिगत दरों में कटौती की गुंजाइश कम हो गई है जो इस सप्ताह मौद्रिक नीति की पहली समीक्षा करने वाले हैं। इस दौरान प्याज की कीमत में सालाना आधार पर 244.62 प्रतिशत का उछाल आया और थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में लगातार तीसरे महीने बढोतरी दर्ज की गई।
इससे पहले जुलाई में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 5.79 प्रतिशत और पिछले साल अगस्त में 8.01 प्रतिशत थी। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद:पीएमईएसी: के प्रमुख सी रंगराजन ने कहा है कि मौद्रिक नीति के बारे में रिजर्व बैंक के निर्णय पर विदेशी विनिमय बाजार के हालात के साथ साथ मुद्रास्फीति स्फीति का भी प्रभाव होगा।
आलोच्य माह के दौरान सब्जियों के लिहाज से मुद्रास्फीति 77.81 प्रतिशत जबकि फलों के लिए 8.17 प्रतिशत रही। आलोच्य महीने में खाद्य खंड 18.8 प्रतिशत महंगा हो गया। हालांकि अगस्त महीने में आलू के दाम में लगभग 15 प्रतिशत की गिरावट आई क्योंकि इस अवधि में दलहन 14 प्रतिशत सस्ती हो गई।
विनिर्मित उत्पादों में चीनी और खाद्य तेलों में क्रमश: 4.2 प्रतिशत और 3.86 प्रतिशत की नरमी दर्ज की गयी। कुल मिलाकर विनिर्मित उत्पादों की दर सालाना आधार पर आलोच्य महीने में 1.9 प्रतिशत बढ़ी। उल्लेखनीय है कि राजन 30 सितंबर को मध्य तिमाही मौद्रिक नीति की समीक्षा करेंगे और इस दौरान उनके दिमाग में मुद्रास्फीति के इन नये आंकड़ों का असर भी होगा। उद्योग जगत आर्थिक वृद्धि को बल देने के लिए प्रमुख नीतिगत दर में कटौती की मांग कर रहा है।
पीएमईएसी के अध्यक्ष रंगराजन ने कहा कि मौद्रिक नीति पर रिजर्व बैंक के फैसले पर मुद्रास्फीति का असर भी रहेगा। उन्होंने एक कार्य्रकम के अवसर पर कहा, मैं तो यही कह सकता हूं कि रिजर्व बंक फैसला करते समय विदेशी विनिमय बाजार के घटना्रकम के साथ साथ मुद्रास्फीति के व्यवहार को भी ध्यान में रखेगा। वहीं उद्योग मंडल सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, मुद्रास्फीति में बढोतरी आगामी मौद्रिक नीति के रास्ते में नहीं आनी चाहिए क्योंकि निवेशकों की धारणा को मजबूत करना बहुत महत्वपूर्ण है।
फिक्की महासचिव दीदार सिंह ने कहा, पिछले लंबे समय यह चिंता रही है कि सकल मुद्रास्फीति में खाद्य पदाथोर्ं की मुद्रास्फीति की लगातार अहम् भूमिका रही है। इसलिये यह महत्वपूर्ण है कि खाद्य मुद्रास्फीति को प्रभावित करने वाले बुनियादी कारणों पर प्राथमिकता के साथ गौर किया जाये। वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम के महासचिव डी.एस. रावत ने कहा, इससे (मुद्रास्फीति) आर्थिक वृद्धि को वापस उच्च वृद्धि के रास्ते पर लाने की संभावनाओं पर असर पड़ेगा। इससे उद्योग जगत को लगातार महंगे कच्चे माल की मार सहनी पड़ेगी।
कासा के अर्थशास्त्री सिद्धार्थ शंकर ने कहा, जो आंकड़े हैं उसको देखते हुये ब्याज दरों को कम करना रिजर्व बैंक के लिए मुश्किल होगा। इस बार अगस्त माह के दौरान चावल, मोटे अनाज, अंडे, मांस और मछली की कीमतों में भी बढ़ोतरी दर्ज की गयी। अगस्त माह के दौरान आलू और दाल में नरमी रही। आलू का भाव 15 प्रतिशत तथा दालें पिछले साल की तुलना में 14 प्रतिशत मंदी रहीं। आलोच्य माह के दौरान अन्य खाद्य वस्तुएं सालाना आधार पर औसतन 18.8 प्रतिशत महंगी हुयीं। सभी प्रकार की विनिर्मित वस्तुओं का कुल मिलाकर थोकमूल्य सूचकांक अगस्त माह में 1.9 प्रतिशत उंचा रहा। (एजेंसी)
First Published: Monday, September 16, 2013, 20:52