Last Updated: Tuesday, July 30, 2013, 14:55

नई दिल्ली : रिजर्व बैंक की तिमाही मौद्रिक समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दरों में कमी नहीं किये जाने पर निराशा व्यक्त करते हुये उद्योग जगत ने सरकार से आर्थिक वृद्धि और निवेश को बढ़ाने के लिये जल्द कारवाई करने को कहा है।
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि हम निराश हैं। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि का अनुमान भी घटाकर 5.5 प्रतिशत कर दिया है, इससे वास्तविक स्थिति और स्पष्ट हो जाती है।
उन्होंने कहा कि आर्थिक वृद्धि तेज करने की आवश्यकता है और उसके लिये ब्याज दरों में नरमी काफी महत्वपूर्ण है। वाणिज्य एवं उद्योग मंडल फिक्की के पूर्व अध्यक्ष आरवी. कनोरिया ने भी इस तरह के विचार व्यक्त करते हुये देश में निवेश का माहौल सुधरना चाहिये। हमें अर्थव्यवस्था में विश्वास पैदा कर आर्थिक वृद्धि के लिये फिर से जुनून पैदा करना होगा। निवेश बढ़ाना समय की आवश्यकता है।
एसोचैम के अध्यक्ष राणाकपूर ने चालू खाते के घाटे पर नियंत्रण के लिये जोरशोर के साथ प्रयास किये जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा इसके लिये निर्यात को बढ़ावा देने और आयात पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है। कपूर ने हालांकि, रिजर्व बैंक गवर्नर के इस वक्तव्य को राहत देने वाला बताया कि रिजर्व बैंक द्वारा हॉल में उठाये गये कदम अस्थाई हैं, और मौद्रिक नीति स्पष्ट तौर पर आर्थिक वृद्धि के प्रति पहले से अधिक सामंजस्य बिठाने वाली दिखाई देती है।
वरिष्ठ अर्थशास्त्री राजीव कुमार ने कहा कि जीडीपी अनुमान और नीचे आयेंगे। घरेलू मुद्रा में स्थिरता के लिये रिजर्व बैंक आर्थिक वृद्धि की बलि दे रहा है। रिजर्व बेंक ने कमजोर रुपये को सहारा देने के लिये आज मौद्रिक समीक्षा में सभी नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखा और सरकार से उंचे चालू खाते के घाटे को कम करने के लिये तुरंत कदम उठाने को कहा है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, July 30, 2013, 14:55