‘नीतिगत ब्याज दरों में कमी के आसार नहीं’ - Zee News हिंदी

‘नीतिगत ब्याज दरों में कमी के आसार नहीं’

 

नई दिल्ली : रिजर्व बैंक से मौद्रिक नीति समीक्षा की तिमाही समीक्षा में नीतिगत ब्याज दरों को घटाने की मांग है ताकि बाजार में कर्ज सस्ता हो सके और अर्थिक गतिविधियों में नरमी का दौर दूर करने में मदद मिल सके। बावजूद इकसे वित्तीय बाजार के जानकार लोगों को लगता है कि मुद्रास्फीति का जोखिम अब भी बना हुआ है ऐसे में केंद्रीय बैंक सस्ते कर्ज की नीति की राह पर मुड़ने से पहले कुछ इंतजार कर सकता है।

 

उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष आरवी कनोड़िया ने कहा कि हमारी एक बड़ी मांग है कि ब्याज दरें कम होनी चहिए। यह हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता है। उद्योगकी लागत बढ़ गई है। हाल के दिनों में खाद्य मुद्रास्फीति तेजी से नीचे आयी है और सकल वस्तुओं वाली मुद्रास्फीति का दबाव भी कम हुआ है। पर नीति निर्माता विनिर्मित वस्तुओं के वर्ग में मुद्रास्फीति के दबाव को लेकर सजग दिख रहे हैं।

 

भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन प्रतीप चौधरी ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा में ब्याज दरों में कोई कटौती होगी। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति को पूरी तरह काबू में लाना चाहता है और इसी दिशा में मजबूत संकेत देखने को मिल सकता है। सकल मुद्रास्फीति दिसंबर 2011 में 7.47 प्रतिशत रही वहीं खाद्य मुद्रास्फीति सात जनवरी को समाप्त सप्ताह में शून्य से .42 प्रतिशत नीचे रही। रिजर्व बैंक कल मौद्रिक एवं रिण नीति की तीसरी तिमाही समीक्षा करने वाला है।

 

उद्योग जगत अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए रिजर्व बैंक से बैंक रिण सस्ता करने की अपील करता आ रहा है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में आर्थिक वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत रही जो पिछले दो वर्ष में सबसे कम रही है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने मुद्रास्फीति के दिसंबर के आंकड़ों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि खाद्य मुद्रास्फीति तो नीचे आ गई है पर विनिर्मित उत्पादों के वर्ग की मुद्रास्फीति अब भी ऊंची बनी हुई है।

 

पिछले वर्ष दिसंबर में मध्य तिमाही समीक्षा में रिजर्व बैंक ने नीतिगत ब्याज दरों में वृद्धि नहीं की थी और कहा था कि वह भविष्य में इसमें कटौती कर सकता है जो मुद्रास्फीति की नरमी पर निर्भर करेगा।

(एजेंसी)

First Published: Monday, January 23, 2012, 18:20

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