Last Updated: Friday, April 5, 2013, 23:18

नई दिल्ली : प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) सब्सिडी योजना का विस्तार इस साल जुलाई में 78 और जिलों में किया जाएगा।
हालांकि, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज इस तथ्य को स्वीकार किया कि इस कार्यक्रम में कुछ कठिनाइयां आ रही हैं और प्रयासों के जरिये यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि कार्यक्रम विफल न होने पाए।
इस साल जनवरी में सरकार के इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम को पहले चरण में 43 जिलों में शुरू किया गया। इस कार्यक्रम का विस्तार 15 मई तक 20 और जिलों में किया जाएगा। इसमें चरणबद्ध तरीके एलपीजी सब्सिडी को शामिल किया जाएगा। आधार के तहत नामांकन बढ़ने के साथ इस कार्यक्रम के दायरे में और जिलों को लाया जाएगा।
देश में कुल एलपीजी ग्राहकों की संख्या 14 करोड़ है। एलपीजी को इसके दायरे में लाने के बाद सब्सिडी की राशि सीधे उपभोक्ता के बैंक खाते में स्थानांतरित की जाएगी। सब्सिडी सीधे खाते में जाने से डीलर की दुकान पर सिलेंडर सिर्फ एक दाम पर बिकेंगे।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इससे फर्जी नामों से लिए गए कनेक्शन हटेंगे और सिलेंडरों को इधर-उधर नहीं किया जा सकेगा। इस योजना का विस्तार किया जाएगा जिसके तहत 1 अक्तूबर, 2013 से डाकघरों को इसमें शामिल किया जाएगा।
योजना की प्रगति की समीक्षा करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, ‘जनवरी में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना शुरू होने के बाद हमने कुछ दूरी तय की है। इस अवधि में हमने कई परिचालनगत मुदों को सुलझाया है। मैं इसकी प्रगति से उत्साहित हूं और इसके भविष्य को लेकर आशावान हूं।’
सिंह ने कहा,‘कार्यक्रम शुरू होने के समय हमने जिन कठिनाइयों का अनुमान लगाया था हमारे समक्ष वे कठिनाइयां सामने आई हैं। ऐसे में हमें कार्यक्रम के सफलतापूर्वक क्रियान्वयन के लिए अपने प्रयासों को और बढ़ाना होगा।’
उन्होंने कहा कि क्रियान्वयन के दौरान विभिन्न विभागों में खोज खबर तथा निगरानी प्रणाली में खामियां सामने आई हैं। सिंह ने कहा, ‘हम विफल होना सह नहीं सकते। हमें दिखाना होगा कि हम नतीजे और लाभ दे सकते हैं।’
डीबीटी पर राष्ट्रीय समिति की बैठक में विभिन्न संबंधित विभागों के मंत्री शामिल हुए। बैठक में वित्त मंत्री पी चिदंबरम के अलावा योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया भी शामिल हुए। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस पहल में सरकार के लाभ लोगों तक पहुंचाने के तरीके में बदलाव लाने की क्षमता है।
उन्होंने सभी मंत्रालयों और विभागों को इस प्रमुख पहल में समर्पण के साथ लगने और डीबीटी कार्यक्रम को पेश करने के चुनौतीपूर्ण कार्य को पूरा करने को कहा।
बैठक में यह निर्णय किया गया कि 1 जुलाई से दूसरे चरण की शुरुआत में योजना को देश की 20 प्रतिशत आबादी तक पहुंचाया जाएगा क्योंकि ओड़िशा, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के 78 और जिलों को इसके दायरे में ला दिया जाएगा।
ग्रामीण विकास मंत्रालय की तीन पेंशन योजनाओं को भी इस कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा।
‘इस प्रकार से, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के अंतर्गत कुछ आसान कदम. आंकड़ों को डिजिटल रूप में परिवर्तित करना, आधार में नामांकन, बैंक खाता खोलना और इन खातों में रकम डालना. आदि उठाए जाएंगे।’
उन्होंने बैठक में बताया,‘हमें काम के तरीके में, धन जारी करने, निगरानी करने और लाभार्थियों के बारे में सूचना एकत्र करने के तरीके में बदलाव लाने की जरूरत है। मैं उम्मीद करता हूं कि जैसे जैसे हम इस कार्यक्रम को लागू करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे, इन पहलुओं पर उचित ध्यान दिया जाएगा।’
उन्होंने जोर देकर कहा,‘योजना आयोग और वित्त मंत्रालय पर उन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए साथ मिलकर काम करने की विशेष जिम्मेदारी है जो हमने अपने लिए तय किए हैं।’
प्रधानमंत्री ने कहा,‘अगर हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत पड़ती है कि जो धन हम खर्च कर रहे हैं, उसके परिणाम सामने आ रहे हैं तो यह आवश्यक है कि हमें एक जबर्दस्त निगरानी प्रणाली लगानी होगी। इससे लाभार्थियों के लिए लाभ पाने की प्रक्रिया आसान होगी और साथ ही भ्रष्टाचार एवं बर्बादी पर अंकुश लगेगा।’ (एजेंसी)
First Published: Friday, April 5, 2013, 23:18