Last Updated: Tuesday, October 9, 2012, 18:20

नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आज दिल्ली की एक अदालत में सुझाव दिया कि फेसबुक और गूगल समेत कुछ अमेरिकी वेबसाइटों की ओर से मौजूदगी सुनिश्चित करने के लिए प्रत्यर्पण प्रक्रिया शुरू की जाए जिन पर वर्गों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने तथा यहां राष्ट्रीय अखंडता को नजरअंदाज करने का आरोप है। अदालत के समन पर पेश होते हुए गृह मंत्रालय के अवर सचिव अमर चंद ने अमेरिका और भारत के बीच परस्पर कानूनी सहायता संधि (एमएलएटी) का हवाला दिया और कहा कि अदालत को उनके खिलाफ समन जारी करने के बजाय प्रत्यर्पण प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।
हालांकि मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (एमएम) जय थरेजा ने कहा कि वह वेबसाइटों के खिलाफ प्रत्यर्पण प्रक्रिया शुरू नहीं करेंगे। उन्होंने अधिकारी से फरियादी विनय राय के वकील को तलब किये गये लोगों के लिए फार्म भरने में मदद करने के लिए कहा जैसा कि एमएलएटी के तहत निर्दिष्ट है। अदालत ने कहा, मौजूदा मामले में सभी आरोपी कापरेरेशन-कानूनी हस्तियां हैं। उचित होगा कि उन्हें समन भेजा जाए। इसलिए फरियादी के वकील को निर्देश दिया गया है कि 12 जून, 2012 को भेजे गये समन के जवाब में अमर चंद द्वारा भेजे गये फार्म पूरे किये जाएं या भरे जाएं।
मामले की अगली सुनवाई के लिए 18 अक्तूबर की तारीख मुकर्रर करते हुए अदालत ने कहा, अमर चंद फार्म भरने में शिकायती के वकील की मदद के लिए रजामंद हो गये हैं। अदालत ने इससे पहले अमर चंद को निर्देश दिया था कि पेश हों और कथित तौर पर युवाओं को अश्लील सामग्री परोसने और आपराधिक साजिश के अपराधों के लिए 21 सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों के खिलाफ दाखिल मामले में समन की प्रक्रिया को विस्तार से बताएं। शिकायत में फेसबुक, ऑरकुट, यूट्यब, याहू, ब्लॉगस्पॉट, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट के भी नाम हैं। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, October 9, 2012, 18:17