'बजट बनाते वक्त जमीनी सच्चाई ध्यान में रखा' - Zee News हिंदी

'बजट बनाते वक्त जमीनी सच्चाई ध्यान में रखा'

नई दिल्ली: वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने रविवार को कहा कि उन्होंने बजट बनाते समय राजनीतिक और आर्थिक मोर्चे पर खड़ी जमीनी हकीकत को ध्यान में रखते हुई अतिरिक्त सावधानी बरती है।

 

मुखर्जी ने  कहा, ‘बजट को संसद में पारित कराना होता है। ऐसे में सांसदों के मूड को देखते हुये मुझे अतिरिक्त सतर्कता बरतनी पड़ी है, मैंने अपने साथियों को भी इस संबंध में सावधानी बरतने को कहा। यही वजह है कि कई बातें जिन्हें बजट में होना चाहिये था अथवा किया जा सकता था, उन्हें नहीं किया गया।’

 

देश के शीर्ष वाणिज्य एवं उद्योग मंडलों के साथ बजट बाद रविवार को दिल्ली में हुई बैठक में वित्त मंत्री ने उन आशंकाओं का जवाब दिया जिनमें इस बजट में उनसे सब्सिडी कम करने के मामले में कुछ ठोस कदम उठाये जाने की अपेक्षा की जा रही थी।

 

उन्होंने कहा ‘इन दिनों नीतिगत मामलों में फैसले बदलने में ज्यादा समय नहीं लगता। एक सदन में किया गया फैसला दूसरे सदन में पहुंचने पर 24 घंटे के भीतर ही पलट जाता है।’

 

वित्त मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में उपभोक्ता वस्तुओं के उंचे दाम, विकसित देशों में अनिश्चितता और अस्थिर आर्थिक वृद्धि का भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर जैसी समस्याओं को सभी को सामूहिक तौर पर निपटना होगा। इसमें सरकार, राजनीतिक दल और उद्योग सभी को मिलकर सहयोग देना होगा।

 

उन्होंने कहा कि सरकार मध्यम अवधि में वृद्धि को बढावा देने के लिये घरेलू मांग बढ़ाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि आने वाले महीनों में हमें ब्याज दरों में गिरावट की उम्मीद है, इससे कारोबारी माहौल में सुधार होगा और आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी। मुखर्जी ने कहा कि बजट केवल आम चुनाव अथवा सरकार के कार्यकाल को देखते हुये ही तैयार नहीं किये जाते बल्कि बजट संसद में सरकार की स्थिति और राजनीतिक हालातों को ध्यान में रखते हुये तैयार करना होता है। बजट संसद में पारित कराना होता है, इसलिये इसमें जमीनी सचाई पर भी गौर करना होता है।

 

वित्त मंत्री ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम लगातार उच्चस्तर पर बने रहने को लेकर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा ‘वैश्विक बाजार में मांग कम होने के बावजूद कच्चे तेल के दाम नीचे नहीं आ रहे हैं। यूरोपीय क्षेत्र के देशों में आर्थिक मंदी का दौर है ऐसे में वहां कच्चे तेल की मांग उतनी नहीं है जितनी की आर्थिक बेहतरी के दिनों में रहती, इसके बावजूद तेल के दाम कम नहीं हो रहे हैं, इसमें कुछ हद तक सट्टेबाजी को जोर भी दिखाई देता है।’

 

मुखर्जी ने कहा यूरोपीय देशों में आर्थिक वृद्धि की रफ्तार धीमी पड़ी है, इसका दीर्घकालिक निदान फिलहाल दूर की कौड़ी नजर आता है। जापान में भी आर्थिक गतिविधियां अभी जोर नहीं पकड़ पाई है। चीन में सुस्ती के शुरुआती संकेत दिखाई दे रहे हैं। इसके बावजूद विश्व बाजार में कच्चे तेल के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं। यह गौर करने वाली बात है।

 

उन्होंने कहा कि सरकार ने बजट में विभिन्न प्रकार की सब्सिडी को वर्ष 2012.13 में सकल घरेलू उत्पाद का दो प्रतिशत तक सीमित रखने का प्रस्ताव किया है। सब्सिडी नियंत्रण में आने से देश की वित्तीय स्थिति में सुधार होगा और इससे कारोबारी विश्वास बढ़ेगा। बजट में लघु एवं मध्यम उद्योगों को नकदी प्रवाह बढ़ाने की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा सार्वजनिक व्यय बढ़ाने के प्रावधान किये गये हैं। सिंचाई सुविधाओं के विस्तार और ग्रामीण योजनाओं में आवंटन बढ़ने से मांग बढ़ने की उम्मीद है।

 

वित्त मंत्री ने कहा उन्हें वित्त वर्ष 2012.13 में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 5.1 प्रतिशत पर रहने का विश्वास है। चालू वित्त वर्ष के दौरान इसके 5.9 प्रतिशत रहने का संशोधित अनुमान रखा गया है। (एजेंसी)

First Published: Monday, March 19, 2012, 10:20

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