बस...बढ़ने ही वाले हैं डीजल, एलपीजी और मिट्टी तेल के दाम

बस...बढ़ने ही वाले हैं डीजल, एलपीजी और मिट्टी तेल के दाम

बस...बढ़ने ही वाले हैं डीजल, एलपीजी और मिट्टी तेल के दामनई दिल्ली : डीजल, घरेलू रसोई गैस सिलेंडर और मिट्टी तेल के दाम बढ़ाने को पेट्रोलियम मंत्रालय ने कैबिनेट नोट जारी किया है। इसमें उपभोक्ताओं को साल में केवल चार से छह सस्ते गैस सिलेंडर देने की सिफारिश की गई है।

मंत्रिमंडल की राजनीतिक मामलों की समिति के लिए इस प्रस्ताव में 50,000 रुपए महीने अथवा छह लाख रुपये सालाना से अधिक कमाई करने वाले परिवारों को सस्ते गैस सिलेंडर की आपूर्ति पूरी तरह बंद करने को कहा गया है। पेट्रोलियम मंत्रालय के एक बड़े अधिकारी ने यहां बताया कि मंत्रिमंडल की राजनीतिक मामलों की समिति संसद के मौजूदा सत्र के समाप्त होने के बाद अपनी पहली बैठक में इस प्रस्ताव पर विचार कर सकती है। संसद का मानसून सत्र शुक्रवार को समाप्त होने जा रहा है। पेट्रोल के दाम बढ़ाने का प्रस्ताव भी विचाराधीन है। सरकार ने पेट्रोल के दाम नियंत्रणमुक्त कर दिए थे लेकिन इसके बावजूद कंपनियों को पेट्रोल पर छह रुपए लीटर का नुकसान हो रहा है। दाम शुक्रवार के बाद किसी भी समय बढ़ सकते हैं।

अधिकारी के अनुसार, ‘हमारे समक्ष काफी विकट स्थिति है। हम अब ज्यादा समय तक मूल्यवृद्धि नहीं रोक सकते। हमने दाम कितने बढ़ने चाहिये इसके बारे में कुछ नहीं बताया है लेकिन उस स्थिति का जिक्र किया है जिसमें तुरंत मूल्यवृद्धि जरुरी हो गई है।’ डीजल, घरेलू गैस सिलेंडर और राशन में बिकने वाले मिट्टी तेल के दाम आखिरी बार जून 2011 में बढ़ाए गए थे। हालांकि इन 15 महीनों में इनकी उत्पादन लागत 28 प्रतिशत तक बढ़ गई।

मंत्रालय के प्रस्ताव के अनुसार हर घर को साल में केवल चार से छह सिलेंडर ही सस्ते दाम पर मिलेंगे। दिल्ली में इस समय घरेलू सिलेंडर का दाम 399 रुपए है जबकि बाजार मूल्य के हिसाब से इसका दाम 746 रुपए होना चाहिए। डीजल और मिट्टी तेल के दाम बढ़ाने के साथ-साथ राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति पेट्रोल पर 14.78 रुपए प्रति लीटर के उत्पाद शुल्क को कम करने पर भी विचार कर सकती है।

अधिकारी ने कहा, ‘स्थिति बहुत खराब है। तेल कंपनियां एक सीमा तक ही उधार ले सकती हैं। जल्दी ही ऐसी स्थिति आ सकती है जिसमें उनके पास कच्चा तेल खरीदने के लिए भी पैसा नहीं होगा और तब हमारे सामने आपूर्ति की समस्या खड़ी हो जाएगी।’ सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों का उधार वर्ष की पहली तिमाही समाप्त होते-होते 1,57,617 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। इससे पहले 31 मार्च की समाप्ति पर कर्ज राशि 1,28,272 करोड़ रुपए थी। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, September 5, 2012, 18:31

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