बुनियादी क्षेत्र की बड़ी परियोजनाओं को जल्द मंजूरी : मोंटेक

बुनियादी क्षेत्र की बड़ी परियोजनाओं को जल्द मंजूरी : मोंटेक

बुनियादी क्षेत्र की बड़ी परियोजनाओं को जल्द मंजूरी : मोंटेकचेन्नई : योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलुवालिया ने कहा है कि निवेश संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीआई) दो तीन सप्ताह में कुछ बड़ी परियोजनाओं को मंजूरी दे सकती है। इस समिति का गठन गत जनवरी में किया गया था। इसका उद्देश्य बड़ी बुनियादी परियोजनाओं पर मंजूरी की प्रक्रिया में शीघ्रता लाना है।

अहलुवालिया ने शुक्रवार शाम यहां उद्योगमंडल सदर्न इंडिया चेम्बर ऑफ कामर्स एण्ड इंडस्ट्री (एसआईसीसीआई) की एक संगोष्ठी में कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि निवेश पर मंत्रिमंडलीय समिति अगले दो तीन सप्ताह में कुछ बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाएं मंजूर कर सकती है।’ समिति की दो तीन बार बैठक हो भी चुकी है।

सीसीआई ने 20 मार्च को अपने पहले निर्णय में रिलायंस इंडस्ट्रीज के गैस उत्पादन कर रहे कृष्णा गोदावरी बेसिन के अपतटीय केजी डी6 ब्लाक और खोजे गए एनईसी-25 क्षेत्र में अतिरिक्त निवेश के प्रस्तावों को मंजूरी दी है। इन दो और तीन अन्य क्षेत्रों में गैर-तेल के उत्खनन कार्य पर रक्षा मंत्रालय ने पहले निषेध या कड़ी पाबंदियां लगा रखी थीं।

इस बीच पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने भी सीसीआई को सूचित किया है कि वह परियोजनाओं की मंजूरी प्रक्रिया तेज करेगा। ईंधन की कीमतों के बारे में मोंटेक ने कहा कि इस पर ‘राजनीतिक आम सहमति’ की जरूरत है कि घरेलू कीमतें अंतर्राष्ट्रीय बाजार के साथ (निकट का संबंध) जुड़ी होनी चहिए।

उन्होंने इसके विभिन्न पहलुओं को जोड़ते हुए कहा, ‘हमारे राजनीतिक दोस्तों में से बहुत कम के लिए अपने श्रोताओं को यह बात समझाना आसान होगा। मैंने इस विषय में सांसदों के एक समूह को संबोधित करते हुए कहा कि यदि दुनिया में तेल के भाव उंचे हों और आप अपने देश में उनकी कीमतें कम रखने की कोशिश कर रहे हैं तो आप अपने पांव पर ही कुल्हाड़ी चला रहे हैं।’

मोंटेक ने कहा कि सरकार ने डीजल के दामें में 18 माह तक प्रति माह 50-50 पैसे की वृद्धि करने का एक साहसिक निर्णय लिया है।

मोंटेक ने चालू खाते के ऊंचे घाटे को ‘चिंता का विषय’ बताया और कहा कि ‘हमें राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए दो तीन साल में ठोस कदम उठाने होंगे, आपूर्ति की बाधाएं दूर करनी होंगी तथा बुनियादी परियोजनाओं की राह में नियमों की ड़चनों को दूर करना होगा।’

उन्होंने कहा कि इसके साथ साथ बिजली क्षेत्र के लिए ईंधन आपूर्ति की समस्या हल कर ली जाए तो भारत में निवेश तेज होगा।

उन्होंने बिजली क्षेत्र में गति की ओर उल्लेख करते हुए कहा कि 10वीं पंचवर्षीय योजना में 21,000 मेगावाट नयी क्षमता खड़ी हुई जबकि 2011-12 में समाप्त 11वीं पंचावर्षीय योजना में 54,000 मेगावाट क्षमता जोड़ी गयी। 11वीं योजना के आखिरी वर्ष में ही 22,000 मेगावाट क्षमता का विस्तार हुआ। (एजेंसी)

First Published: Saturday, March 30, 2013, 14:50

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