Last Updated: Monday, March 18, 2013, 14:56

नई दिल्ली : वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने सोमवार को सरकारी क्षेत्र के बैंकों से कहा कि वे कर्ज कड़ाई के साथ कर्ज की वसूली करें। वसूली में फंसे कर्ज की समस्या बढने से चिंतित वित्तमंत्री ने कहा कि ‘मालदार मालिक और कंगाल कंपनी’ की स्थिति देश में ज्यादा नहीं चल सकती।
चिदंबरम ने कहा कि हम चाहते हैं कि बैंक एनपीए वसूली के लिए सख्त कदम उठाएं। प्रवर्तकों: कंपनी शुरू करने वालों को अतिरिक्त धन लाना होगा और कंपनियों की जिम्मेदारी है कि वे वित्तीय संस्थानों से लिए गए कर्ज का भुगतान करें। वह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों के प्रमुखों के साथ हुई बैठक के बाद संवाददाताओं से बात कर रहे थे।
वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले एक या दो महीने में वसूली सुधरी है। उन्होंने उम्मीद जताई कि बैंक उद्योगों का नुकसान किए बगैर बढ़ते एनपीए से निपटने के लिए और कदम उठाएंगे। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता कि प्रवर्तक (मालिक) अमीर हों और कंपनियां कंगाल प्र्वतकों को अपनी कंपनी धन जरूर डालना चाहिए। बगैर ऐसा कुछ न करे जिससे उद्योग का कारोबार बर्बाद हो, पर उन्हें कर्ज वसूली के लिए कठोर कदम उठाना होगा। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का कुल एनपीए दिसंबर 2012 तक बढ़कर 1.55 लाख करोड़ रुपए हो गया जो मार्च 2011 में 71,080 करोड़ रुपए था। उन्होंने कहा कि उर्जा, कोयला, लोहा, इस्पात और सड़क परिवहन क्षेत्र की अटकी पड़ी योजनाएं चिंता का विषय है।
चिदंबरम ने कहा कि फिलहाल सात लाख करोड़ रुपए के प्रस्तावित निवेश वाली 215 परियोजनाएं अटकी पड़ी हैं। इन परियोजनाओं को बैंकों ने 54,000 करोड़ रुपए का रिण वितरण किया है। उन्होंने कहा कि जहां तक नई परियोजनाओं का सवाल है वे भी इन्हीं पांच क्षेत्रों से जुड़ी हैं। इन क्षेत्रों की 126 नई परियोजनाओं का प्रस्तावित परिव्यय 3.55 लाख करोड़ रुपए है और इनके लिए बैंकों ने अब तक 43,000 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं।
उन्होंने कहा कि वास्तविक समस्या सड़क और बिजली क्षेत्र में है। सड़क क्षेत्र में 68 नयी परियोजनाएं हैं। बिजली क्षेत्र में 40 नयी परियोजनाएं हैं। हमें उन्हें शुरू करना है। संबद्ध मंत्रालय इस मामले पर विचार करेंगे ताकि परियोजनाओं के अमल में तेजी लाई जा सके। चिदंबरम ने कहा कि सरकार ने उन प्रमुख कारणों की पहचान की है जिनके कारण परियोजनाएं अटकी हैं। उन्होंने कहा कि कोयला आपूर्ति समझौते, पर्यावरण संबंधी मंजूरी और भूमि अधिग्रहण, ये इसकी कुछ प्रमुख वजहें हैं। पिछले छह महीने के मुकाबले अब भरोसा बढ़ा है।
उन्होंने कहा कि पर्यावरण मंजूरी और एनएचएआई से जुड़े कुछ मामलों को हमने सुलझा लिया गया है और कोयला खाने उपलब्ध कराई जा रही हैं। मंत्रालय राज्य सरकार और प्रवर्तकों के साथ क्षेत्रवार बैठक करेगा ताकि यह पता लगाया जा सके कि काम आगे कैसे बढ़ाया जा सके। बैंकों के पास कर्ज देने के लिए धन की उपलब्धता के संबंध में चिदंबरम ने कहा कि रिजर्व बैंक के गवर्नर कल मौद्रिक नीति की समीक्षा में पहल करेंगे। उन्होंने कहा कि आरबीआई के गवर्नर भी नकदी की समस्या से अवगत हैं और कल मौद्रिक नीति की समीक्षा है। मुझे भरोसा है कि वह नकदी की समस्या पर ध्यान देंगे। निजी क्षेत्र के तीन बैंकों के कुछ कर्मचारियों पर मनी लांडरिंग के आरोप से जुड़े सवाल के जवाब में चिदंबरम ने कहा कि आरबीआई और वित्त मंत्रालय इस मामले पर विचार कर रहा है।
उन्होंने कहा कि वित्तीय सेवा सचिव इस मामले पर करीब से नजर रखे हुए हैं। आरबीआई इस पर निगाह रखे हुए है। बैंकों ने खुद जांच गठित की है। उनकों जांच रपट पेश करने तक थोड़ा समय दिया जाए। प्रस्तावित महिला बैंक के संबंध में चिदंबरम ने कहा कि इस संबंध में एमबीएन राव की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति की पहली बैठक शनिवार को हुई और समिति अप्रैल के अंत तक प्रस्तावित महिला बैंक का खाका प्रस्तुत करेगी। (एजेंसी)
First Published: Monday, March 18, 2013, 14:56