महंगाई, मुद्रास्फीति 6.5 से 7% की संभावना - Zee News हिंदी

महंगाई, मुद्रास्फीति 6.5 से 7% की संभावना

नई दिल्ली:  केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी द्वारा गुरुवार को लोकसभा में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में मार्च के अंत तक मुद्रास्फीति को 6.5 से सात प्रतिशत होने की सम्भावना जाहिर की गई है, तथा अगले वित्त वर्ष में इसमें और गिरावट का अनुमान लगाया गया है।

 

सर्वेक्षण में कहा गया है, कीमतों में अनुकूल आधार प्रभाव और लगातार वैश्विक मंदी के कारण मार्च तक मुद्रास्फीति के 6.5 से सात प्रतिशत होने की सम्भावना है। और उसके बाद के महीनों में इसमें और गिरावट की आ सकती है, बशर्ते कि अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में तेल कीमतों में वृद्धि जैसे अनपेक्षित झटके न लगे।

 

 

सर्वेक्षण में कहा गया है कि मौद्रिक नीति को चुस्त किए जाने तथा सरकार द्वारा अन्य उपायों को अपनाने के कारण 2012-13 के दौरान मुद्रास्फीति में और कमी आ सकती है।

 

मौजूदा वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति ज्यादातर खाद्य कीमतों के कारण बढ़ी है। जनवरी में यह 6.6 प्रतिशत पर आ गई थी, लेकिन फरवरी में पूरे सात प्रतिशत पर पहुंच गई। सर्वेक्षण में हालांकि कहा गया है कि वित्तीय सुदृढ़ीकरण मुद्रास्फीति को नीचे लाने का एक मात्र उपाय है।

 

 

सर्वेक्षण में कहा गया है, त्वरित वित्तीय सुदृढ़ीकरण मुद्रास्फीति को नीचे लाने का एक मात्र उपाय है। इसे हासिल करने का प्रमुख तरीका यह है कि कर-जीडीपी अनुपात को बढ़ाया जाए और व्यर्थ खर्च में कटौती की जाए।

 

सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा किए गए मौद्रिक उपायों और मुद्रास्फीति नियंत्रण पर उसके असर का अध्ययन किए जाने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में इस तरह की कार्रवाइयों की दक्षता बढ़ाई जा सके।

 

 

संयोगवश आरबीआई ने अपनी मौद्रिक नीति की अर्धतिमाही समीक्षा में गुरुवार को अपनी प्रमुख दरों को अपरिवर्तित बनाए रखा।

 

 

सरकार को यह भी सुनिश्चित कराने की आवश्यकता है कि खाद्य वस्तुओं की आपूर्ति सम्बंधी समस्याएं दूर की जाएं ताकि उत्पादकता में सुधार हो। सर्वेक्षण में मंडियों के कारोबार के तौर-तरीकों में सुधार की सिफारिश की गई है।

 

सर्वेक्षण में कहा गया है, मंडी व्यवस्थापन में सुधार एक चिंता का विषय है। मंडियों में अधिक व्यापारियों को दलालों के रूप में अनुमति दी जानी चाहिए। जिस भी व्यक्ति को कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) के बाहर या अपने दर पर बेहतर कीमत व शर्ते मिलती हैं, उसे ऐसा करने की अनुमति होनी चाहिए।

 

 

दूसरी प्रमुख सिफारिश है खराब होने वाली वस्तुओं को एपीएमसी अधिनियम के दायरे से बाहर किए जाने की, क्योंकि सरकार द्वारा नियंत्रित मंडिया कभी-कभी खुदरा कारोबारियों को किसानों के उद्यमों से अपने उद्यमों को जोड़ने से रोकती हैं।

 

मूल्य प्रबंधन के मामले में, आर्थिक समीक्षा में मुद्रास्फीति के नियंत्रण और उससे जुड़ी सम्भावनाओं पर खासतौर से ध्यान देने पर जोर दिया गया है। इन उपायों के अपनाने से वैश्विक मंदी और अतंर्राष्ट्रीय बाजार में तेल कीमतों में वृद्धि जारी रहने के बावजूद मार्च तक मुद्रास्फीति दर कम होकर करीब 6.5 से 7.0 प्रतिशत तक रहने की सम्भावना है। (एजेंसी)

First Published: Thursday, March 15, 2012, 17:20

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