Last Updated: Thursday, May 2, 2013, 22:15
मुंबई : अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए ब्याज दरों में कटौती की मांग के बीच भारतीय रिजर्व बैंक ने आज कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति की ऊंची दर तथा बढ़ते चालू खाते के घाटे (सीएडी) के मद्देनजर मौद्रिक नीति को नरम करने की गुंजाइश कम है।
रिजर्व बैंक ने 2013-14 की सालाना मौद्रिक नीति समीक्षा से पहले वृहद आर्थिक एवं मौद्रिक घटनाक्रम रिपोर्ट जारी कर कहा है कि मांग पक्ष की मुद्रास्फीति का दबाव कम हुआ है, लेकिन उपभोक्ता मूल्य आधारित महंगाई की दर तथा सीएडी अभी टिकाउ स्तर से कहीं उपर हैं। ऐसे में मौद्रिक नीति के जरिए वृद्धि को समर्थन देने का विकल्प सीमित है।
रिजर्व बैंक ने हालांकि माना कि हाल के समय में सोने और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से राहत मिली है, लेकिन यदि आप इस क्षणिक अस्थायी राहत से निश्चिंत हो जाएं, यह एक प्रकार से सच्चाई से मुंह मोड़ना होगा। केंद्रीय बैंक 2012-13 में पहले की नीतिगत ब्याज दरों (रेपो रेट) में एक प्रतिशत की कमी कर चुका है।
रिजर्व बैंक पर अब वृद्धि को प्रोत्साहन के लिए ब्याज दरों में और कटौती का दबाव पड़ रहा है। बीते वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर एक दशक के निचले स्तर 5 फीसदी पर आ गई है। महंगाई के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि इसमें गिरावट का रख पहली छमाही में जारी रहेगा। (एजेंसी)
First Published: Thursday, May 2, 2013, 22:15