मुद्रास्फीति जून में बढ़कर 4.86 प्रतिशत पर पहुंची

मुद्रास्फीति जून में बढ़कर 4.86 प्रतिशत पर पहुंची

मुद्रास्फीति जून में बढ़कर 4.86 प्रतिशत पर पहुंचीनई दिल्ली : मुद्रास्फीति में गिरावट के चार महीने चार माह के सिलसिले पर जून में विराम लग गया और यह बढ कर 4.86 प्रतिशत हो गई। माह के दौरान प्याज, चावल व अन्य अनाजों के मंहगे होने से महंगाई दर चढ इससे पिछले माह की तुलना में चढ गयी। थोकमूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मई में 4.70 प्रतिशत थी। मुद्रास्फीति बढने से आर्थिक समस्याओं से जूझ रही सरकार की चिंता बढ़ सकती है। रपए की कमजोरी का असर भी मंहगाई पर हो रहा है। बढ़ती मुद्रास्फीति का रिजर्व बैंक की 30 जुलाई को आने वाली मौद्रिक नीति की पहली समीक्षा पर भी असर हो सकता है।

उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़े के मुताबिक इस वर्ष जून में खाद्य उत्पादों के वर्ग में थोकमूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति 9.74 प्रतिशत रही। ऐसा खास कर प्याज , चावल और अन्य अनाजों की कीमतों का बदबाव बढाने से हुआ। जून में प्याज की कीमत में 114 प्रतिशत का ईजाफा हुआ। प्याज एक माह पहले सालाना आधार पर 97.40 प्रतिशत उंची थी।

सब्जियों की महंगई दर इस बार जून में 16.47 बढ़ी जो मई में 4.85 प्रतिशत थी। अप्रैल में कीमत 9.05 प्रतिशत घटी थी। विनिर्मित खंड के उत्पादों की मंहगाई दर हालांकि जून में घटकर 2.75 प्रतिशत रही जो मई में 3.11 प्रतिशत थी।

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सी रंगराजन ने आशंका जाहिर की कि रपए में नरमी का कीमत पर असर हो सकता है। उन्होंने कहा, हालांकि मुद्रास्फीति में थोड़ी बढ़ोतरी हुई है, पर लग रहा है कि थोकमूल्य आधारित सूचकांक स्थिर हो रहा है। लेकिन आने वाले समय में रुपए में नरमी का असर हो सकता है। आरबीआई द्वारा आगामी समीक्षा में ब्याज दर कम किए जाने के संबंध में रंगराजन ने कहा, आरबीआई के सामने मुद्रास्फीति नियंत्रण और वृद्धि के लिए प्रोत्साहन की जरूरत के बीच मुश्किल चुनाव की स्थिति है लेकिन वाह्य परिस्थितियां चिंता का विषय बनी हुई हैं। आरबीआई इन सभी तीनों बातों पर विचार करेगा।

रुपया इस सप्ताह डॉलर के मुकाबले 61.21 के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया था जिससे मुद्रास्फीति और विशेष तौर पर पेट्रोलियम उत्पाद की कीमतें बढ़ीं। सरकार और आरबीआई रपए को मजबूत करने की दिशा में कदम उठा रही है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति जून में भी आंशिक तौर पर बढ़ गई।

गैर-खाद्य उत्पाद खंड की मुद्रास्फीति जून में बढ़कर 7.57 प्रतिशत हो गई जो मई में 4.88 प्रतिशत थी। गैर खाद्य उत्पादों में फाइबर, तिलहन और खनिज शामिल हैं। संशोधित आंकड़ों में अप्रैल की मुद्रास्फीति को घटाकर 4.77 प्रतिशत कर दिया गया। पहले जारी अस्थाइ आंकड़ों के आधार पर इसे 4.89 प्रतिशत बताया गया था।

जून के दौरान अंडा, मांस और मछली की मंहगाई दर 12.23 प्रतिशत रही जबकि पिछले महीने यह 11.21 प्रतिशत थी। अन्य अनाज और चावल की मंहगाई दर जून में क्रमश: 17.18 और 19.11 प्रतिशत थी जो मई में 16.01 और 18.48 प्रतिशत थी। आलू की कीमत हालांकि 14.22 प्रतिशत घटी जबकि मई में कीमत 3.33 प्रतिशत घटी थी। दाल की कीमत भी जून में 1.59 प्रतिशत घटी जबकि मई में यह 5.95 प्रतिशत थी।

बैंक ऑफ बड़ौदा की मुख्य अर्थशास्त्री रूपा रेगे नित्सुरे का मानना है कि जून के मुद्रास्फीति के आंकड़े में नियंत्रित ईंधन मूल्य में हाल में हुए समायोजन और रपए की नरमी का असर पूरी तरह सामने नहीं आया है। आने वाले दिनों में इन आंकड़ों (मुद्रास्फीति) में और बढ़ोतरी होगी। ईंधन और बिजली खंड में मुद्रास्फीति जून में 7.12 प्रतिशत थी जो पिछले महीने 7.32 प्रतिशत थी।

उद्योगमंडल फिक्की की अध्यक्ष नैना लाल किदवई ने कहा कि आपूर्ति पक्ष की दिक्कतों की दूर करने की जरूरत पर जोर देना चाहेगा। उन्होंने कहा, सब्सिडी की बजाय कृषि क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश बढ़ाने और कृषि की उजप में सुधार की जरूरत है। उद्योग मंडल ऐसोचैम ने कहा कि सरकार और आरबीआई दोनों को आर्थिक वृद्धि बढ़ाने पर ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि यह इकलौता ठोस समाधान है। समय की पुकार है कि कि ‘निवेश की धारणा मजबूत की जाए। आने वाली तिमाही मौद्रिक समीक्षा में इस बात का पूरा ध्यान रखा जाए। (एजेंसी)

First Published: Monday, July 15, 2013, 14:10

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