वृद्धि दर में गिरावट से उद्योग जगत चिंतित - Zee News हिंदी

वृद्धि दर में गिरावट से उद्योग जगत चिंतित

 

नयी दिल्ली : चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत रहने को लेकर उद्योग जगत ने गंभीर चिंता जताते हुए बुद्धवार को कहा कि यह पहले से जारी औद्योगिक क्षेत्र के कमजोर रूख की आधिकारिक पुष्टि है। उद्योग जगत का कहना है कि उंची मुद्रास्फीति, कोष की बढ़ती लागत तथा संकटग्रस्त वैश्विक पूंजी बाजार आर्थिक नरमी के लिए जिम्मेदार है। उद्योग जगत ने सरकार ने आर्थिक वृद्धि को बनाए रखने के लिए सुधारों को सुनिश्चित रखने के साथ निवेश आकषिर्त करने के उपाय करने को कहा है।

 

दूसरी तिमाही की वृद्धि नौ तिमाहियों में सबसे कम है। अर्थव्यवस्था की इस गति को देखते हुए सरकार ने अप्रैल-मार्च 2011-12 की वृद्धि का अनुमान घटाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया है। उद्योग मंडल सीआईआई ने कहा, चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 6.9 प्रतिशत रहना औद्योगिक क्षेत्र में पहले से दिख रही नरमी की आधिकारिक पुष्टि है। सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि यह निवेश में गिरावट का संकेत है और इसमें और गिरावट का अर्थव्यवस्था पर व्यापक नकारात्मक असर हो सकता है।

 

उन्होंने कहा, मुद्रास्फीति पर शिकंजा कसने के लिये रिजर्व बैंक ने पिछले साल मार्च से लेकर अबतक 13 बार नीतिगत ब्याज दरों में वृद्धि कर चुका है जिसके कारण देश में पूंजी की लागत दुनिया में सर्वाधिक हो गई है। इसका निवेश पर असर पड़ रहा है। उद्योग मंडल फिक्की ने भी कहा कि मौद्रिक नीति को कड़ा किए जाने का असर दिखने लगा है।

 

फिक्की के महासचिव राजीव कुमार ने कहा, मौद्रिक नीति को कड़ा किए जाने का असर दिखने लगा है। अगर वित्त वर्ष 2010-11 की दूसरी तिमाही की आर्थिक वृद्धि को संशोधित कर 8.9 प्रतिशत से 8.4 प्रतिशत नहीं किया जाता तो चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में आर्थिक वृद्धि 6.9 प्रतिशत की बजाए 6.4 प्रतिशत होती।  (एजेंसी)

First Published: Wednesday, November 30, 2011, 18:32

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