Last Updated: Wednesday, January 9, 2013, 20:01

नई दिल्ली : सरकार को मौजूदा परिचालकों पर तय सीमा से अधिक स्पेक्ट्रम के लिए एकमुश्त शुल्क लगाने से करीब 24,000 करोड़ रुपए मिल सकते हैं। सूत्रों ने बताया कि कंपनियों को 18,925.82 करोड़ रुपए पिछली अवधि के लिए तथा बाकी 4,251.83 करोड़ रुपए का शुल्क आगे की अवधि का होगा। कुल मिलाकर एकमुश्त स्पेक्ट्रम शुल्क से 23,977.65 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है।
दूरसंचार परिचालक भारती एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया सेल्यूलर, बीएसएनएल, एमटीएनएल, एयरसेल और रिलायंस कम्यूनिकेशंस को एकमुश्त स्पेक्ट्रम शुल्क अदा करना होगा जिसके लिए इस सप्ताह मांग नोटिस जारी होने की उम्मीद है।
पहले दूरसंचार कंपनियों को अखिल भारतीय परिचालन के लिए 1,658 करोड़ रुपए में 4.4 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम दिया गया था और बाद में उन्हें कुछ शर्तों के आधार पर 1.8 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम और दिया गया।
नवंबर में सरकार ने फैसला किया कि मौजूदा परिचालकों को जुलाई 2008 से लेकर एक जनवरी 2013 तक 6.2 मेगाहर्ट्ज से ज्यादा वाले स्पेक्ट्रम के लिए शुल्क अदा करना होगा। 4.4 मेगाहर्ट्ज से ज्यादा वाले स्पेक्ट्रम उन्हें एक जनवरी 2013 से उनके लाइसेंस की शेष अवधि के लिए भुगतान करना होगा।
स्पेक्ट्रम की कीमत पिछले साल 1800 मेगाहर्ट्ज के स्पेक्ट्रम की नीलामी के दौरान तय कीमत के आधार पर तय किया जाएगा।
सूत्रों ने बताया कि दूरसंचार विभाग ने दिल्ली, मुंबई, राजस्थान और कर्नाटक सर्कल के लिए 1800 मेगाहर्ट्ज बैंड के लिए संभावित दर तय की थी लेकिन इसके लिए और 900 मेगाहर्ट्ज बैंड के लिए कोई बोली नहीं मिली।
पिछली नीलामी में 1800 मेगाहर्ट्ज के बचे हुए स्पेक्ट्रम की नीलामी 11 मार्च से होनी है जिसके बाद 900 मेगाहर्ट्ज और 800 मेगाहर्ट्ज की नीलामी होगी।
सीडीएमए परिचालकों पर शुल्क लगाए जाने के संबंध में कोई फैसला नहीं किया गया क्योंकि इस बैंड के लिए नवंबर 2012 में हुई नीलामी में कोई बोली नहीं मिली थी। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, January 9, 2013, 20:01