Last Updated: Tuesday, December 18, 2012, 19:49

नई दिल्ली : सरकार को अनावश्यक रूप से दी जा रही सब्सिडी धीरे-धीरे कम करनी चाहिए और सब्सिडी का फायदा केवल जरूरतमंद व्यक्तियों तक ही सीमित रखा जाना चाहिए। यह बात मंगलवार को वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार रघुराम राजन ने कही।
उन्होंने दिल्ली आर्थिक सम्मेलन में कहा,‘सब्सिडी से निपटना मुश्किल है क्योंकि लोगों को इसकी आदत हो जाती है। इसे कम कैसे किया जाए? हमें इसे हर बार थोड़ा कम करने की जरूरत है। लेकिन आखिरकार हमें ऐसे मामलों में सब्सिडी देने की जरूरत है जिससे गरीबों को मदद मिलती हो।’
उन्होंने कहा,‘हर कोई सोचता है कि वह आम आदमी है। इसलिए आम आदमी सब्सिडी खत्म होने से प्रभावित होता है। निश्चित तौर पर वे प्रभावित होते हैं। और यदि सब्सिडी खत्म करने की शुरू की जानी है तो यह सबसे अधिक अमीरों को मिलने वाली सब्सिडी से क्यों न शुरू हो?’
सरकार ने बजट में 2012-13 के दौरान खाद्य, ईंधन और उर्वरक पर सब्सिडी के तौर पर 1.10 लाख करोड़ रुपए के खर्च का अनुमान जाहिर किया था।
सरकार ने पूरक मांग के पहले चरण के तौर पर ईंधन सब्सिडी बिल की भरपाई के लिए अतिरिक्त 28,500 करोड़ रुपए की मांग की थी।
राजन ने कहा कि जिन क्षेत्रों में बेवजह सब्सिडी दी जा रही है उसे कम करने की जरूरत है।
सब्सिडी वाले एलपीजी सिलिंडरों की संख्या कम करने के मामले का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि करीब 12-13 करोड़ कनेक्शन हैं और उनमें से कई उच्च वर्ग को मिले हुए हैं।
उन्होंने कहा,‘हमने सोचा इस सब्सिडी को सीमित किया जाए कम से कम उनके लिए जिन्हें इसकी जरूरत नहीं है। यह मेरी मां के लिए, मेरे चाचा के लिए तकलीफदेह है लेकिन वास्तविकता यह है कि ऐसी सब्सिडी की दिशा सही नहीं है।’
यह पूछने पर कि सरकार कंपनियों को इतनी सब्सिडी या कर छूट क्यों दे रही है राजन ने कहा ‘मुझे लगता है कि हम कर का दायरा बड़ा करना चाहते हैं और जहां तक संभव हो विशिष्ट रियायतों की व्यवस्था खत्म कर रहे हैं।’ (एजेंसी)
First Published: Tuesday, December 18, 2012, 19:06