Last Updated: Tuesday, October 30, 2012, 16:14
नई दिल्ली : भारतीय उद्योग जगत ने रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की तिमाही समीक्षा में नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में चौथाई फीसद की कटौती का स्वागत किया है, लेकिन इसके साथ ही कहा है कि केंद्रीय बैंक को आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन देने के लिए प्रमुख ब्याज दरों में भी कुछ कटौती करनी चाहिए थी।
उद्योग मंडल सीआईआई ने कहा है कि सीआरआर में कटौती का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे यह संकेत जाएगा कि रिजर्व बैंक ने मौद्रिक मोर्चे पर रुख नरम किया है। सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि रिजर्व बैंक जल्द औद्योगिक उत्पादन तथा निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए रेपो दरों में कटौती करेगा।
बनर्जी ने कहा कि हम महंगाई को लेकर रिजर्व बैंक की चिंता को समझते हैं। कुल मिलाकर भारत में महंगाई की प्रमुख वजह आपूर्ति पक्ष है। ऐसे में जरूरत इस बात की है कि कृषि क्षेत्र में सुधार किए जाएं। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक के पास इस बात की आजादी है कि वह मुद्रास्फीति पर अंकुश के साथ आर्थिक वृद्धि की दिशा में भी कुछ करे।
उन्होंने कहा कि चूंकि अब सरकार ने राजकोषीय घाटे पर अंकुश के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं, ऐसे में जल्द नीतिगत दरों में कटौती की उम्मीद की जा सकती है। उद्योग मंडल एसोचैम ने केंद्रीय बैंक द्वारा सिर्फ महंगाई पर ध्यान केंद्रित करने पर निराशा जताते हुए कहा है कि महत्वपूर्ण नीतिगत दर रेपो दरों में कटौती नहीं की गई है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, October 30, 2012, 16:14