`सोने के भारी आयात से बढ़ा चालू खाते का घाटा`

`सोने के भारी आयात से बढ़ा चालू खाते का घाटा`

हैदराबाद : प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के चेयरमैन सी रंगराजन ने कहा है कि पिछले साल सोने के भारी आयात से चालू खाते का घाटा (सीएडी) बढ़ा था। पिछले साल सोने का आयात 60 अरब डॉलर रहा था, जो सीएडी के बढ़ने की एक वजह है।

इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 5.1 फीसदी के बजटीय स्तर पर रखने के लिए पेट्रोलियम सब्सिडी में कटौती की जरूरत है।

रंगराजन ने कहा, 2010-11 में सोने का आयात 40 अरब डॉलर का रहा था। 2011-12 में सोने का आयात 20 अरब डॉलर बढ़ा। इस बढ़ोतरी ने आंशिक रूप से महंगाई में योगदान दिया। यदि आप इस 20 अरब डॉलर को निकाल दें, तो पिछले साल चालू खाते का घाटा निचले स्तर पर आ जाता। वह हैदराबाद प्रबंधन संस्थान के स्थापना दिवस पर कल यहां ‘भारतीय अर्थव्यवस्था: आगे की ओर’ विषय पर संबोधन दे रहे थे।

देश का चालू खाते का घाटा 2011-12 में सकल घरेलू उत्पाद का 4.2 प्रतिशत रहा है, जो 30 साल का रिकार्ड उच्च स्तर है। जब देश का कुल आयात और स्थानांतरण कुल निर्यात और स्थानांतरण से अधिक हो जाता है, तो उस अंतर को चालू खाते का घाटा कहा जाता है। सीएडी के उंचे स्तर की वजह से कई तरह की समस्याएं मसलन मुद्रा में गिरावट और अर्थव्यवस्था के समक्ष दिक्कत आती है।

राजकोषीय घाटे के बारे में रंगराजन ने कहा, हमें इसे 5.1 प्रतिशत के बजटीय लक्ष्य पर रखने के लिए हरसंभव उपाय करने चाहिए। इसे तभी हासिल किया जा सकता है जब हम सब्सिडी को कम करने की स्थिति में हों। सब्सिडी में कमी और विशेषकर पेट्रोलियम सब्सिडी को कम करने तथा राजकोषीय घाटे को 5.1 प्रतिशत पर रखने के लिए नीतिगत कार्रवाई बेहद जरूरी है। (एजेंसी)

First Published: Sunday, August 12, 2012, 18:43

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