Last Updated: Wednesday, June 5, 2013, 00:07

नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस ने आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में सनसनीखेज़ खुलासा करते हुए मंगलवार को बताया कि क्रिकेटर श्रीसंत और दो अन्य खिलाड़ी अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम और छोटा शकील के इशारे पर काम कर रहे थे।
पुलिस ने साथ ही इस मामले में गिरफ्तार श्रीसंत और 22 अन्य पर मकोका के कड़े प्रावधान लगा दिए हैं। पुलिस ने दावा किया कि उसके पास टेलीफोन पर सुनी गई बातचीत जैसे ‘ठोस’ सबूत हैं जिसके आधार पर श्रीसंत और कुछ अन्य आरोपियों को डी कंपनी से जोड़ा जा सकता है।
मकोका के तहत आरोपी को अधिकतम आजीवन कारावास की सज़ा के साथ पांच लाख रुपए जुर्माना हो सकता है। पुलिस ने एक अदालत में यह खुलासा किया जिसने श्रीसंत और 22 अन्य की न्यायिक हिरासत 18 जून तक बढ़ा दी है। दिल्ली पुलिस इस मामले में 16 मई से अब तक 26 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है।
पुलिस ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संजीव जैन से कहा, ‘ आरोपी विदेश में रह रहे दाउद इब्राहिम और छोटा शकील के इशारे पर काम कर रहे थे। दाउद और शकील का लगातार संगठित अपराधों में संलिप्त रहने का रिकार्ड है इसलिए आरोपियों के खिलाफ मकोका के प्रावधान लगाए गए हैं।’
अदालत ने आपने आदेश में विशेष प्रकोष्ठ के संयुक्त पुलिस आयुक्त की ओर से मकोका की धारा तीन और चार लगाने तथा इसके लिए दिये गए कारणों की रिपोर्ट का उल्लेख किया। अदालत ने कहा कि विशेष प्रकोष्ठ के संयुक्त पुलिस आयुक्त की मंजूरी के बाद मकोका इस आधार पर लगाया गया कि गिरफ्तार : आरोपी लोगों ने इलेक्ट्रानिक एवं अन्य मीडिया का उपयोग करके एक दूसरे एवं अन्य भगोड़े सहयोगियों के साथ संवाद स्थापित किया। इनमें से कुछ सहयोगी विदेश में रह रहे हैं।
अदालत ने रिपोर्ट के हवाले से कहा, ‘भारत में अवैध संगठित सट्टेबाजी के सिंडिकेट का नियंत्रण देश से बाहर बैठे लोग कर रहे हैं। गिरफ्तार आरोपी व्यक्ति साजिशकर्ता की भूमिका निभाते पाये गए जबकि अन्य लोग इसके सहयोग करने वाले के रूप में पाये गए।’
पुलिस ने अदालत को बताया, ‘संगठित अपराध सिंडिकेट अवैध सट्टेबाजी का नियंत्रण करने के अलावा खिलाड़ियों का प्रदर्शन निर्धारित करने और सट्टेबाजी की दर तय करने में शामिल था।’ मकोका के तहत आरोपपत्र अधिकतम 180 दिनों में पेश किया जा सकता है जबकि आईपीसी के प्रावधानों के तहत इसे 60 से 90 दिनों में पेश करना होता है।
मकोका के तहत पुलिस हिरासत 30 दिनों तक बढ़ाई जा सकती है जबकि आईपीसी के तहत इसे केवल 15 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है।
मकोका की धारा तीन के तहत आरोपी को अधिकतम आजीवन करावास की सजा और पांच लाख रुपए जुर्माना लगाया जा सकता है जबकि धारा चार के तहत 10 वर्ष तक कारावास की सजा, एक लाख रुपए का जुर्माना और आरोपी की सम्पत्ति भी जब्त की जा सकती है।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘अपराध जगत से लेकर सट्टेबाजों और खिलाड़ियों तक संगठित अपराध का सिंडिकेट तालमेल से काम करता है। इस मामले में, खिलाड़ियों के खिलाफ बल एवं तनाव तथा जबरदस्ती का इस्तेमाल किया गया। साथ ही आरोपियों को आर्थिक रूप से भी लाभ हुआ।’ जांच से जुड़े एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने बताया कि उनके पास सुनी गयी पर्याप्त टेलीफोन वार्ता मौजूद है जिससे यह पता चलता है कि सट्टेबाजों ने दुबई, कराची एवं पाकिस्तान के अन्य शहरों में कॉल करके सट्टेबाजी की दर तय करवायी या बदलवायी।
उन्होंने बताया कि हैदराबाद के एक व्यक्ति को पकड़ने का प्रयास किया जा रहा है। इस व्यक्ति की मदद से उस अन्य क्रिकेट टीम का पता चल सकता है जो कथित रूप से स्पाट फिक्सिंग में शामिल थी। पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस व्यक्ति का नाम हैदराबाद से गिरफ्तार किये गये सट्टेबाज मोहम्मद याहया ने पूछताछ में लिया है। इस व्यक्ति को पकड़ने के लिए तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया है।
अपनी रिपोर्ट में पुलिस ने कहा कि दाउद इब्राहिम का सिंडिकेट शेख शकील जैसे गुर्गे के जरिये लोगों को धमकी और निर्देश देता था। ऐसा कहा जाता है कि छोटा शकील पूर्व में गैर कानूनी गतिविधियों एवं संगठित अपराध से जुड़ा था। अदालत ने कहा, ‘इन तथ्यों को देखते हुए और जांच प्रक्रिया के जारी रहने के मद्देनज़र सभी आरोपियों को 18 जून तक न्यायिक हिरासत में भेजा जाता है।’
आरोपियों के खिलाफ पूर्व में ठगी, विश्वास भंग करने और आपराधिक साजिश रचने के मामले में मुकदमा दर्ज किया गया था। अदालत ने मुम्बई से गिरफ्तार रमेश व्यास के खिलाफ 10 जून का पेशी वारंट जारी करने का भी निर्देश दिया। इससे पहले पुलिस ने बताया कि रमेश दाउद इब्राहिम के सीधे सम्पर्क में था और दक्षिण भारत में सट्टेबाजी का सिंडिकेट चला रहा था। इससे पूर्व अभियोजक ने कहा था कि उसके पास पुख्ता सबूत हैं जिसमें श्रीसंत के टेलीफोन कॉल एवं कुछ अन्य लोगों से डी कंपनी के संवाद शामिल हैं।
बचाव पक्ष के वकील ने मकोका लगाए जाने का विरोध करते हुए कहा कि पुलिस को यह दिखाना होगा कि आरोपी लगातार गैरकानूनी गतिविधियों में संलिप्त थे। उन्होंने दावा किया कि हर किसी को डी कंपनी से जोड़कर इस कड़े कानून के तहत नहीं लाया जा सकता है।
श्रीसंत के वकील विशाल गुसैन और आरोपी जीजू जनार्दन के वकील पवन नारंग ने मकोका लगाने को पूरी तरह से अनुचित बताया और कहा कि उनके मुवक्किलों पर मकोका इसलिए लगाया गया ताकि उन्हें जमानत न मिल सके। सट्टेबाज चंद्रेश पटेल की ओर से पेश वकील डी पी सिंह ने कहा, ‘ यह नहीं कहा जा सकता कि खिलाड़ी एक संगठित अपराध सिंडिकेट चला रहे थे।’ (एजेंसी)
First Published: Tuesday, June 4, 2013, 23:46