उनमुक्त के बहाने दूसरे खिलाड़ियों को भी कॉलेज से मिलेगी विशेष छुट्टी

उनमुक्त के बहाने दूसरे खिलाड़ियों को भी कॉलेज से मिलेगी विशेष छुट्टी

उनमुक्त के बहाने दूसरे खिलाड़ियों को भी कॉलेज से मिलेगी विशेष छुट्टीनई दिल्ली : अंडर 19 विश्व कप क्रिकेट में भारत को चोटी पर पहुंचाने वाले उनमुक्त चंद की कम उपस्थिति के कारण उसके कॉलेज में एक साल पिछड़ने का विषय भले ही सुखिर्यों में रहा हो लेकिन सालों पहले मानव संसाधन विकास मंत्रालय के 1987 के आदेश में खिलाड़ियों को खेल प्रतियोगिता और कोचिंग कैम्प में शामिल होने के लिए विशेष छट्टी देने का निर्देश दिया गया था।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के नौ मार्च 1987 के आदेश संख्या एफ 18.1:87 स्पोर्ट्स 4 में कहा गया है कि उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को राज्य स्तर, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतिस्पर्धा एवं कोचिंग कैम्प में हिस्सा लेने के लिए शैक्षणिक संस्थाओं से विशेष छूट दी जानी चाहिए। निर्देश में यह भी कहा गया है कि अगर कोई खिलाड़ी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के कारण नियमित परीक्षा नहीं देने को विवश होते हैं तब उनके लिए अलग से परीक्षा ली जाए।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से इस आशय का निर्देश सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षा सचिवों, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और भारतीय खेल प्राधिकरण को भेजा गया था। इस विषय में पूछे जाने पर मंत्रालय के एक अधिकारी ने सिर्फ इतना कहा कि करीब 25 वर्ष पुराना ऐसा निर्देश है। उनमुक्त का मुद्दा हाई प्रोफाइल होने के कारण सुलझता दिख रहा है लेकिन मानव संसाधन विकास मंत्रालय के इस पुराने आदेश के बावजूद देश में काफी संख्या में ऐसे खिलाड़ियों को खेल और पढ़ायी में सामंजस्य बिठाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा हैं।

दिल्ली विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार, विद्यार्थियों को एक अकादमिक सत्र में सभी रियायतों के बाद कम से कम 33.3 फीसदी उपस्थिति पूरी करनी होती है, लेकिन सेंट स्टीफेंस कॉलेज के छात्र उनमुक्त क्रिकेट में अपनी व्यस्तता के कारण यह अर्हता पूरी नहीं कर पाये। इस मामले में मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने सेंट स्टीफेंस कालेज के प्रिंसिपल विल्सन थम्पू से अनुरोध किया है कि वह अपने विवेकाधीन अधिकारों का इस्तेमाल करें जिससे अंडर 19 विश्व कप विजेता जूनियर क्रिकेट कप्तान उन्मुक्त चंद इम्तिहान में बैठ सके।

सिब्बल ने कहा कि यूनिवर्सिटी के नियमों में प्रावधान होना चाहिये जहां इस प्रकार के विशेष मामलों में आपात अधिकारों का इस्तेमाल किया जा सके। यह मामला अभी दिल्ली उच्च न्यायालय में है, लेकिन कॉलेज के प्राचार्य विल्सन थम्पू का कहना है कि यह फैसला विश्वविद्यालय प्रशासन को करना है, क्योंकि यह विश्वविद्यालय की उपस्थिति के नियम हैं।

गौरतलब है कि मई में हुई दूसरे सेमेस्टर की परीक्षा में उनमुक्त को एडमिट कार्ड नहीं दिया गया था जिसके बाद न्यायालय ने हस्तक्षेप कर कॉलेज से उन्हें अनुमति देने को कहा। हालांकि आदेश आने तक दो विषय की परीक्षा हो जाने के कारण वह दो विषयों की ही परीक्षा दे पाये। (एजेंसी)


First Published: Sunday, September 2, 2012, 11:24

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