`हॉकी को सुधारने के लिए कड़े फैसले की जरूरत`

`हॉकी को सुधारने के लिए कड़े फैसले की जरूरत`

नई दिल्ली : लंदन ओलंपिक के सदमे से उबरने के लिये भारतीय हॉकी को अब स्पष्ट सोच और कुछ कड़े फैसलों की सख्त जरूरत है। लगातार छह हार तो सिक्के का एक पहलू है लेकिन जिस तरह से भारतीय टीम हारी, वह ऐसी तस्वीर पेश करती है जो आंकड़ों से काफी आगे है। टीम ने जीत के लिये प्रयास ही नहीं किया जिससे भारतीय हॉकी विकट स्थिति में पहुंच गई है।

मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा कि हार से ज्यादा जीत के लिये प्रयास नहीं करने का भारतीय खिलाड़ियों का रवैया इन हालात के लिये जिम्मेदार है।

अब बिना डरे और बिना किसी पक्षपात के कुछ कड़े फैसले लेने होंगे। अच्छी टीमें रातोंरात नहीं बनती। एक दीर्घकालिक रणनीति जरूरी है और समय समय पर यह आकलन भी करना होगा कि हमारी तैयारी सही दिशा में है या नहीं।

मौजूदा हालात के लिये टीम के रणनीतिकारों और चयनकर्ताओं को जिम्मेदार ठहराया जायेगा। भारतीय हाकी के हुक्मरान अपनी गलतियां कतई कबूल नहीं करेंगे। भारतीय टीम के प्रदर्शन की जांच भी कराई जा रही है।

टीम रैंकिंग की बात करें तो ओलंपिक के बाद भारत 10वें से 11वें पायदान पर खिसक गया है लेकिन टीम के लचर प्रदर्शन के जख्म नासूर से कम नहीं हैं।

भारतीय महिला टीम ओलंपिक के बाद की रैंकिंग में 12वें स्थान पर है । महिला टीम ओलंपिक के लिये क्वालीफाई नहीं कर सकी थी । भारतीय हाकी के आकाओं को समझ आ गया होगा कि कोई गंभीर समस्या तो जरूर है जिसे तुरंत दूर करना जरूरी है । ऐसा नहीं किया गया तो भारतीय हाकी का भविष्य अंधकारमय है ।

अंतरराष्ट्रीय हाकी महासंघ ने भारत को चैम्पियंस ट्राफी खेलने का न्यौता भेजा है जिसके जरिये शुरूआत की जा सकती है ।

पिछले साल भारत चैम्पियंस ट्राफी नहीं खेल सका था जिसकी मेजबानी दिल्ली से छीन ली गई थी । भारत की जगह नये मेजबान न्यूजीलैंड ने ली थी ।

बेहतर भविष्य के लिये भारतीय हाकी को कुछ दर्द झेलने होंगे । हाकी के प्रशासकों को इस स्तर पर खेलने के लायक खिलाड़ियों को तैयार करना होगा अन्यथा इस दशा को कोई सुधार नहीं सकता । यदि ऐसे ही नतीजे आते रहे तो भारतीय हाकी पर से लोगों का भरोसा उठ जायेगा। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, August 14, 2012, 16:35

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