Last Updated: Thursday, September 12, 2013, 16:24
वासिंद्र मिश्र 2014 को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ चुकी हैं, पिछले दो दिनों के राजनीतिक घटनाक्रमों पर नजर डालें तो साफ हो जाता है कि 2014 का चुनाव दो ध्रुवों पर लड़ा जाना है, एक तरफ कांग्रेस होगी और दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी। पिछले दो दिनों में हुई राजनीतिक रैलियों में इन पार्टियों ने अपने मुद्दे भी लगभग साफ कर दिए हैं।
जयपुर में हुई रैली में नरेंद्र मोदी ने बीजेपी की उपलब्धियों पर जोर देने के साथ साथ कांग्रेस की नाकामी की चर्चा की तो राहुल गांधी ने उदयपुर में बड़े ही सधे हुए शब्दों में मोदी के हर आरोप का जवाब दिया साथ ही ये भी बताया कि आरोप लगाना है लगाते रहो लेकिन कांग्रेस अपना काम करती रहेगी।
मोदी ने जयपुर के भाषण में एबीसीडी का नया फॉर्मूला दिया कि कांग्रेस के लिए ए-आदर्श घोटाला, बी-बोफोर्स घोटाला, सी-कॉमनवेल्थ घोटाला और डी-दामाद का कारोबार है। राहुल ने बिल्कुल ही ठेठ अंदाज में जवाब दिया कि विपक्ष को जितनी गाली देनी है दे ले कांग्रेस सिर्फ काम करेगी।
मोदी ने विकास के मुद्दे पर भी बात की, मोदी ने कहा कि 30 साल में बनने वाली कुल सड़कों में आधी NDA के कार्यकाल में बनी थीं तो राहुल ने जवाब दिया कि सड़क और एयरपोर्ट बनाकर गरीबों का पेट नहीं भरा जा सकता, लेकिन कांग्रेस खाने की गारंटी देती है ।
मोदी ने भ्रष्टाचार को कांग्रेस का नजराना करार दिया तो राहुल ने उड़ीसा में विवादित ज़मीन अधिग्रहण को मुद्दा बना दिया। राहुल ने कहा कि बीजेपी और बीजेडी की सरकार ने मिलकर गरीबों की ज़मीन हड़प ली, लेकिन कांग्रेस ने गरीबों को उनका हक दिलाने के लिए भूमि अधिग्रहण से जुड़ा कानून बनाया है।
दोनों ही पार्टियां इन मुद्दों के जरिए बड़ी होशियारी से अपने–अपने वोट बैंक को टार्गेट कर रही हैं। नरेंद्र मोदी की छवि विकास पुरुष की बनाई गई है। चुनाव पास आते ही इस छवि को भुनाने की कोशिश की जा रही है। मोदी पर इतने लंबे सियासी करियर में कभी भी आर्थिक भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगे, लिहाजा मोदी भ्रष्टाचार के खिलाफ बात करते हैं तो जनता पर इसका असर होता है।
बीजेपी इस असर को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। मोदी तकनीकों का सहारा लेते हैं और युवाओं को खुद से जोड़ने की ताकत रखते हैं। लिहाजा बीजेपी विकास, भ्रष्टाचार,युवा को केंद्र में रखकर चुनाव की तैयारी कर रही है।
वहीं कांग्रेस अम्ब्रेला पॉलिटिक्स करती है। शासन के चार साल के दौरान कांग्रेस कॉरपोरेट सेक्टर, ग्रोथ, जीडीपी की बातें करती है, ताकि इस सेक्टर के लोग कांग्रेस की सरकार के साथ सहज रहें। वहीं चुनावी वक्त में कांग्रेस पावर टू पीपल का एजेंडा अपना लेती है। इसीलिए राहुल अपनी रैलियों में खाद्य सुरक्षा कानून और भूमि अधिग्रहण कानून की बात करते हैं। इन दोनों कानूनों के जरिए कांग्रेस एक बार फिर ये संदेश देना चाहती है कि कांग्रेस का हाथ गरीबों के साथ है।
वोट बैंक की बिसात पर देश के दोनों बड़े दलों के बीच शह और मात का खेल चल रहा है। नरेंद्र मोदी की रणनीति कांग्रेस को भ्रष्टाचार, कुशासन जैसे मुद्दों पर घेरने की है तो कांग्रेस एक बार फिर गांव, गरीब, किसान और आदिवासी हितों को लेकर चुनावी समर में उतरना चाहती है। अगर देश के सियासी इतिहास पर नज़र डालें तो आज़ादी के बाद से लेकर अब तक कांग्रेस की तरफ से इस तरह की रणनीति पहले भी अपनाई जाती रही है। जिस समय इंदिरा गांधी को सत्ता से बेदखल करने के लिए पूरा विपक्ष ‘इंदिरा हटाओ देश बचाओ’ का नारा लगा रहा था उस समय भी इंदिरा गांधी ने देश की जनता के सामने एक भावुक अपील जारी करते हुए कहा था कि मेरे विरोधी मुझे हटाना चाह रहे हैं और हम देश से गरीबी हटाना चाह रहे हैं अब फैसला देश की जनता को करना है। नतीजा ये हुआ कि उस चुनाव में इंदिरा गांधी को ज़बरदस्त कामयाबी मिली।

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राजीव गांधी के समय में भी गैर कांग्रेसी दलों ने अपने अपने तरीकों से उन्हें घेरने की लगातार कोशिश की। जब राजीव देश को इक्कीसवीं सदी में ले जाने की बात कर रहे थे, तकनीकी क्रांति की जरुरत बता रहे थे, तब विपक्ष उनका मज़ाक उड़ा रहा था। लेकिन जब चुनाव नजदीक आया तो राजीव गांधी ने अपने ट्रंप कार्ड के रूप में ग्राम स्वराज, पावर टू दी पीपुल और पंचायतों को अधिकार संपन्न बनाने का नारा दिया और इसका फायदा भी पार्टी को मिला। चुनाव प्रचार के आखिरी दौर में एक आतंकी हमले में भले ही राजीव गांधी की हत्या हो गई थी लेकिन पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व में उस साल देश में कांग्रेस की ही सरकार बनी।
अब एक बार फिर दोनों ही पार्टियां आमने-सामने हैं। दोनों दलों ने अपने-अपने सेनापति चुन लिए हैं, एजेंडा तैयार कर लिया है, मुद्दों को धार दी जा रही है, रणनीतियों में एक दूसरे को फंसाने और उलझाने का सियासी दांव-पेंच शुरु हो गया है। वोट के लिए बिगुल फूंका जा चुका है अब बारी जनता के फैसले की है।
(लेखक ज़ी रीजनल चैनल्स के संपादक हैं)
First Published: Thursday, September 12, 2013, 16:23