यूपीए सरकार की 9 साल की उपलब्धियां शून्य: नकवीमुख्तार अब्बास नकवी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेताओं में शुमार किए जाते हैं।
`सियासत की बात` नामक कार्यक्रम में उन्होंने यूपीए सरकार पर जमकर निशाना साधा। बीजेपी नेता ने बातों ही बातों में कुछ इस तरह इशारा किया, `‘लिहाज आंख का रिश्तों का डर नहीं होता, जब एक शख्स के हाथों में घर नहीं होता।" इस कार्यक्रम में
मुख्तार अब्बास नकवी के साथ ज़ी रीज़नल चैनल्स के संपादक
वासिंद्र मिश्र ने खास बातचीत की, पेश हैं उसके मुख्य अंश:-
वासिंद्र मिश्र : नमस्कार आज के इस खास कार्यक्रम में आपका स्वागत है और आज हमारे खास मेहमान हैं मुख्तार अब्बास नकवी। बीजेपी के सीनियर नेता हैं और जबसे देश में भारतीय जनता पार्टी का आंदोलन चला अलग अलग मुद्दों पर तबसे ही उन सभी आंदोलनों में सक्रिय रूप से हिस्सेदारी निभाते रहे। हम इनसे जानने कि कोशिश करेंगे कि मौजूदा स्थिति में जो देश की आर्थिक स्थिति है जो राजनीतिक स्थिति है, इस आर्थिक और राजनैतिक स्थिति में भारतीय जनता पार्टी अपने को कहां खड़ा पाती है, और किस तरह से भारतीय जनता पार्टी में जो एक कन्विक्शन है जो एक लीडरशिप है जो एक डायनमिक लीडरशिप होनी चाहिए वो कितनी इनकी नजर में है या कोई कमी है। मुख्तार भाई आपका बहुत-बहुत स्वागत है। सबसे पहले तो अगर कहें पिछले लगभग पांच वर्षों से आपकी पार्टी शायद यही तय नहीं कर पा रही है कि देश की जनता, किन मुद्दों को सुनना चाहती है, कौन अहम मुद्दे हैं जो आम जनता की जिंदगी से जुड़े हुए हैं, कभी भ्रष्टाचार की बात होती है फिर अचानक आपकी पार्टी के लोग भ्रष्टाचार में घिर जाते फिर आप डीफोकस हो जाते हैं, क्या कारण है इसका?
मुख्तार अब्बास नकवी : देखिए वासिंद्र जी, जो सबसे बड़ा कारण है मैं आपकी बात से सौ प्रतिशत सहमत हूं लेकिन इतनी नकारा सरकार है कि वो एक मुद्दे को हम उठाते हैं एक घोटाले को उठाते हैं दूसरा पीछे खड़ा होता है। एक मुद्दे को हम लेकर के लोगों के बीच जाते हैं, दूसरा जो है वो आसमान पर चढ़ के देखने लगता है। हम महंगाई की बात करते हैं तो ह्रष्टाचार आ जाता है। भ्रष्टाचार की बात करते हैं तो आतंकवाद आ जाता है, आतंकवाद की बात करते हैं तो माओवाद आ जाता है तो ये सरकार तो एक नाकामियों का पुलिंदा है और अफसोस की बात तो ये है कि अब ये जश्न मना रहे हैं, अपनी कामयाबी का तो जिस तरह का माहौल है। उस तरह के माहौल में जो आप बात कर रहे हैं कि विपक्ष, हमने जो है वो महंगाई को लेकर भारत बंद किया, हमने पूरे देश में सब जगहों पर आंदोलन किए, संसद से लेकर सड़क तक आवाज उठाई उसके बाद घोटालों के मुद्दे आए, टूजी आया हो, कोल ब्लॉक आवंटन आया हो ये एक लंबी ऋंखला है, उसकी कोई गिनती नहीं है, तो हर मुद्दे पर विपक्ष की एक जिम्मेदारी है कि हम उस सरकार को इस बात के लिए दबाव डालें की भईया ये जो जन-धन की लूट हो रही है इसको रोको। आपको याद होगा कि जब सिर्फ जो है वो जेपीसी बनाने की मांग को लेकर के 17 दिन संसद नहीं चली इन्होंने कहा नहीं बनाएंगे। संसद खत्म होते ही दूसरे दिन इन्होंने बना दी।
वासिंद्र मिश्र: सबसे अहम जो सवाल है, वो यही है कि जो भी पार्टी सत्ता में रहती है वो चाहे एनडीए हो और आज यूपीए है उसकी कोशिश होती है कि रोज एक नया मुद्दा उछाला जाए जिस मुद्दे पर वो घिरती नजर आती है। खुद को उसे ध्यान डायवर्ट करने के लिए चाहे विपक्ष हो या देश की जमता हो कोई नया मुद्दा उछालते हैं, लेकिन यह मेच्योरिटी तो विपक्ष की होनी चाहिए, आज की तारीख में बीजेपी को सत्तारूढ़ पार्टी के ट्रैप में नहीं आना चाहिए लेकिन देखा जा रहा है कि जब जब सत्तारूढ़ दल चाहता है तब-तब बीजेपी और बीजेपी के घटक दल वो ट्रैप में आ जाते हैं और वो अपना काम धीरे से आसानी से करके निकल जाते हैं?
मुख्तार अब्बास नकवी : ये ऐसी सत्ताधारी पार्टी है जो उपलब्धियों के अवसर पर नाकामियों का नगाड़ा बजा रही है। अब जिसमें उपलब्धिया जीरो हो और भ्रष्टाचार, नाकामियों और घोटालों में वो हीरो हो तो उसके बाद अब दिक्कत जो हो गई है। हम अगर विपक्ष के नाते चाहते हैं कि एक मुद्दा हो जो मुद्दा वास्तव में सबसे ज्यादा परेशान कर रहा है लोगों को वो है महंगाई, बेरोजगारी, उसके कारण क्या है उसके जो जड़ में क्या है, जड़ में करप्शन है, जड़ में जन-धन की लूट है और जनधन की लूट के बारे में केवल विपक्ष नहीं कह रहा है तमाम संवैधानिक संस्थाओं ने इस बारे में कहा। ये बात सही है कि आज मीडिया का युग है, इलेक्ट्रानिक मीडिया का युग। इलेक्ट्रानिक मीडिया पर विशेष तौर से एक मुद्दा आता है वो कुछ दिनो तक चलता है फिर गायब हो जाता है। फिर दूसरा आता है कुछ दिन तक चलता है गायब हो जाता है, लेकिन मैं मानता हूं कि इस देश की जनता की याद्दाश्त इतनी कमजोर नहीं है कि जो इतनी बड़ी ऋंखला इन भ्रष्टाचार घोटालों जन-धन की लूट भी है उसको लोग भूल जाएंगे और इस सरकार को जो है फिर से जनादेश दे देंगे।
वासिंद्र मिश्र : ये सच है कि जनता कि जो मेमोरी है याददाश्त है इतनी क्षणिक नहीं है लेकिन जो रोल विपक्ष को निभाना चाहिए जिस कनविक्शन और सक्रियता के साथ उन महत्वपूर्ण मुद्दों पर हैमर करना चाहिए उसमें आपको कमी नजर नहीं आती है?
मुख्तार अब्बास नकवी : नहीं कमी तो बिल्कुल नहीं है लेकिन देखिए एक चीज तो कभी-कभी होता रहता है। कहते हैं न कि लिहाज आंख का रिश्तों का डर नहीं होता जब एक शख्स के हाथों में घर नहीं होता तो कभी-कभी ये चीजें होती हैं लेकिन उसके बावजूद भी तमाम ऐसे सवाल हैं जिन सवालों को बखूबी और मजबूती के साथ लोगों के बीच में लेकर गए हैं, और एक तरफ भाजपा को एक मजबूत सशक्त और प्रभावी विकल्प के रूप में हम देश के लोगों के सामने लाने में कामयाब हुए हैं।
वासिंद्र मिश्र : ये बहुत अच्छी बात आपने कही अभी जो एक दो लाइने आपने शायरी बोली हैं हम इसी बात से अपनी बात शुरू करना चाहते हैं, दुबारा क्या अटल -आडवाणी का जो एरा था, उसमें जो एक कनविक्शन जो एक डिसिप्लिन एक फोकस्ड एजेंडा दिखता था, उसमें आपको कमी नजर आ रही है, उनके न रहने की वजह से?
मुख्तार अब्बास नकवी : अटल जी और आडवाणी जी का जो एक युग था ये बात एक मान के चली जाती थी कि अटल जी आडवानी जी का जो शब्द है वो अंतिम शब्द है और सारे मुद्दे सारे विवाद सारी समस्याएं और बड़े से बड़े आपसी मनमुटाव वो जो हैं वो अटल जी आडवाणी जी के दरवाजे पर और उनकी अदालत में जाकर के उनका समाधान हो जाता था अब भी हमारे पास जो नेतृत्व है जिनको अटल जी और आडवाणी जी ने उंगली पकड़ कर राजनीति की पथरीली, कंटीली और उबड़खाबड़ राहों पर चलना सिखाया है, और आज इस बात का भारतीय जनता पार्टी को गर्व है कि आज जो हमारे पास लीडरशिप है जिस लीडरशिप की देश में एक्सेप्टिबिलिटी भी है और कैपिबल भी है, देश को चलाने का और संगठन को चलाने का माद्दा रखती है।
वासिंद्र मिश्र : कहीं ऐसा तो नहीं कि ज़्यादा जोगी मठ उजाड़ वाली स्थिति बन गई है इस समय भाजपा की?
मुख्तार अब्बास नकवी : नहीं ऐसा नहीं है देखिए अटल जी, आडवाणी जी का आपने एक युग कहा, अब वो भी एक दिन में तो नहीं बने थे तो आने वाले दिनों में केंद्र बिंदु कोई न कोई हो जाएगा और वो केंद्र बिंदु फिर से एक बार और बेहतर तरीके से संगठन भी और देश को भी चलाने की क्षमता रखेगा।
वासिंद्र मिश्र : अच्छा मुख्तार भाई एक बात आम रही है, धारणा है जब हम लोग पढ़ते थे तब से आप और हम लगभग साथ-साथ हम लोगों ने अपना करियर शुरु किया है। उस समय कहा जाता था कि बीजेपी का जो हेडक्वार्टर है पहले जनसंघ हुआ करता था, फिर बीजेपी, नागपुर से चलती थी और नागपुर एक तरह से पेरेंट ऑर्गनाइजेशन है। संघ बीजेपी का अब एक नया पॉवर सेंटर डेवलेप हो गया है अहमदाबाद। अब कहा जा रहा है कि नहीं जो पावर सेंटर है वो नागपुर से हटकर अहमदाबाद चला गया है तो क्या जो दिल्ली में बीजेपी का मुख्यालय है वो एक महज कैंप ऑफिस है या पोस्ट ऑफिस के रुप में काम कर रहा है?
मुख्तार अब्बास नकवी : देखिए बीजेपी का पॉवर सेंटर कहीं नहीं रहा है, बीजेपी का पॉवर सेंटर जो बीजेपी का खेत खलिहानों में चौक-चौराहों, चौपालों पर खड़ा हुआ आखिरी कार्यकर्ता है वो है क्योंकि बीजेपी एक कार्यकर्ता आधारित पार्टी है, कैडर बेस पार्टी है और जो बीजेपी का पावर सेंटर है। वो हां कांग्रेस पार्टी का पॉवर सेंटर जो है वो श्रीमती सोनिया गांधी हो सकती हैं, राहुल गांधी हो सकते हैं, प्रियंका गांधी हो सकती हैं लेकिन बीजेपी में ऐसा कोई नहीं है। जहां तक सवाल है आप अहमदाबाद का अर्थ है आपका नरेंद्र मोदी जी, ये बात सही है नरेंद्र मोदी जी आज बहुत पॉपुलर लीडर हैं और न केवल बीजेपी में बीजेपी कार्यकर्ताओं में, देश में और देश बहुत उम्मीद के साथ न केवल उम्मीद बल्कि विश्वास यकीन के साथ पूरे कॉन्फिडेंस के साथ इस बात को देख रहा है कि भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में देश के सामने जो चुनौतियां और संकट खड़े किए गए हैं इन पिछले साढ़े 9 पौने 10 साल में उस संकट से देश निजात पाएगा और आज जिस तरह का एक अविश्वास का माहौल है देखिए सरकार का इकबाल पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है। ये जितनी क्राइसिस है, ये क्राइसिस कोई प्राकृतिक क्राइसिस नहीं है हर बार आप पार्लियामेंट में भी बताते हैं कि हमारे जो खाद्यान्न हैं वो रिकॉर्ड हो रहे हैं इतने खाद्यान्न जो हैं इससे पहले कभी नहीं हुए चाहे गेहूं हो चाहे चावल हो चाहे दालें हों चाहे चीनी हो, सारी चीजें उसके बावजूद भी आप कहते हैं किसी हम गरीबों के चौके चूल्हे तक, गरीबों की थाली तक जो है वो है वो नहीं पहुंचा पा रहे हैं और आपको ये मजबूरी हो गई कि आपने साढ़े नौ सालों तक गरीबी फैलाई, भुखमरी फैलाई अब कहते हैं कि हम फूड सिक्योरिटी देंगे तो ये जो सवाल है इसका एक ही जवाब दिखता है और वो दिखता है कि एक मजबूत राष्ट्रवादी राजनैतिक इच्छाशक्ति वाला व्यक्ति और पार्टी जो इस देश में सत्ता में आए और कुशासन से देश को मुक्त कराए।
वासिंद्र मिश्र : ये अच्छी बात है कि लाइन ऑफ कमांड अगर तय हो रहा है पार्टी के अंदर तो ये खुशी की बात है लेकिन मुझे लगता है कि धीरे-धीरे स्टाइल ऑफ वर्किंग कहीं कांग्रेस पार्टी की तरफ तो नहीं की जा रही है। उदाहरण के तौर पर हम आपको बता रहे हैं कि आपकी पार्टी में तमाम बड़े नेता किसी भी जो बर्निंग इश्यू आता है देश में हाल में आसाराम बापू का मामला आया, आसाराम बापू पर आपकी पार्टी के कई बड़े नेता आपके काफी घनिष्ठ जिनसे रिश्ते रहे हैं, वो लोगों ने आसाराम के बचाव में बयानबाजी शुरू कर दी है। फिर अचानक एक चिट्ठी आती है अहमदाबाद से आपकी पार्टी के अध्यक्ष के पास कि इसमें बोलना नहीं चाहिए और कानून को अपना काम करने देना चाहिए। तो दूसरे दिन से पूरी की पूरी पार्टी राजस्थान विधानसभा से लेके दिल्ली तक ये बयान देने लगती है कि कांग्रेस बचा रही है आसाराम बापू को। तो ये जो स्टाइल ऑफ फंक्शनिंग है ये आज गलत रास्ते पर जा रहे हैं?
मुख्तार अब्बास नकवी : देखिए पहली बात तो ऐसी कोई चिट्ठी मीडिया में मैंने भी पढ़ा नहीं आई जिस समय आसाराम बापू जी के प्रकरण में ये सवाल मीडिया के सामने जानकारी हम लोगों को आई सबसे पहला पार्लियामेंट में मैंने रिएक्शन दिया था और मैंने कहा था कि कानून को अपना काम करने देना चाहिए। न इसमें किसी तरह का राजनैतिक पूर्वाग्रह दिखना चाहिए और न राजनीति होनी चाहिए और दूसरी चीज हमने कहा था कि कानून किसी के भी लिए बराबर है। चाहे वो साधु हों, संत हों चाहे शैतान इसलिए जो है वो किसी तरह की कोई राजनीति इसमें नही की जानी चाहिए। ये बात हमने कही और यही बात पार्टी ने भी कही, कुछ हमारे पार्टी के लीडर्स ने जरूरी बात कही थी और उसके पीछे अपने कारण थे। उनकी अपनी जानकारी के आधार पर कही थी लेकिन जहां तक इस पूरे प्रकरण का सवाल है पार्टी की एक ही लाइन थी कि कानून को अपना काम करने देनी चाहिए इसमें न किसी को बचाने का सवाल और न फंसाने का।
वासिंद्र मिश्र : मुख्तार भाई हम लोग विराम पर जाने से पहले बात कर रहे थे कि आपके दल के कुछ लोगों ने आसाराम बापू का बचाव किया अभी कल एक बयान आया अचानक इंडियन मुजाहिद्दीन के बारे में समाजवादी पार्टी की तथाकथित या कहें कि जो एक नेता हैं डा. फारूखी, उन्होंने बयान दे दिया कि क्या जो आतंकवादी पकड़े गए हैं उनको इसलिए पकड़ा गया है क्योंकि उनका मजहब इस्लाम है तो फिर ये जो बयानबाजी है आप इन चीजों से ऊपर हैं, लगातार आपने उस दौर में विरोध झेला जबकि किसी को कल्पना भी नहीं थी कि बीजेपी कभी सत्ता में भी आएगी, जब आपने बीजेपी या इस तरह के जो आप कह सकते हैं कि आपकी नजर में सही विचारधारा लगे उसका साथ दिया, कौम की चिंता नहीं कि किसी की परवाह नहीं कि आपने। आज जो राजनीति हो रही है चाहे वो आपके दल के कुछ लोग करें, चाहे समाजवादी पार्टी के लोग करें या कांग्रेस के करें, कभी दिग्विजय जी बोलते हैं कभी समाजवादी पार्टी के लोग बोलते हैं, जवाब में आपके दल के लोग बोलने लगते हैं, आप इसको एक अच्छा संकेत मानते हैं डेमोक्रेसी के लिए या किसी भी देश के लिए?
मुख्तार अब्बास नकवी : नहीं न तो देश के लिए अच्छा है देखिए आतंकवाद आतंकवाद है अब आतंकवाद को अगर कांग्रेस पार्टी या उसके होम मिनिस्टर पार्लियामेंट या कांग्रेस के किसी अधिवेशन में कहें कि आतंकवाद तो भगवा था। फिर हम कोई कहे कि आतंकवाद तो हरा था फिर कोई कहे कि आतंकवाद तो पीला था आतंकवाद आतंकवाद है, आज पूरी दुनिया को ये बात मालूम है , बारत को ये बात मालूम है कि आतंकवाद की फैक्ट्री कहा है पाकिस्तान में है हर दिन उस फैक्ट्री से आतंकवादियों का उत्पादन हो रहा है, अब हम जो हैं वो आतंक के बादल से अमन की बारिश की उम्मीद कर रहे हैं, वो कहते हैं कि बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है, वो जो है वो बंदूक लेके खड़े हुए हैं वो जो हैं वो मिसाइल ले के खड़े हुए हैं, आतंकवाद का पूरा एक जखीरा लिए खड़े हुए हैं, तो आज जो है आपको वासिंद्र जी बताऊं 3-4 महीने का वेट करिए 3-4 महीनों में पाकिस्तान में घुसे आतंकवादी या भारत के दुश्मनों को चूहे के बिल से निकाल कर मारा जाएगा क्योंकि ये वक्त आ गया है ये वक्त केवल ये कहने के लिए कि आतंकवादियों को हमें दे दो , वो देने वाला नहीं है, अब जो है वो वक्त आ गया है कि जो भारत के दुश्मन पाकिस्तान में छुपे हुए हैं चाहे वो आतंकवादी हों चाहे वो भारत के दुश्मन हों उनको चूहे के बिल से बाहर निकालो, अगर पाकिस्तान नहीं करता ये काम, अमेरिका ने किया, अमेरिका ने अपने दुश्मन को बिन लादेन को पाकिस्तान की धरती पर ही मारा जिस वक्त दिग्विजय सिंह और कांग्रेस पार्टी दुखी हुई थी, रोई थी कहा था कि साहब ओसामा जी को बहुत बुरा किया तो ये जो इस तरह का मांइड है सरकार है। जिस सरकार के अंदर इस तरह की इच्छाशक्ति नहीं होगी, तो आतंकवाद बढ़ेगा, माओवाद बढ़ेगा, आज माओवाद क्यों हो गया है, जहां तक सवाल इस तरह के जो बयान हैं, अब आप देखिए उत्तर प्रदेश में सरकार आती है, अब ठीक है जो बेगुनाह हैं उन्हें नहीं पकड़ा जाना चाहिए। हर मुसलमान की दाढ़ी और टोपी पर मेड इन अलकायदा का ठप्पा नहीं लगना चाहिए, लेकिन जो आतंकवादी हों चाहे हिंदू हों या मुसलमान हों या सिख हों या इसाई हों, वो आतंकवादी हैं उसे मजहब या धर्म या क्षेत्र से नहीं जोड़ सकते। अब आपने आते ही पोटा खत्म कर दिया, साहब इसका तो दुरुपयाग हो रहा है। फिर इसी केंद्र सरकार ने सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया और इसी केंद्र सरकार के रहते हमने इंडियन मुजाहिद्दीन का नाम सुना, इसी केंद्र सरकार के रहते हुए तमाम तरह के अलग-अलग रंग अलग-अलग रूप में आतंकवादी देखे और उसके बाद आज जो है ये सरकार अपने को सेकुलर कहती है क्योंकि इनको ये लगता है कि इस तरह का माहौल बना के डरा के वोटों का अच्छी तरह से एक्सप्लाइटेशन किया जा सकता है। आतंकवाद पर ठीक है, आप वोट की पॉलिटिक्स कर सकते हैं, लेकिन आतंकवाद पर देश की शर्त पर आतंकवाद और राष्ट्रदोही गतिविधियों के कंधे पर बैठकर सत्ता के सिहांसन पर पहुंचना या सत्ता के सिंहासन पर बने रहना ठीक नहीं है।
वासिंद्र मिश्र : हमारे सामने दो तरह के उदाहरण हैं, दोनों कम्यूनिटी की तरफ से देश के गृहमंत्री का बयान आता है हिंदू टेररिज्म है। अगर देश के किसी हिस्से में विस्फोट होता है और उस आरोप में दर्जनों निर्दोष लोग गिरफ्तार कर लिए जाते हैं तो एक साल से लेकर दो साल तक मुकदमे चलते हैं, जांच होती है और एक दिन अचानक NIA या कोई भी जांच एजेंसी कोर्ट में कह देती है कि मुझे इनकी ज़मानत या रिहाई से कोई ऐतराज़ नहीं है क्योंकि मेरे पास इनके विरुद्ध कोई एवीडेंस नहीं है। वो हिंदू समुदाय के लोग होते हैं, ठीक वही जांच एजेंसियां किसी विस्फोट के बाद या किसी घटना के बाद अल्पसंख्यक समाज के या सीधे कहें कि मुस्लिम समाज के तमाम निर्दोष लड़कों, नौजवानों को गिरफ्तार कर लेती हैं। साल, दो साल तीन साल जेलों में रखते हैं और इसके बाद जमकर वोट की राजनीति होती है। जहां सूट करता है वहां हिंदू टेररिज्म की बात होती है। वहां अल्पसंख्यक आतंकवाद की बात होती है या मुस्लिम आतंकवाद की बात होती है और उसके बाद एक दिन फिर अदालत में एक अर्ज़ी दी जाती है कि मेरे पास इन मुस्लिम नौजवानों के खिलाफ कोई प्रमाण नहीं है और वो ज़मानत पर छूट जाते हैं। वो चाहे हिंदू नौजवान हों, हिंदू साधु संत हों या मुस्लिम मौलवी या मौलाना ये जवाबदेही कब तय होगी कि कोई भी जांच एजेंसी किसी भी व्यक्ति को मनमाने ढंग से पहले गिरफ्तार कर ले। साल दो साल पहले जेल में रखे और उसके बाद एविडेंस प्रोड्यूस करने की जब बात आए तो कोर्ट में हाथ खड़े कर दे, कह दे कि मेरे पास कोई प्रमाण नहीं है। ऐसी जांच एजेंसियों के विरुद्ध, ऐसी सरकारों में बैठे जिम्मेदार लोगों के विरुद्ध जो इस तरह की गैरजिम्मेदाराना हरकत करते हैं उनकी जवाबदेही कब तय होगी। आप लोगों की तरफ से कोई बिल, प्राइवेट बिल इस तरह की प्रक्रिया क्यों शुरु नहीं होती?
मुख्तार अब्बास नकवी : ये बहुत बड़ी बात आपने कही, ये बात बिल्कुल सही है जब कोई किसी भी मोहल्ले से किसी भी इलाके से, किसी भी शहर से कोई व्यक्ति आतंकवाद के इल्जाम में पकड़ा जाता है तो मीडिया से लेकर पूरी दुनिया में उसका शोर मच जाता है, ट्रायल हो जाता है। वो तो गया जेल में उसका परिवार, उसका एरिया उसका वो शहर उसको वो मोहल्ला, उसका वो इलाका, दर्द सहता है और इसका अंदाज़ा किसी को नहीं है और क्योंकि ये धारणा बन गई है पिछले आठ नौ सालों में कि मुस्लिम आतंकवाद बहुत तेजी से फलफूल रहा है। उसके लिए अमेरिका की मेहरबानी ज्यादा है, हमारी सरकार अमेरिका की बहुत अच्छी पिछलग्गू भी है, उसके साथ चलती रहती है, इससे जो हमारे संत हैं या धार्मिक लोग हैं या संगठन के लोग पकड़े जाते हैं, फिर भी उनको कम से कम उतना दर्द नहीं सहना पड़ता, क्योंकि परसेप्शन ये है कि भई ये नहीं हो सकता, लेकिन ये एक प्रशप्शन बन गया है कि साहब ये पकड़ा गया, इस नाम से पकड़ा गया और इस धर्म का है जरूर हुआ होगा ये बहुत बड़ा सवाल आपने जो है किसी भी डेमोक्रेटिक कंट्री में किसी भी सेकुलर कंट्री में बहुत बड़ा प्रश्न खड़ा होता जा रहा है, इसलिए किसी को भी पकड़ा जाय बहुत छानबीन के बाद पकड़ा जाय पूरी सच्चाई और पुख्ता सबूतों के बिना ना पकड़ा जाए। ये स्थिति नहीं होनी चाहिए कि आपने उसके 6-7 साल जेल में रखा और 8 वें साल में आपने एप्लीकेशन कोर्ट में दे दी के साहब हमसे गलती हो गई तो जिससे भी गलती हुई उसको इसकी सज़ा मिलनी चाहिए।

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वासिंद्र मिश्र : मैं यही आपसे जानना चाह रहा हूं कि आप लोग सार्वजनिक जीवन में हैं, सत्ता में रहते हैं, आप मंत्री बनते हैं, आपके दस्तखत से फैसले होते हैं, उसमें से कुछ फैसले ऐसे हैं जो कभी जांच के दौरान पाया जाता है कि गलत हैं, जबकि वह फाइल पूरा प्रोसेस होके आती है, और एक मंत्री के नाते आपके दस्तखत होते हैं, उसके लिए तमाम अधिकारी और कर्मचारी जिम्मेदार होते हैं, बावजूद इसके आपकी जवाबदेही होती है, और उस दौर में जो भी फैसले होते हैं उसके लिए आप लोग जांच प्रक्रिया का सामना करते हैं, तमाम आज की तारीख में ऐसे नेता हैं, सभी दलों में जो इस तरह की जांच प्रक्रिया से गुजर रहे हैं, उनकी जवाबदेही है, लेकिन ये जांच एजेंसियां, इनके अधिकारी इस तरह की ग़ैरजिम्मेदाराना हरकत करते हैं, ये आराम से क्लीन चिट, इनको मिल जाती है, पूरी नौकरी करते हैं, रिटायरमेंट का सारा फंड लेते हैं, फिर भी इंप्लायमेंट की पा जाते हैं, और उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं होती है?
मुख्तार अब्बास नकवी : हां आपने बहुत बड़ी बात कही है, देखिए मैं इसके पक्ष में तो नहीं हूं, कि नेशनल सिक्योरिटी, इंटरनल सिक्योरिटी जैसे मुद्दों पर अधिकारियों के काम में हस्तक्षेप किया जाय, लेकिन इस तरह के बड़े फैसले हैं कि आपको इंफॉर्मेंसन आई उसके बाद आपको लगा कि ये व्यक्ति है, वो व्यक्ति 4 व्यक्ति, 10 व्यक्ति एंटी नेशनल एक्टिविटी में, टेररिस्ट एक्टिविटी में शामिल है, उस जानकारी को आप गिरफ्तार करने से पहले कम से कम उस मिनिस्टर से शेयर करते होंगे, होम मिनिस्टर को शेयर करते होंगे, या जो भी और प्रक्रिया है, अगर मिनिस्टर को शेयर किया, मिनिस्टर ने देखा और उसने कहा कि ये रिपोर्ट ठीक है तो ये बात आपकी सही है कि किस तरह घोटालों में केवल अधिकारी नहीं जानता, मंत्री तक वो बात पहुंच गई है, इसलिए ये जरूरी है कि जवाबदेही जो है वो मिनिस्टर तक होनी चाहिए कि आपने साधु-संतों को जेल भेज दिया, कह दिया कि वो आतंकवादी है, बाद में कुछ मिल नहीं रहा है।
वासिंद्र मिश्र : बैलेंस करना था?
मुख्तार अब्बास नकवी : बैलेंस करना था आपको क्योंकि दो मुस्लिम आतंकवादियों को पकड़ना था तो आपने कहा हम हिंदू आतंकवादी पकड़ लेंगे और हम कहेंगे कि हम तो बराबर हैं आतंकवाद में। यहां पर कोई स्कोर हो रहा है या कोई फुटबॉल मैच हो रहा है क्या कि उसमें जो है वो गुगली फेंक दी और उसने जो है गोलकर दिया ये जो कुछ हो रहा है अगर राजनीति इसमें करनी है तो इसमें राजनीति का अंत नहीं है, लेकिन इसमें जो है आपकी बात से हम सहमत हैं कि जवाबदेही मिनिस्टर तक होनी चाहिए और आगे अगर जरूरत हो प्राईमिनिस्टर तक बननी चाहिए।
वासिंद्र मिश्र : दूसरा आपने कहा कि 3-4 महीने इंतज़ार कीजिए, उसके बाद एक तरह से एग्रसिव एक्शन देखने को मिलेगा। इसमें आपका आत्मविश्वास है इसके पीछे लॉजिक क्या है। आपको लग रहा है कि 4 महीने बाद देश में चुनाव होने जा रहे हैं?
मुख्तार अब्बास नकवी : चुनाव भी हो रहा है और इस कुशासन से देश को मुक्ति भी मिलने वाली है और इस तरह के कमज़ोर नेतृत्व से भी देश को मुक्ति मिलेगी और निश्चित तौर से आज देश के सामने महंगाई एक चुनौती है। जहां पर आर्थिक एक चुनौती है वहां आतंकवाद उससे भी बड़ी चुनौती है। अभी कितनी घटनाएं तो आपको पता ही नहीं चलती। माओवाद, आतंकवाद ने एक दूसरे से खतरनाक गठजोड़ कर लिया है। पाकिस्तान की सीमाओं पर अलकायदा के सारे ट्रेनिंग कैंप चल रहे हैं। वो जमात-उद-दावा के नाम से चल रहे हैं और वो सारे के सारे जमात उद दावा को पूरी दुनिया में आतंकी संगठन घोषित किया हुआ है और
हाफिज सईद जमात-उद-दावा का मुखिया बना हुआ है वहां पर पाकिस्तान में रोज़ स्पीच देता है। रोज़ भाषण करता है, आप लोग टेलीविजन पर
दिखाते हैं और पाकिस्तान कहता है वहां है नहीं तो ये जो तमाम ऐसे सवाल हैं इन सवालों को तो आप, ये तो छिपी हुई चीज़ नहीं है ना इसमें जो है ये
पाकिस्तान कहे कि साहब हमारे यहां तो कुछ नहीं हो रहा है। तो वो तो कहेगा कुछ नहीं हो रहा है इसलिए हम एकदम ऐसे सोफ्ट अगर कंट्री बने रहेंगे क्योंकि कई ऐसे सवाल होते हैं जिससे कि देश केवल ये आतंकवाद से मत समझिए कि आतंकवाद हो रहा है। हमारे यहां तो उससे आंतरिक सुरक्षा के सवाल हैं, आर्थिक सवाल भी इसी पर खड़े हो जाते हैं। जो निवेशक हैं वो कहता है कि स्टेबलिटी की दिक्कत है। अब चाइना है, चाइना में तो नहीं होता ये चाइना की इकॉनोमी अगर इतनी स्ट्रांग हुई है तो चाइना भी तमाम ऐसे देशों से घिरा हुआ है जहां पर की इस तरह की अलकायदा की गतिविधियां चल रही हैं लेकिन वहां क्यों नहीं हो पा रहा है और चाइना हमसे छोटा देश नहीं है। हमसे कम आबादी नहीं है उसकी तो इसलिए वो जब तक मजबूत राष्ट्रवादी राजनितिक इच्छाशक्ति नहीं होगी तब तक जो है ये आपको कहना कि जी ये सरकार रहे या जाए ये सरकार गई और दूसरी उससे भी कमज़ोर आ गई तो और देश चौपट हो जाएगी, इसलिए चाहिए कि आज मजबूत एक सुशासन का माहौल बने।
वासिंद्र मिश्र : तो अगर आप इस बात से कनविंस हैं जो मौजूदा नेतृत्व है, पॉलिटिकल नेतृत्व और गवर्नेंस जिस तरह का है वो लाचार है, कमज़ोर है, निकम्मा है हर तरह की खामियां हैं तो आप लोग इसमें अभी इतना संकोच और सकुचा क्यों रहे हैं अपना प्राइममिनिस्ट्रियल कैंडिडेट घोषित करने में?
मुख्तार अब्बास नकवी : नहीं, नहीं कोई सकुचा नहीं रहा है। अब सवाल ये पैदा होता है कि इस वक्त केंद्र में सरकार किसकी है कांग्रेस की, कांग्रेस पार्टी की सरकार है, प्रधानमंत्री कांग्रेस पार्टी का, कांग्रेस पार्टी खुद अपने प्रधानमंत्री को घोषित को घोषित नहीं कर पा रही है कि कौन होगा प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार तो जो सत्ता में पार्टी है वो अपने प्रधानमंत्री को रिपोर्ट नहीं करना चाहती। अपने युवराज को प्रधानमंत्री बनाने की बात नहीं कर सकती या जिसको वो बनाना चाहती है तो बताए। अगर वो इस तरह की वो कोई और प्राइम मिनिस्टर ऑन डैपुटेशन रखना है उनको इसलिए हो सकता है वो ये सोच रहे हों कि अगर देखते हैं कि क्या होता है क्योंकि इस बार एक बात मैं आपको बता दूं, इस बार जो है केंद्र में जुगाड़ और जोड़तोड़ की सरकार नहीं होगी। स्पष्ट जनादेश की सरकार होगी। स्पष्ट जनादेश जनता देने वाली है अब ये नहीं होगा। इनको लिया कहीं का ईंट कहीं का रोड़ा भानुमति से कुनबा जोड़ा, ये नहीं होने वाला है तो इस बार जो है शुद्ध रुप से स्पष्ट जनादेश की सरकार बनेगी। मैं इसलिए कह रहा हूं कि आप इतिहास देख लीजिए यूपी का चुनाव पश्चिम बंगाल का चुनाव तमिलनाडु का चुनाव, असम का चुनाव, जितने भी चुनाव हुए, हिमाचल का चुनाव, उसमें कहीं ये भी जनता ने जोड़ तोड़ जुगाड़ की गुंजाइश छोड़ी नहीं। कहा भैया ऐसा है हम तुम्हें सीधे जनादेश दे रहे हैं और तुमसे जवाबदेही लेंगे।
वासिंद्र मिश्र : इसको अगर हम पॉलिटिकल टर्मनलॉजी में दें तो आप ये कहना चाह रहे हैं कि अभी कोलेशन पॉलिटिक्स का ईरा जो है वो खत्म हो रहा है?
मुख्तार अब्बास नकवी : नहीं, कोलेशन पॉलिटिक्स का ईरा रहेगा, स्पष्ट जनादेश की जब बात करते हैं तो प्री-पोल एलाइंस जो हमारे पहले से सहयोगी रहे हैं रहेंगे, उनके साथ मिलकर के स्पष्ट बहुमत आएगा और हो सकता है कि आनेवाले दिनों में एक-आध महीने में बीजेपी का कुनबा, बीजेपी और एनडीए का एलाइंस जो है वो बहुत बड़ा दिखे और बहुत बड़ा, उसमें लोग जुड़ें।
वासिंद्र मिश्र : आप ये धमका तो नहीं रहे हैं उन दलों को जो फैन सीटर हैं और इस उम्मीद में बैठे हैं कि पोस्ट इलेक्शन हमको एलाइंस करेंगे भैया आना है तो पहले आ जाओ बाद में जगह नहीं मिलेगी?
मुख्तार अब्बास नकवी : नहीं, उनको भी फायदा है और वो उनके जो क्षेत्र हैं, उसमें भी उनका परसेप्शन अच्छा जाएगा, अदरवाइज जो है अपनी ढपली, अपना राग बजाते रहिए, कोई जो है वो आज देश में बदलाव का माहौल है, आज देश में जो है वो हर दिन कांग्रेस के करप्शन के कौफिन में कील ठुक रही है और हर दिन आम-आदमी जो है वो एक नए कांग्रेस के करप्शन के कौफिन में कील ठोकता है तो इसलिए जो है वो इस कील ठोकने में आप शामिल हो गए तो आपको जनता जो है वो सिर पर लेगी। अगर आपने पीछे, बैक बैंचर बनकर कील ठुकती हुई देखने का मज़ा लेते रहेंगे तो मज़ा लेते रहिए।
वासिंद्र मिश्र : आप देश की जनता को ये आश्वस्त कर सकते हैं कि जो 2014 के चुनाव में आपकी पार्टी जाएगी उसके मुख्य मुद्दे क्या होंगे और उसे आप डेविएट नहीं करेंगे क्योंकि अक्सर देखा गया है कि चुनाव के पहले तक पार्टी बहुत आइडियलिजी की बात करती है लेकिन ज्यों-ज्यों चुनाव नज़दीक आता है त्यों-त्यों पार्टी में एत तरह से डेविएशन होने लगता है और डीफोक्स होती जाती है?
मुख्तार अब्बास नकवी : देखिए मुख्य मुद्दा हम आर्थिक, जो व्यवस्था है, उसको ठीक करेंगे, जो देश की जो है वो बदनामी हो गई है उसको ठीक करेंगे, उसको छोड़ दीजिए तीन चीजें हैं महंगाई, महंगाई एक महीने में आसमान से ज़मीन पर आएगी, जो रुपया कंगाल हुआ है और डॉलर मालामाल हुआ है तो रुपया मालामाल होगा। डॉलर इस देश में कंगाल होगा, उसके साथ ही साथ जो है वो बेरोजगारी जो सिर चढ़कर बोल रही है, उस बेरोजगारी के माहौल को खत्म करेंगे और नौजवानों को रोज़गार के अवसर मिले और रोज़गार मिले, इसकी व्यवस्था होगी, ये पहली प्राथमिकता होगी। दूसरी प्राथमिकता होगी जो करप्शन का एक
चौतरफा माहौल है चौतरफा जो है जिधर देखिए, उधर जो है वो हर आदमी खुश है कि ऐसा है जो सत्ता में बैठे हुए हैं सोचते हैं ऐसा सिस्टम तो कहीं देखा नहीं। उसमें जो लोग करप्शन में शामिल हैं या तो वो देश छोड़कर भागेंगे या जेल में होंगे। तीसरी चीज़ जो सबसे बड़ी है, इस सरकार को कोई सरकार इकबाल से चढ़ती है उसका इकबाल जब तक कि आपको याद होगा कि जब अटल बिहारी वाजपेयी जो देश के प्रधानमंत्री थे और 1998 में उन्होंने पोखरण टेस्ट किया था तो उस समय इसी तरह से मार्केट ने उछल-कूद की थी जो सटोरिए थे वो तय करने लगे, अरे साहब ये तो देश बर्बाद हो गया अर्थव्यवस्था चौपट हो गई और बाज़ार ज़मीन पर गया था। उसके साथ ही साथ अमेरिका ब्रिटेन, जापान इसने आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन अटल जी ने कहा कि देश की चिंता हमको है, राष्ट्र के हित हमारे लिए सर्वोपरि हैं। हम इसमें पीछे नहीं हटेंगे और उसके साथ ही मैं उस समय पार्लियामेंट्री अफेयर्स मिनिस्टर था। उसके साथ ही उन्होंने उन सटोरियों को भी संदेश दिया था वो कैसे दिया गया था वो मैं आपको नहीं बता सकता। संदेश दे दिया गया था कि तुम देश की नीति और देश के फैसले तुम तय नहीं करोगे सरकार तय करेगी और देश हित क्या है वो हम जानते हैं। तुम ये उछलकूद बंद करो और मार्केट में ये सब चीजें जो सटोरेबाजी हो रही है। बंद करो, 24 घंटे के अंदर मार्केट स्टेबलाइज हुआ और ज़्यादा से ज़्यादा 20 दिन में सारे बड़े-बड़े देशों ने प्रतिबंध सबने वापस ले लिया। किसी ने माफी नहीं मांगी थी, इसलिए सरकार का इकबाल जरूरी है।
वासिंद्र मिश्र : लेकिन इस समय तो कहा जा रहा है कि वो सारे सटोरिए जो हैं या जो वो घराने जो शेयर मार्केट को नीचे ऊपर करते हैं, अपने सुविधानुसार अपने पॉकेट भरने के लिए वो सब आज की तारीख में आपकी पार्टी के साथ हैं?
मुख्तार अब्बास नकवी: अरे भैया पकड़ो उनको, अगर उनकी वजह से देश की इकोनॉमी चौपट हो रही है तो हमने तो नहीं मना किया हमारे हैं तब भी पकड़ लो, उनको ठीक करो। अगर आप इकोनॉमी, आप तो पार्लियामेंट में कहते हैं बीजेपी की वजह से हो रहा है, अब प्रधानमंत्री जी से हमारी एक्सपेक्टेशन थी, देश को भी वो अपेक्षा थी, प्रधानमंत्री कहेंगे कि भई जो संकट आया है, महंगाई कैसे दूर होगी आर्थिक आपदा कैसे ठीक होगी, आप कैसे जो हैं देश को जो है पटरी पर लाएंगे। वो सब कहने की बजाए आप कह रहे हैं सब बीजेपी ने किया है तो भैया बीजेपी ने किया है तो दो महीने बाद बीजेपी आएगी तो वो सब ठीक करेगी। आप चिंता नहीं करो, आज जो है देश चाहता है मुक्ति...। धन्यवाद!
First Published: Monday, September 2, 2013, 14:13