Last Updated: Tuesday, April 9, 2013, 15:23
प्रवीण कुमारलगता है पूरी की पूरी कांग्रेस पार्टी `मोदी फोबिया` से ग्रस्त हो गई है, इसीलिए कांग्रेस के दिग्गज नेता एक सुर में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को कोसने में लगे हैं। एक कांग्रेस नेता ने तो मोदी को यमराज तक कह डाला। एक और दिग्गज नेता जो कैबिनेट मंत्री भी हैं ने सारी हदें तोड़ते हुए मोदी को गुजरात का लोकल दादा करार दे दिया। आमतौर पर नरेन्द्र मोदी पर कांग्रेस के नेता हमला करने का कोई भी मौका नहीं गंवाते, लेकिन उनके द्वारा भारत मां का कर्ज चुकाने की बात कहने के बाद तो कांग्रेसी हमलों की बाढ़ सी आ गई है। नरेंद्र मोदी ने कहा था `हर बच्चे का कर्तव्य है कि वह ‘भारत माता’ का कर्ज चुकाए। न सिर्फ मोदी बल्कि हर बच्चे और नागरिक का भारत माता के प्रति ऋण है। यह उसका कर्तव्य है कि जब भी अवसर आए, वह उसे चुकाए।` हम यहां उन चंद बयानों पर गौर करेंगे जिसमें मोदी के इस बयान के बाद कांग्रेसी नेताओं ने सार्वजनिक रूप से मोदी पर हमले किए हैं।
-कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने मोदी तुलना यमराज से की। दरअसल अल्वी से पत्रकारों ने राहुल गांधी के उस बयान पर प्रतिक्रिया मांगी थी जिसमें उन्होंने सीआईआई की बैठक में मोदी पर निशाना साधते हुए कहा था कि कोई आदमी घोड़े पर सवार होकर आए और लोगों की समस्या हल कर दे ऐसा नहीं होने वाला है। इसपर अल्वी ने कहा कि अगर राहुल को मोदी के बारे में कुछ कहना होता तो वह भैंसे की सवारी की बात कहते, क्योंकि यमराज भैंसे की सवारी करते हैं।
-सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी की बयान बेहद आपत्तिजनक था। एक तरह से सांप्रदायिक बयान भी इसे कह सकते हैं। तिवारी ने कहा, `कहीं ऐसा न हो जाए कि मोदी पूरे देश में गुजरात वाली घटना को दोहरा दें। मुझे गुजरात के मुख्यमंत्री की मंशा पर चिंता होती है। शायद भारत में या भारत के बाकी हिस्सों में उनकी वही करने की मंशा हो जो उन्होंने गुजरात में 2002 में किया।’
-यूपीए सरकार में दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल भी अपने बयानों की वजह से कांग्रेस के उस्ताद माने जाते हैं। सिब्बल ने नरेंद्र मोदी पर अपने ताजे हमले में कहा कि मोदी केंद्र की राजनीति में आना चाहते हैं, लेकिन वह लगते हैं लोकल दादा की तरह।
-कांग्रेस सांसद संदीप दीक्षित कहते हैं कि नरेन्द्र मोदी अहंकारी व्यक्ति हैं। मां का कर्ज कोई भी व्यक्ति नहीं चुका सकता। संदीप दीक्षित दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे हैं और राहुल गांधी के करीबी भी माने जाते हैं।
-कांग्रेस सांसद हरीश रावत ने भारत मां का कर्ज चुकाने के मोदी के बयान पर कहा कि मोदी के लिए सबसे बड़ी बाधा उनकी अपनी सोच है। हरीश रावत उत्तराखंड से सांसद हैं और सोनिया व राहुल के खासमखास माने जाते हैं।

दरअसल देश चुनावी मोड में आ गया है। देश की दो राष्ट्रीय पार्टियां कांग्रेस और भाजपा मैदान में खुलकर बल्लेबाजी करने लगी है। हालांकि 2014 में होने वाले लोकसभा चुनावों में अभी लगभग एक साल का वक्त बाकी है। लेकिन इन दोनों ही पार्टियों के नेताओं नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी के बीच अघोषित तौर पर `जंग का एलान` हो चुका है। लेकिन कांग्रेस नेता यह नहीं चाहते कि नरेंद्र मोदी गुजरात की सीमा से बाहर आएं। कांग्रेस कहीं न कहीं `मोदी फोबिया` से ग्रस्त दिख रही है। उसे लगता है कि अगर एक बार मोदी केंद्रीय राजनीति में आ गया तो फिर जिस तरह से गुजरात से कांग्रेस का सफाया हो गया है, कहीं केंद्र की सत्ता से भी बेदखल न होना पड़ जाए।
मोदी और राहुल के बीच अघोषित जंग से इस बात के संकेत लगातार मिल रहे हैं कि यह मुकाबला अमेरिकी चुनाव जैसा हो सकता है, जहां राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बहस में शरीक होकर राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करते हैं। अमेरिकी नागरिकों की भी दोनों प्रत्याशियों पर पैनी नजर होती है। कुछ इसी तरह की भावनाएं भारतीय लोकतंत्र में भी नरेन्द्र मोदी और राहुल गांधी को लेकर दिखाई दे रही है। इस मुकाबले में राहुल गांधी के पक्ष में जो सबसे बड़ी बात दिखाई देती है, वह यह कि वे युवा हैं और पूरी कांग्रेस पार्टी उनके पीछे एकजुट होकर खड़ी है। पार्टी में उनकी प्रधानमंत्री पद पर ताजपोशी के लिए आवाजें भी बुलंद होती रहती हैं। लेकिन उनमें आत्मविश्वास की बेहद कमी है। उन्हें किसी बड़े पद पर काम करने का अनुभव नहीं है। जनता के बीच अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाते।
दूसरी ओर नरेन्द्र मोदी की छवि विकास पुरुष की है और आत्मविश्वास उनके अंदर कूट-कूट कर भरा हुआ है। लंबा राजनीतिक अनुभव है गुजरात से लेकर केंद्र की राजनीति तक का। दुनिया भर में हर वर्ग के लोग नरेंद्र मोदी के भाषण शैली के मुरीद हैं। एक जमाने में लोग अटल के भाषण के मुरीद थे और आज लोग नरेंद्र मोदी के भाषण के मुरीद हैं। गांधीनगर में मोदी के भारत माता के कर्ज चुकाने संबंधी बयान के यही मायने निकाले जा रहे हैं कि मोदी केंद्र की सक्रिय राजनीति में पदार्पण कर रहे हैं। भाजपा ने संसदीय बोर्ड में शामिल करके मोदी की महत्वाकांक्षा पर एक तरह से मुहर लगा चुकी है। मोदी निश्चित रूप से जनाधार वाले नेता हैं। अच्छे वक्ता हैं और लोग उनकी बातों को ध्यान से सुनते भी हैं, लेकिन दिक्कत सिर्फ यह है कि उनके पीएम पद की उम्मीदवारी पर खुलकर कोई समर्थन नहीं कर रहा है। कांग्रेसी नेताओं की तरह भाजपा के कुछ आला नेता आखिर क्यों मोदी फोबिया में जी रहे हैं यह समझ से परे है। पार्टी को इसपर मंथन करना चाहिए।
हां, यह बात तय है कि अगर भाजपा नरेंद्र मोदी को देश के अगले प्रधानमंत्री के लिए उम्मीदवार घोषित करती है तो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में दरार पड़नी तय है, लेकिन पार्टी को इस बात पर मंथन करना चाहिए कि मोदी के नाम पर भाजपा `एकला चलो रे` की नीति क्यों नहीं अपनाती है। असल में भाजपा की पहली पंक्ति में बैठे नेताओं में आत्मविश्वास की बेहद कमी है। सत्ता पाने की उधेड़बुन में फंसे इन नेताओं को लगता है कि लोकसभा चुनाव-2014 अगर हाथ से निकल गया तो फिर दिल्ली की सत्ता कभी हाथ न आने वाली। बात भी सही है। अच्छा मौका है भाजपा के लिए कांग्रेस को पटखनी देने का। लेकिन भाजपा को यह समझना होगा कि पार्टी में नरेंद्र मोदी इकलौते नेता हैं जिनकी स्वीकारोक्ति पूरे देश में है। पश्चिमी देश भी मोदी का लोहा मानने लगे हैं। इसी बात से तो कांग्रेस भी डरी हुई है। कांग्रेस नेताओं की तो पूरी शक्ति इसी मिशन में लगी है कि सामने कोई भी हो, पर नरेंद्र मोदी न हो। इसीलिए जब भी नरेंद्र मोदी कोई ऐसा बयान देते हैं जिससे यह लगता है कि मोदी के कदम प्रधानमंत्री पद की ओर बढ़ रहे हैं तो एक सुर में कांग्रेसी हमले शुरू होने लगते हैं और गौर करें तो पाएंगे कि कांग्रेस नेताओं के निशाने पर सिर्फ नरेंद्र मोदी होते हैं ना कि मोदी की भाजपा।
First Published: Sunday, April 7, 2013, 15:54