Last Updated: Friday, December 14, 2012, 13:37
बिमल कुमार विश्व संगीत के गॉडफादर यानी पंडित रविशंकर। उन्हें यह उपाधि यूं ही नहीं मिली। भारतीय शास्त्रीय संगीत को विदेशों में जगह दिलाने और इसे प्रसिद्धि दिलाने में पंडित रविशंकर का खासा योगदान रहा है। एक तरह से उन्होंने पूरब और पश्चिम के संगीत को मिलाकर एक किया और इसे नया स्वरूप प्रदान किया।
मशहूर सितार वादक पंडित रविशंकर ने अपने संगीत के जरिए पश्चिमी देशों में भारत के प्रति एक खास रुचि पैदा की थी। उनके इस योगदान की सराहना समूचे संगीत जगत में की जाती है। अब रविशंकर इस दुनिया में नहीं रहे, उन्होंने अमेरिका के एक अस्पताल में बुधवार को अंतिम सांस ली थी। सेन डियागो के एक अस्पताल में 92 वर्ष की अवस्था में उनका निधन हो गया।
रविशंकर अपने पीछे भारतीय शास्त्रीय की समृद्ध परम्परा छोड़ गए हैं। पूरब एवं पश्चिम के संगीत का कुशलतापूर्वक मिश्रण करने के लिए, कालजयी संगीत बैंड बीटल्स के सदस्य जॉर्ज हैरीसन ने किसी समय अपने इस साथी को `विश्व संगीत का गॉडफादर` करार दिया था।
पंडित रविशंकर के बारे में यह काफी प्रचलित है कि पश्चिम में भारत के प्रति एक महान सभ्यता के केंद्र के रूप में रूचि पैदा की थी। उन्होंने भारत की इस छवि को जटिल और परिष्कृत संगीत के प्रति गहरे सम्मान के साथ नए ढंग से पेश किया। इस संगीत को उन श्रोताओं तक पहुंचाया, जिन्हें इसका कुछ खास ज्ञान नहीं था। यह कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगा कि वैश्विक संस्कृति पर रविशंकर की एक महत्वपूर्ण छाप थी। कहा जाता है कि वह भारतीय शास्त्रीय परंपरा और उसकी वास्तविक आवाज की समग्रता के संरक्षण के मामले में काफी प्रखर थे।
संगीत के बारे में रविशंकर की गहरी समझ एवं पकड़ ने उन्हें सांस्कृतिक संगीतमयी आदान प्रदान और आपसी सहयोग की संभावनाओं से विमुख नहीं रखा। पश्चिम के बारे में उनकी समझ ने उनमें पश्चिम के साथ भारतीय संगीत के आदान-प्रदान की एक इच्छा और कर्तव्य की भावना जगाई। प्रसिद्ध संगीतकार येहूदी मेनुहिन, जॉर्ज हैरीसन और बीटल्स जैसे रॉक संगीतकारों के साथ उन्होंने संगीत की साझेदारी की। इससे नई पीढ़ी के संगीतकारों के लिए एक नई राह भी खुली। उनकी विशेष उपलब्धियों के लिए साल 2010 में एशिया सोसाइटी ने रविशंकर को एक सांस्कृतिक विरासत पुरस्कार से नवाजा था।
महान संगीतज्ञ रविशंकर का जाना संगीत जगत के साथ-साथ उन सभी के लिए एक भारी नुकसान है जो राष्ट्रीय और सांस्कृतिक सीमाओं के परे जाकर कला के माध्यम से आपसी रिश्ते बनाने में यकीन रखते हैं। उन्होंने दूसरे लोगों को संस्कृतियों के बीच आपसी रिश्ते बनाने का रास्ता दिखाया।
संगीत से इतर उनका पशु प्रेम भी कई मौकों पर दिखा। अपनी बेटी अनुष्का के साथ रविशंकर ने पशु संरक्षण नियमों का प्रचार करने वाले अभियानों में भी शामिल हुए।
पंडित रविशंकर का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी में सात अप्रैल 1920 को हुआ था। पंडित रविशंकर कहा करते थे, जो संगीत मैंने सीखा है, वह ईश्वर की आराधना की तरह है। उनके परिवार में पत्नी सुकन्या रंजन तथा बेटियां अनुष्का व नोरा जोंस हैं और तीन नाती पोते हैं। पहली पत्नी अन्नपूर्णा से एक पुत्र शुभेंद्र शंकर भी थे, जिनकी वर्ष 1992 में मौत हो गई।
पंडित रविशंकर वर्ष 1986 से 1992 तक वह राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे। उन्हें वर्ष 1999 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया। उन्हें तीन ग्रैमी अवार्ड मिल चुके हैं। उन्हें वर्ष 2013 के जर्मनी अवार्ड के लिए भी नामित किया गया था।
First Published: Thursday, December 13, 2012, 14:57