मध्‍यम वर्ग को राहत नहीं, किसानों को लुभाया

मध्‍यम वर्ग को राहत नहीं, किसानों को लुभाया

मध्‍यम वर्ग को राहत नहीं, किसानों को लुभायाबिमल कुमार

देश के आर्थिक विकास में आई गिरावट को दूर करने की उम्मीदों के बीच वित्त मंत्री चिदंबरम ने देश का 82वां आम बजट पेश कर दिया। बजट के लब्‍बोलुआब को यदि बारीकी से देखें तो यह स्‍पष्‍ट है कि अर्थव्‍यवस्‍था से संबंधित चुनौती अभी भी बरकरार है। यह तो पहले से समझा जा रहा था कि आगामी आम चुनाव के संदर्भ में सरकार इस बजट में कड़े फैसले लेने से बचेगी। कमोबेश हुआ भी कुछ ऐसा ही। अर्थव्‍यवस्‍था को मजबूती देने के लिए न तो कोई कड़े कदम उठाए गए और न ही राजकोषीय घाटे को पाटने को ठोस उपाय। वहीं, एक तथ्‍य यह भी है कि सवा अरब की आबादी वाले देश में करीब तीन से चार फीसदी लोग ही टैक्‍स का भुगतान करते हैं। यदि टैक्‍स का समुचित तरीके से संग्रह हो और इसका दायरा कुछ और बढ़ाया जाए तो भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को और गति मिल सकती है।

देश का मध्‍यम वर्ग इस चुनावी साल में राहत की उम्‍मीद लगाए बैठा था, लेकिन उसे मायूसी ही हाथ लगी। टैक्स दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया, जिससे कुछ निराशा हुई है क्योंकि पहले आयकर में 2.4 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स छूट मिलने का अनुमान था। छूट न मिलने पर छाई मायूसी को दो हजार रुपये का लॉलीपॉप दूर करने में पूरी तरह विफल रहा। 2 से 5 लाख तक की आय पर आयकर में 2000 रुपये की छूट दी गई है। इसका मतलब यह है कि मध्‍यम वर्ग के तकरीबन हर व्यक्ति को टैक्स में दो हजार रुपये की छूट मिलेगी। जोकि ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। यदि सरकार को राहत ही प्रदान करनी थी तो इसे थोड़ा और बढ़ाया जाता। टैक्‍स रिफॉर्म अथॉरिटी के गठन का रास्‍ता तो खुला है, पर इसके जरिये लाभ अभी दूर की कौड़ी साबित होगी।

मध्‍यम वर्ग को इनकम टैक्स में राहत तो नहीं दी गई पर अमीरों की जेबों पर और भार डाल दिया गया। यानी कहें तो करोड़पतियों को अब सरचार्ज के तौर पर ज्यादा टैक्स चुकाना होगा। सालाना एक करोड़ रुपये से ज्‍यादा आयवालों पर 10 फीसदी सरचार्ज लगाने का प्रावधान किया गया है। अमीरों पर टैक्‍स का भार बढ़ाने से राजस्‍व में वृद्धि तो जरूर होगी पर होना यह चाहिए था कि आयकर ढांचे को और तर्कसंगत बनाया जाता ताकि देश घाटे की स्थिति से निकल पाने में समर्थ होता।

हालांकि, आम आदमी के लिए बजट का एक सुखद पहलू भी दिखा। पहली बार घर खरीदने वालों को 25 लाख के होम लोन पर एक लाख तक की छूट दिए जाने का प्रावधान किया गया है। खरीदारों को एक लाख रुपये तक के ब्याज की अतिरिक्त कटौती की सुविधा मिलना काफी राहत भरा कदम है। इस कदम से आम आदमी के लिए घर के सपने को साकार करने में थोड़ी मदद तो जरूर मिलेगी।

कुछ मायनों में यह विशुद्ध चुनावी बजट भी नजर आता है। बजट में किसानों पर खास मेहरबानी करने के साथ उन्‍हें लुभाने की कोशिश की गई है। कृषि ऋण के लक्ष्य में 1.25 लाख करोड़ रुपये की भारी वृद्धि के प्रस्ताव के साथ-साथ अगले वित्त वर्ष में 7 लाख करोड़ रुपये का कृषि ऋण देने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा, हरित क्रांति को बढ़ावा देने के लिए एक हजार करोड़ रुपये। अब यह दीगर है कि 1000 करोड़ रुपये से कैसी और कब तक हरित क्रांति आएगी पर इस मद में बजट आवंटित करने का ख्‍याल सरकार को आया तो सही।

किसानों को आर्थिक मदद का दायरा बढ़ाते हुए प्राइवेट बैंकों से भी अब कर्ज की व्‍यवस्‍था की गई है। लोन देने वाले किसानों को चार फीसदी पर कर्ज मिलेगा। जाहिर है कम कीमत में लोन मिलने पर कृषक को कुछ तो राहत जरूर मिलेगी। वहीं, नई फसलों के लिए 200 करोड़ देने के साथ-साथ कृषि कार्यों के लिए मशीनीकरण, बुनियादी ढांचे के विकास, वैकल्पिक फसलों पर भी बल दिया गया है। जाहिर है कि इन कदमों से कृषि क्षेत्र की विकास गति को बल मिलेगा और किसान भी लाभान्वित होंगे।

वहीं, महिला विकास, महिला सुरक्षा, स्वास्थ्य, अनुसूचित जाति कल्याण, कृषि ऋण, कुपोषण, ग्रामीण रोजगार योजना, जल और शहरी विकास जैसे क्षेत्रों के लिए परिव्यय में वृद्धि, मानव संसाधन विकास, खाद्य सुरक्षा, एकीकृत बाल विकास आदि कुछ ऐसे क्षेत्र हैं, जिस पर यदि कारगर तरीके से जोर दिया जाता है तो सामाजिक हकीकत की तस्‍वीर भी बदलेगी।

बजट प्रस्तावों के अनुसार 2013-14 में खाद्य, पेट्रोलियम तथा उर्वरकों पर सरकार का सब्सिडी बिल 2,20,971.50 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। यदि धीरे-धीरे इसे और नियंत्रित किया जाए तो आर्थिक दशा सुधरने के अलावा घाटे की तरफ ज्‍यादा ध्‍यान केंद्रित नहीं करना पड़ेगा। इसमें कोई संशय नहीं है विदेशी निवेश इसमें काफी मददगार हो सकता है। 2012-13 में राजकोषीय घाटा 5.2 प्रतिशत पर रहा। 2013-14 में घटाकर इसे 4.8 प्रतिशत करने प्रस्‍ताव किया गया है। आंकड़ों में यह प्रस्‍ताव अच्‍छा लगता है पर सरकार को इस दिशा में गंभीरता से कदम उठाने होंगे।

First Published: Thursday, February 28, 2013, 19:23

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