Last Updated: Friday, February 15, 2013, 15:19
आलोक कुमार रावसंयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार अपने दूसरे कार्यकाल का अंतिम बजट (2013-14) पेश करने की तैयारी में है। 2014 में आम चुनाव प्रस्तावित हैं ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि यह बजट लोकलुभावन होगा। मतदाताओं को रिझाने के लिए सरकार कई लोक-लुभावन घोषणाएं आगामी आम बजट में शामिल कर सकती है।
चूंकि आम चुनाव से पहले संप्रग सरकार का यह अतिंम बजट है, इसलिए लोगों की उम्मीदें सरकार से ज्यादा हैं। लोग चाहेंगे कि सरकार इस बार के बजट में उसे ज्यादा से ज्यादा राहत पहुंचाए। इस समय लोगों के समक्ष सबसे बड़ी समस्या रोजाना बढ़ रही महंगाई से निजात पाना है। लोग चाहेंगे कि वित्त मंत्री बजट में कुछ ऐसे उपाय करें जिससे उन्हें महंगाई से राहत मिले।
तो वहीं दूसरी और सरकार की मुश्किलें कम नहीं हैं। मौजूदा समय में भारतीय अर्थव्यवस्था की तस्वीर उत्साहजनक नहीं है। आर्थिक वृद्धि दर एवं विदेशी निवेश में कमी के साथ-साथ बढ़ता राजकोषीय घाटा सरकार के लिए चिंता का विषय है। अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर सरकार के समक्ष चुनौतियां अधिक हैं।
वित्त मंत्री के लिए बढ़ता राजकोषीय घाटा चिंता का सबब है। उनके लिए राजकोषीय घाटा और कर की दरों के बीच संतुलन बिठाना एक कड़ी चुनौती होगी। वित्त मंत्री को एक ऐसा बजट करना होगा जो चुनाव और अर्थव्यवस्था दोनों के लिहाज से फायदेमंद हो।
औद्योगिक क्षेत्र के उत्पादन में आई गिरावट को देखते केंद्रीय सांख्यिकीय संगठन (सीएसओ) ने हाल ही में इस वित्तीय वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर का लक्ष्य घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया। यह सरकार के लिए काफी संवेदनशील समय है क्योंकि उसका आगामी बजट आर्थिक तरक्की की रूपरेखा तय करेगा।
सरकार के आर्थिक विकास का एजेंडा भी बहुत कुछ दी जाने वाली सब्सिडी पर निर्भर करेगा। राजकोषीय घाटा सुधारने के लिए सरकार क्या सब्सिडी खत्म करने के रास्ते पर आगे बढ़ेगी अथवा आर्थिक सुधारों को और सख्ती से लागू करेगी, यह देखने वाली बात होगी।
महंगाई और ब्याज दर सीधे आम आदमी से जुड़े हैं। इसलिए वित्त मंत्री को बजट में महंगाई पर काबू पाने और ब्याज दरों में कटौती के उपायों पर गौर करना चाहिए। साथ ही बजट में ऐसी योजनाओं पर सरकार को ध्यान देना चाहिए जिससे आम आदमी को ज्यादा से ज्यादा आय प्राप्त करने का मौका मिले। आम आदमी के पास ज्याद नगदी आने की स्थिति में वह खर्च और निवेश भी अधिक करेगा।
वित्त मंत्री इस बार कर का दायरा बढ़ाकर राजस्व में इजाफा करने की सोच सकते हैं। प्रत्यक्ष कर का दायरा बढ़ने से सरकार को राजस्व अधिक मात्रा में प्राप्त होगा। वित्त मंत्री इस बार के बजट में संपत्ति और विरासत कर लागू करने का प्रावधान यदि करते हैं तो इससे काफी मात्रा में राजस्व प्राप्त हो सकता है।
नौकरीपेशा वाले लोग इस बार के बजट से काफी उम्मीदें लगाए बैठे हैं। उन्हें उम्मीद है कि करमुक्त आय की सलाना सीमा जो अभी दो लाख रुपए है, वह बढ़कर तीन लाख रुपए हो सकती है। यदि ऐसा होता है तो नौकरीपेशा वाले लोगों के लिए यह एक बड़ी राहत होगी।
राजस्व में वृद्धि के लिए वित्त मंत्री कृषि आय पर कर लगाने का विकल्प तलाश सकते हैं क्योंकि कृषि क्षेत्र बहुत बड़ा है। देश के बड़े किसानों और फार्म हाउस के मालिकों पर कर लगाया जा सकता है।
कुल मिलाकर एक लोक लुभावन बजट सरकार को आगामी चुनाव में फायदा तो पहुंचा सकता है लेकिन देश की आर्थिक तरक्की और अर्थव्यवस्था के लिए यह हितकर नहीं होगा। 2013-14 का आम बजट विकास को बढ़ावा देने वाला होना चाहिए। वित्त मंत्री का ऐसा प्रयास होना चाहिए जिससे आम आदमी को राहत और अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र को बढ़ावा मिले।
First Published: Friday, February 15, 2013, 15:15