अर्थ डे-2013 : ‘हिमाचल में हरियाली को खतरा’

अर्थ डे-2013 : ‘हिमाचल में हरियाली को खतरा’

अर्थ डे-2013 : ‘हिमाचल में हरियाली को खतरा’शिमला : हिमाचल प्रदेश में जंगलों एवं जल स्रोतों को समाप्त कर रहे हाइड्रोपावर परियोजनाओं का विरोध पर्यावरण कार्यकर्ता लंबे समय से करते आए हैं। अब निंयत्रक एवं लेखा परीक्षक (सीएजी) ने भी कार्यकर्ताओं के दावे को सही ठहराया है।

सीएजी ने कहा है कि पेड़ों के काटे जाने के बदले लगाए जाने वाले पौधों की संख्या काफी कम है। जबकि सर्वेक्षण किए गए 12 हाइड्रोपावर परियोजनाओं के 58 प्रतिशत भूभाग पर पौधरोपण नहीं किया गया है।

केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के मुताबिक हाइड्रो प्रोजेक्ट लगाने वालों को काटे जाने वाले वृक्षों के मुआवजे के तौर पर पौधरोपण के लिए पैसा जमा कराना होता है। राज्य वन विभाग पौधरोपण की प्रक्रिया संचालित और वनों के भूभाग में विस्तार करता है।

सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया है कि हिमाचल की पहाड़ियों पर हरियाली की कमी गंभीर खतरे का रूप धारण कर रही है। इससे इलाके की प्राकृतिक प्रारिस्थितिकी को गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। (एजेंसी)

First Published: Monday, April 22, 2013, 17:00

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