Last Updated: Friday, January 20, 2012, 14:50
वाशिंगटन : चंद्रमा का वह क्षेत्र हमेशा से वैज्ञानिकों के लिये कौतुहल का विषय रहा है जहां हमेशा अंधेरा रहता है। वैज्ञानिकों के एक दल ने अब दावा किया है कि धरती के सबसे करीबी ग्रह के इस हिस्से के अधिकांश भाग में धूल और बर्फ छिपी है ।
चांद के ध्रुवों पर मौजूद यह अंधेरा क्षेत्र आमतौर पर गड्ढों के काफी भीतर है जहां सूर्य की रौशनी नहीं पहुंच सकती । लिहाजा दूरबीन और उपग्रह नियमित प्रकाश से वहां की तस्वीर नहीं ले सकते ।
स्पेस. काम के अनुसार अब अमेरिका के सान एंटोनिओ में साउथवेस्ट रिसर्च संस्थान ने इन इलाकों को देखने के लिये एक अधिक सटीक तरीका अपनाया और पाया कि वहां काफी मात्रा में पानी और बर्फ हो सकती है ।
इन इलाकों में झांकने के लिये वैज्ञानिकों ने लिमान अल्फा एमीशन नामक एक विशेष प्रकाश का सहारा लिया जो ब्रह्मांड के सभी ओर फैले हाइड्रोजन अणुओं से परावर्तित होती है और अंधेरे स्थलों में भी पहुंच सकती है ।
अध्ययन के सह लेखक और संसथान के वरिष्ठ अनुसंधानी वैज्ञानिक कुर्त रदरफोर्ड ने कहा ‘ गड्ढों से सूर्य की रौशनी के सीधे परावर्तन के बजाय हमने अप्रत्यक्ष मार्ग का सहारा लिया । हमारा प्रकाश सौर प्रणाली में फैले हाइड्रोजन अणुओं से परावर्तित होता है । ’
लिमान अल्फा मैपिंग प्रोजेक्ट नासा के चंद्रमा रिकन्सेन्स आर्बिटर उपग्रह में लगा है । उससे प्राप्त आंकडों से पता लगा कि चांद का छाया वाला क्षेत्र ग्रह के अन्य क्षेत्रों के मुकाबले लिमान अल्फा एमिसन में अधिक अंधेरे वाला दिखता है ।
पहले के अध्ययनों में पाया गया था कि सूर्य की रौशनी में नजर आने वाले चांद के कम उंचाई वाले इलाकों में व्याप्त धूल में 0.5 प्रतिशत बर्फ है । नया अध्ययन संकेत देता है कि हमेशा अंधेरे में रहने वाले क्षेत्रों की धूल में पानी दो प्रतिशत तक हो सकता है ।
रदरफोर्ड के अनुसार ‘ जितना हम बाहरी क्षेत्र में देखते हैं उससे कहीं अधिक भाग वह हो सकता है जहां हमेशा अंधेरा रहता है । अब जब हमारे अंतरिक्ष यात्री वहां जायेंगे तो उनके पास अधिक जानकारी होगी । ‘
(एजेंसी)
First Published: Friday, January 20, 2012, 21:50