Last Updated: Thursday, June 21, 2012, 15:59

वाशिंगटन : वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्हें ऐसे नए सुबूत मिले हैं जिनके अनुसार चांद पर मौजूद सबसे बड़े ध्रुवीय क्रेटर (गड्ढे) में बर्फ की बड़ी मात्रा मौजूद हो सकती है। चांद पर मौजूद ध्रुवीय क्रेटरों के आंतरिक भागों में निरंतर रहने वाला अंधेरा उन्हें ठंडी जगह में बदल देता है। इसी वजह से शोधकर्ताओं को एक लंबे समय से यहां जमे हुए पानी की मौजूदगी का संदेह रहा है।
हालांकि चांद के इन क्रेटरों के बारे में पिछले कक्षीय और पृथ्वी आधारित आंकलनों के नतीजों में बर्फ की मौजूदगी को लेकर मतभेद रहे हैं। अब वैज्ञानिकों ने 19 किलोमीटर चौड़े और तीन किलोमीटर गहरे शैक्लेटन क्रेटर का अध्ययन किया, जिसमें उन्हें बर्फ की मौजूदगी के कुछ अभूतपूर्व सुबूत मिले हैं। नासा के चंद्र टोही ऑर्बिटर ने इस क्रेटर के भीतर इंफ्रारेड लेजर प्रकाश डाला ताकि प्रकाश से बनने वाली परछाईं देखी जा सके। इस क्रेटर की सतह बाकी क्रेटरों की सतहों के मुकाबले प्रकाश का ज्यादा परावर्तन हो रहा था, जिसका कारण वहां बर्फ की मौजूदगी हो सकती है।
मैसाचुसेटस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की भूविज्ञानी और प्रमुख शोधकर्ता मारिया जुबर ने स्पेस डॉट कॉम को बताया ‘वहां पर लगभग 20 प्रतिशत जलीय बर्फ हो सकती है।’ साथ ही उन्होंने ज्यादा उम्मीदे न लगाने की नसीहत देते हुए कहा, ‘शैकेल्टन क्रेटर में बर्फ की मात्रा कम भी हो सकती है। हो सकता है यह शून्य ही हो।’ यह अनिश्चितता इसलिए है क्योंकि उन्होंने इस क्रेटर के बाकी के भाग में कुछ अलग ही देखा। क्रेटर की जमीन बेशक ज्यादा चमकदार थी लेकिन जुबेर के बाकी साथियों ने पाया कि उसकी दीवारें अपेक्षाकृत ज्यादा परावर्तक थीं।
वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर बर्फ मौजूद होनी चाहिए तो क्रेटर के फर्श पर। क्योंकि यह हमेशा अंधेरे में रहता है। जबकि क्रेटर की दीवारें तो लगातार दिन की रोशनी के संपर्क में आती है। ऐसे में इसपर जमने वाली बर्फ तो पिघल जानी चाहिए थी। इन संकेतों से शोधकर्ताओं को लगता है कि क्रेटर की दीवारों का परावर्तन बर्फ नहीं चांद की सतह पर आने वाले झटकों की वजह से है। जुबेर कहती हैं, ‘हमें चांद के ध्रुवीय क्रेटरों का और अध्ययन करना होगा।’ (एजेंसी)
First Published: Thursday, June 21, 2012, 15:59