दुर्लभ पक्षियों पर अब उपग्रह से नजर -WII to track Great Indian Bustard by satellite

दुर्लभ पक्षियों पर अब उपग्रह से नजर

दुर्लभ पक्षियों पर अब उपग्रह से नजर अहमदाबाद: भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) विश्व के विलुप्तप्राय पक्षियों में शामिल द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पर उपग्रह की मदद से नज़र रखेगा ताकि इस दुर्लभ पक्षी की गतिविधियों और उसके पसंदीदा वास का पता लगाया जा सके।

इस कदम को भारत और उससे सटे पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों में पाये जाने वाले इस विलुप्तप्राय प्रजाति को बचाने के लिए बड़े कदम के तौर पर देखा जा रहा है। यह पक्षी गुजरात और राजस्थान के अलावा महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में भी पाया जाता है लेकिन शिकार और इसके प्राकृतिक वास ( घास के सूखे मैदानों) की कमी के कारण इसके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है।

गुजरात में वन के प्रधान मुख्य वन्यजीव संरक्षक सी एन पांडे ने कहा कि देहरादून में सरकारी संस्थान डब्ल्यूआईआई को गेट्र इंडियन बस्टर्ड पर उपग्रह से नज़र रखने की इजाज़त दे दी गई है। उपग्रह के जरिए नज़र रखने से इस लम्बे पैरों और लम्बी गर्दन वाले दुर्लभ पक्षी की गतिविधियों का पता लगाने में मदद मिलेगी। यह पक्षी अब गुजरात के कच्छ इलाके और राजस्थान के हिस्सों में पाया जाता है। ग्रेट इंडियन बस्टर्ड विश्व में आज पाए जाने वाले पक्षियों में सबसे लंबा उड़ने वाला जीव है।

अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) रेडलिस्ट ने 2011 में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को गंभीर रूप से संकटग्रस्त पक्षी बताया था। आईयूसीएन के पोर्टल का कहना है कि 2008 में इस प्रजाति की अनुमानित संख्या 300 थी। अधिकारियों ने बताया कि शिकार और प्राकृतिक वास की कमी के कारण 2011 में 250 पक्षियों के ही जीवित रहने की उम्मीद है।

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को भारतीय वन्यजीव संरक्षण कानून, 1972 की अनुसूची एक में शामिल किया गया था और इसका अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रतिबंधित है। इस पक्षी की लगातार कम होती संख्या से चिंतित होकर केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने बस्टर्ड की तीन प्रजातियों- ग्रेड इंडियन बस्टर्ड, बंगाल फ्लोरिकन और लेसर फ्लोरिकन के लिए 2012 में एक कार्यक्रम तैयार किया था। राजस्थान सरकार ने भी हाल में 12 करोड़ रपए से अधिक की परियोजना शुरू की है ताकि ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की कम होती संख्या पर काबू करने के लिए उनकी पहचान की जा सके और उन्हें सुरक्षित प्रजनन स्थल प्रदान किया जा सके। (एजेंसी)


First Published: Monday, June 17, 2013, 10:59

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