Last Updated: Tuesday, May 7, 2013, 16:53

वाशिंगटन : वैज्ञानिकों का मानना था कि मंगल ग्रह पर 5.6 किलोमीटर उंचा टीला इस बात का सबूत है कि वहां कोई विशाल झील रही होगी लेकिन अब एक नए विश्लेषण के अनुसार यह पानी की किसी झील के कारण नहीं बल्कि रक्ताभ ग्रह पर चलने वाले धूल भरे विशिष्ट झक्कडों से वजूद में आए हैं।
अगर, ताजा अनुसंधान सही है तो यह उन आकांक्षाओं पर पानी फेर सकता है कि टीला जल के किसी विशाल निकाय का सबूत है। मंगल के अतीत की निवास्यता को जानने-समझने में इसके अहम निहितार्थ हैं।
प्रिंसटन यूनिवर्सिटी और कैलीफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलोजी के अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि माउंट शार्प के नाम से पहचाना जाने वाला यह टीला धूल भरी हवाओं के तेज झक्कड़ों का नतीजा है जिसने 154 किलोमीटर चौड़े क्रेटर को धूल और बालू से भर दिया। यह टीला इसी केट्रर पर स्थित है।
पत्रिका ‘जियोलोजी’ में अपने आलेख में उन्होंने बताया कि जब दिन में मंगल की सतह गर्म होती है तो विशाल गेल क्रेटर से हवा उठती है और रात में उसकी तीखी दीवारों पर लौट आती है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, May 7, 2013, 16:53