बदल रहा है अंटार्कटिक का अस्तित्व - Zee News हिंदी

बदल रहा है अंटार्कटिक का अस्तित्व

लंदन : अंटार्कटिक में बाहरी प्रजातियां जिनमें पौधे और छोटे जानवर शामिल हैं, जड़ जमा रही हैं जिसके कारण वहां के मूल पारिस्थिकी तंत्र को नुकसान पहुंचने की संभावना है। एक नये अध्ययन में वहां की मूल पारिस्थिकी के बदलने की बात कही गयी है। इसमें इन बाहरी प्रजातियों को वहां लाने के लिए विदेशी सैलानियों और वैज्ञानिकों को जिम्मेदार ठहराया गया है।

 

दक्षिण अफ्रीका के स्टेलेनबॉश विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के एक दल ने अंटार्कटिक में सैलानियों और वैज्ञानिकों के फेंके कपड़ों और जूतों की जांच की। इसमें पाया गया कि उनमें से ज्यादातर लोग अपने साथ पौधें के बीज लेकर आए थे।

 

वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी कि इस सफेद महाद्वीप पर बढ़ती पर्यटक गतिविधियों और वैज्ञानिक शोधों से यहां के पारिस्थिकी तंत्र को नुकसान पहुंच सकता है। शोधकर्ता दल के प्रमुख स्टीवन शॉन ने कहा, ‘पूर्व में लोगों को संदेह था कि यहां बर्फ की मोटी परत होने के कारण पौधें नहीं लग सकते। लेकिन महाद्वीप के कम से कम एक प्रतिशत हिस्से में बर्फ नहीं है। इसमें से कुछ हिस्सा प्रायद्विपीय क्षेत्र में है और यह तेजी से गर्म हो रहा है।

 

इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 2007 के अंतिम महीनों से 2008 की शुरूआत तक यहां आने वाले लगभग दो प्रतिशत लोगों के कपड़ों, जूते-चप्पल, बैग आदि की जांच की। इनमें 853 पर्यटक, वैज्ञानिक और दूसरे सहयोगी कर्मचारी एवं जहाज के चालक दल के सदस्य शामिल थे। इसमें पता चला कि 2600 से ज्यादा बीज और दूसरे वियोज्य पौधों की प्रजातियां इन आंगतुकों के साथ अंटार्कटिक में आयी। हर पर्यटक औसतन 9.5 बीज लेकर आया था।

 

शॉन ने कहा, ‘अंटार्कटिक की अपनी पुरानी पारिस्थिकी है। प्रायद्वीपीय इलाके में यहां स्थानीय पौधों की दो प्रजातियां पायी जाती हैं और ये बाहर से आपने वाली प्रजातियों के कारण बदल जाएगी।’ (एजेंसी)

First Published: Tuesday, March 6, 2012, 13:33

comments powered by Disqus