Last Updated: Wednesday, November 7, 2012, 18:15
इंदौर : इस साल के इकलौते पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान 14 नवंबर को सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा की ‘त्रिमूर्ति’ की अद्भुत लुकाछिपी भारत में नहीं निहारी जा सकेगी, क्योंकि इस खगोलीय घटना के वक्त देश में अमावस की काली रात होगी।
उज्जैन की प्रतिष्ठित जिवाजी वेधशाला के अधीक्षक डॉ. राजेंद्र प्रकाश गुप्त ने बताया कि पूर्ण सूर्यग्रहण का बेहतरीन नजारा ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अमेरिका और अंटाकर्टिका में देखा जा सकेगा। गुप्ता ने बताया कि भारतीय मानक समय (आईएसटी) के मुताबिक पूर्ण सूर्यग्रहण की शुरूआत 13 और 14 नवम्बर की दरम्यानी रात 02:06:01 बजे होगी और यह तड़के 05:17:04 बजे समाप्त हो जाएगा। इस तरह सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा की दिलचस्प भूमिका वाला खगोलीय घटनाक्रम करीब सवा तीन घंटे तक चलेगा।
कोई दो सदी पुरानी वेधशाला के अधीक्षक ने अपनी गणना के हवाले से कहा कि पूर्ण सूर्यग्रहण रात 03:41:08 बजे अपने चरम स्तर पर पहुंचेगा। इस वक्त चंद्रमा, सूर्य को पूरी तरह ढंक लेगा। इससे पृथ्वी पर पूर्ण अंधकार छा जाएगा। पूर्ण सूर्यग्रहण तब होता है, जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा इस तरह आ जाता है कि पृथ्वी से देखने पर सूर्य पूरी तरह चंद्रमा की ओट में छिपा प्रतीत होता है।
गुप्त ने बताया कि 28 नवंबर को लगने वाला उपच्छाया चंद्रग्रहण इस साल का आखिरी ग्रहण होगा। उपच्छाया चंद्रग्रहण तब होता है, जब चंद्रमा पेनुम्ब्रा (ग्रहण के वक्त धरती की परछाई का हल्का भाग) से होकर गुजरता है। इस समय चंद्रमा पर पड़ने वाली सूर्य की रोशनी आंशिक तौर पर कटी प्रतीत होती है और ग्रहण को चंद्रमा पर पड़ने वाली धुंधली परछाई के रूप में देखा जा सकता है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, November 7, 2012, 18:15