वैक्यूम जैसा कुछ भी नहीं - Zee News हिंदी

वैक्यूम जैसा कुछ भी नहीं

वाशिंगटन : वैज्ञानिकों का दावा है कि ब्रह्मांड में ‘वैक्यूम’ यानी रिक्त स्थान का होना सिर्फ एक धारणा है। उनका मानना है कि हर जगह प्रकाश के तत्व मौजूद हैं। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि अंतरिक्ष में ज्यादातर हिस्सा वैक्यूम है अर्थात खाली है।

 

नेचर जर्नल में प्रकाशित एक लेख में एक अतंराष्ट्रीय दल ने अपने प्रयोग के आधार पर बताया है कि किसी भी रिक्त स्थान पर कुछ भी न होते हुए भी प्रकाश के सूक्ष्म कण जिन्हें ‘फोटोन’ कहा जाता है, मौजूद रहते हैं। वैज्ञानिकों ने अपने इस दावे को सिद्ध करने के लिए एक नया प्रयोग किया है। ’डायनेमिक कासिमिर इफेक्ट’ के नाम के इस प्रयोग से वे प्रकाश के इन सूक्ष्म कणों की उपस्थिति को सिद्ध करना चाहते हैं।

 

इस प्रयोग के दौरान वैक्यूम से उर्जा का प्रवाह कराने पर अनगिनत सूक्ष्म फोटोन के कणों की मौजूदगी का आभास हो जाता है। खास बात यह है कि इस प्रयोग से निकले फोटोन के कणों के लक्षण आम प्रकाश की किरणों के गुणों से अलग होते हैं। हालांकि इस प्रयोग की अवधारणा के बारे में 40 साल पहले ही सोच लिया गया था, पर प्रयोग के लिए इस्तेमाल होने वाले वातावरण के अभाव में इसे अंजाम नहीं दिया जा सका।

 

क्वांटम थ्योरी के अनुसार- यदि किसी दर्पण को प्रकाश की गति की तेजी से प्रवाहित किया जाए तो उस दर्पण की गति के कारण उत्पन्न उर्जा , दर्पण में छिपे प्रकाश के कणों (फोटोन) को स्थानांतरित हो जाएगी। इससे दर्पण प्रकाशमय हो जायेगा और छिपे फोटोन आभासी हो जाएंगे। हालांकि किसी भी दर्पण को इतनी तेज गति तक पहुंचाना व्यावहारिक तौर पर संभव नहीं है। इसलियए ही वैज्ञानिकों ने इस प्रयोग को मोबाइल और बेतार संचार में प्रयुक्त ‘माइक्रोवेव’ सूक्ष्म तरंगों के माध्यम से प्रदर्शित किया। साथ ही वैज्ञानिकों ने इस प्रयोग में विशालकाय दर्पण की जगह एक सूक्ष्म सर्किट का प्रयोग किया है।

 

इस प्रयोग को अंजाम देने के लिए वैज्ञानिकों को सूक्ष्म तरंगों के बचाव के लिए तापमान को एब्सोल्यूट जीरो परम शून्य -273.15 डिग्री सेंटीग्रेड तक लाना पड़ा। (एजेंसी)

First Published: Friday, November 18, 2011, 13:11

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