Last Updated: Friday, December 9, 2011, 14:15
डरबन : डरबन में जलवायु परिवर्तन पर वार्ता करीब-करीब खत्म होने को है, लेकिन यूरोपीय संघ (ईयू) के साथ भारत के मतभेद कायम हैं। यूरोपीय संघ एक नई कानूनी तौर पर बाध्य संधि चाहता है, जिसके तहत सभी प्रमुख गैस उत्सर्जनकर्ता देशों पर उत्सर्जन घटाने की वैश्विक बाध्यता हो।
भारत ने कहा है कि वह 2020 के बाद ही इस तरह की संधि का हिस्सा बनने पर केवल विचार करेगा बशर्ते विकसित देश खुद उत्सर्जन कम करें और विकासशील देशों को इसके लिए वित्तीय मदद एवं प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने की मौलिक प्रतिबद्धता का पालन करें।
भारत यह भी चाहता है कि इस मामले में समानता, व्यापार में बाधा और बौद्धिक संपदा अधिकार से जुड़ी चिंताओं का भी समाधान किया जाना चाहिए। पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन ने कहा कि मैंने बार बार कहा है कि मैं यहां खुले मन से आई हूं और हम बाध्यकारी संधि की विषयवस्तु जानना चाहेंगे और यह भी जानना चाहेंगे कि बदले में क्या वे हमें एक पुष्टि किए जाने योग्य क्योटो प्रोटोकाल देने को तैयार हैं।
नटराजन ने कहा कि मेरा मानना है कि इससे पहले वे बाली कार्य योजना को भुला देना चाहते थे, लेकिन अब मुझे लगता है कि वे कानकुन समझौते को भी भुला देना चाहते हैं। हम किसी भी चीज पर सहमत होने से पहले अपने सभी सवालों का जवाब चाहते हैं।
(एजेंसी)
First Published: Friday, December 9, 2011, 21:29