Last Updated: Thursday, September 6, 2012, 00:25

बीजिंग : अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन का चीन दौरा दक्षिण चीन सागर में छोटे देशों के साथ चीन की सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों के बीच कोई भी सहमति बनाने में असफल रहा। बीजिंग दौरे पर हिलेरी की चीन के कई शीर्ष नेताओं की मुलाकात हुई लेकिन इस वर्ष के अंत में राष्ट्रपति बनने वाले शि जिंगपिंग से उनकी भेंट नहीं हो पायी। शि ने अंतिम समय में अमेरिकी विदेश मंत्री के साथ अपनी बैठक रद्द कर दी।
चीन पहुंची हिलेरी का बतौर विदेश मंत्री यह अंतिम विदेश दौरा होगा। उन्होंने चीन के राष्ट्रपति हू जिंताओ, विदेश मंत्री यांग जेईची और अन्य शीर्ष नेताओं से मुलाकात की। इन सभी की वार्ता का मुख्य मुद्दा दक्षिण चीन सागर में पड़ोसी देशों के साथ और पूर्वी चीन सागर में जापान के साथ सीमा विवाद रहा। उप राष्ट्रपति शि के साथ हिलेरी की मुलाकात नहीं हो सकी। अटकलें लगायी जा रही हैं कि अमेरिका-जापान रक्षा संधि को दिआयु..सेनकाकु द्वीपों पर लागू करने की कोशिशों के विरोध में शि ने अंतिम समय में यह मुलाकात रद्द कर दी।
उल्लेखनीय है कि चीन दिआयु..सेनकाकु द्वीपों पर अपना हक जताता है जबकि यह द्वीप समूह फिलहाल जापान के प्रशासनिक अधिकार में है। आधिकारिक सूचनाओं के मुताबिक शि की पीठ में परेशानी होने के कारण बैठक को अंतिम समय में रद्द करना पड़ा। इस बात की पूरी संभावना है कि इस वर्ष के अंत में सत्ता परिवर्तन के लिए होने वाले चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के महासम्मेलन में शि को पार्टी का महासचिव चुना जाएगा और वह राष्ट्रपति हू जिंताओ की जगह लेंगे।
शि और हिलेरी की बैठक नहीं होने के बारे में सवाल पूछने पर विदेश मंत्री यांग ने हिलेरी के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इस बात को लेकर गैरजरूरी अटकलें नहीं लगायी जानी चाहिए। संवाददाता सम्मेलन के दौरान दक्षिण चीन सागर में सीमा विवाद पर दोनों पक्षों के बीच के मतभेद भी उभर कर सामने आए। अमेरिका चीन और आसियान देशों से लगातार कह रहा है कि वे दक्षिण चीन सागर में चीन, फिलीपीन, वियतनाम, मलेशिया और ब्रुनेई के बीच के सीमा विवाद को सुलझाने के लिए राजनयिक प्रक्रिया द्वारा एक आचार संहिता बनाएं। जबकि इस मामले में चीन लगातार जोर देता रहा है कि इन मुद्दों को संबंधित दो पक्षों के बीच सीधी वार्ता से सुलझाया जाना चाहिए।
दक्षिण चीन सागर में नौपरिवहन को लेकर जताई जा रही चिंताओं के बारे में विदेश मंत्री यांग ने कहा, ‘चीन और पड़ोसी देशों के लिए दक्षिण चीन सागर व्यापार और आदान-प्रदान के लिए जीवन रेखा है। वर्तमान में उस क्षेत्र में कोई समस्या नहीं है और भविष्य में भी वहां कोई परेशानी नहीं होगी।’ अमेरिका के रूख को स्पष्ट करते हुए हिलेरी ने कहा कि अमेरिका सीमा विवादों के मामले में कोई रूख नहीं अपना रहा है।
हिलेरी ने कहा, ‘हमारी दिलचस्पी शांति, स्थायित्व, अंतरराष्ट्रीय कानून के लिए सम्मान, नौपरिवहन की स्वतंत्रता और बिना किसी रूकावट के कानूनी व्यवसाय की बनाए रखने में है।’ उन्होंने कहा, ‘इसमें शामिल देशों का मित्र होने के नाते हम यकीन रखते हैं कि चीन और आसियान राजनयिक प्रक्रिया से एक समान लक्ष्यों वाली आचार संहिता का निर्माण करें, और यही सभी के हित में है।’ लेकिन विदेश मंत्री यांग ने एक बार फिर दोहराया कि चीन सीधी वार्ता में यकीन करता है।
उन्होंने कहा, ‘दक्षिण चीन सागर के द्वीपों और उसके आसपास की समुद्री सीमा पर चीन की संप्रभुता है। इसकी बहुत सारी ऐतिहासिक और न्यायिक साक्ष्य हैं।’ (एजेंसी)
First Published: Thursday, September 6, 2012, 00:25