Last Updated: Wednesday, April 11, 2012, 12:12
इस्लामाबाद : सियाचिन सेक्टर में पाकिस्तानी सेना का शिविर बड़े हिमस्खलन में दबने के पांच दिन बाद भी सैन्य बचावकर्मियों को इस प्राकृतिक आपदा में लापता उन 138 लोगों का कोई नामोनिशान नहीं मिला है जिसमें अधिकतर सैनिक शामिल थे।
ताजा हिमपात और कम तापमान से बचाव अभियान प्रभावित हो रहा है। अभियान में शामिल 500 से अधिक सैन्यकर्मियों ने बुलडोजर और बर्फ हटाने वाली भारी मशीनों का इस्तेमाल करके उस स्थान तक पहुंचने के लिए 450 मीटर रास्ता साफ कर दिया है। सेना की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि बचावकर्मियों ने पांच ‘प्राथमिकता वाले बिंदुओं’ की पहचान की है जहां पर माना जा रहा है कि बटालियन की सुरक्षा में तैनात छठी नार्दन लाइट इंफैंट्री के सैन्यकर्मी बर्फ के नीचे दबे हो सकते हैं।
क्षेत्रों की पहचान स्ट्रेटेजिक प्लांस डिविजन ने किया है जो कि परिष्कृत उपकरणों से लैस है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि इस घटना में किसी के भी जीवित बचने की उम्मीद बहुत कम है।
बयान में कहा गया है कि खराब मौसम के बावजूद सियाचिन सेक्टर के ग्यारी में जारी है। बचाव दलों ने दर्जनों फुट बर्फ में दबे 138 लोगों को बचाने के अपने प्रयास तेज कर दिया है। इनमें अधिकतर पाकिस्तानी सैनिक हैं।
बचाव दल एक दूसरे पहुंच मार्ग पर काम कर रहा है ताकि खोज के दायरे को व्यापक किया जा सके। बयान में बताया गया है कि दो महत्वपूर्ण स्थलों पर भारी मशीनरी का इस्तेमाल करते हुए तेजी से काम किया जा रहा है। तीन अन्य महत्वपूर्ण स्थलों पर सेना द्वारा काम किया जा रहा है और सैनिक वहां बर्फ को खोदने में लगे हैं।
चार दिन पहले हिमस्खलन के कारण बंद हुए एक जलापूर्ति मार्ग को बहाल करने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया जा रहा है।
इस बीच मौसम विभाग ने सियाचिन तथा आसपास के इलाकों में कल तक हिमपात की भविष्यवाणी की है और अधिकारियों का कहना है कि उन्हें गुरूवार दोपहर तक मौसम साफ होने की उम्मीद है।
खराब मौसम के चलते ग्यारी के सबसे नजदीक नगर स्कार्दू के लिए उड़ानें रवाना नहीं हो पा रही हैं। प्रधानमंत्री युसूफ रजा गिलानी को कल खराब मौसम के कारण अपने ग्यारी दौरे को टालना पड़ा है।
सेना का कहना है कि ग्यारी में बटालियन मुख्यालय जिस समय हिमस्खलन की चपेट में आया, उस समय वहां 138 लोग जिंदा दफन हो गए जिनमें 127 सैनिक तथा 11 असैन्य कर्मचारी हैं। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, April 11, 2012, 18:01