Last Updated: Wednesday, September 5, 2012, 18:48
लाहौर : ऐसे समय में जब पाकिस्तान आतंकवाद से त्रस्त है, उसका आधिकारिक शैक्षिक जगत स्कूली पाठ्यक्रम में हिंदुओं, ईसाइयों और सिखों के खिलाफ तथा जातीय घृणा फैलाने वाली सामग्री को शामिल करने पर रोक लगाने में अक्षम है।
गैर सरकारी संगठन नेशनल कमीशन फॉर जस्टिस एंड पीस ने कहा कि इस घृणा सामग्री में पंजाब और सिंध प्रांत के स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली पाठ्य पुस्तकें भी शामिल हैं जिनमें मुख्य रूप से जातीय अल्पसंख्यकों हिंदुओं, ईसाइयों, सिखों तथा भारत व पाश्चात्य देशों को निशाना बनाया गया है। एनजीओ ने एक वक्तव्य में कहा, ‘ताजा पाठ्य पुस्तकों में पिछली पाठ्य पुस्तकों की तुलना में अधिक घृणा सामग्री है।’ पंजाब और सिंध पाठ्य पुस्तक बोर्ड द्वारा प्रकाशित पुस्तकों की सामग्री का एनसीजेपी द्वारा किए गए विश्लेषण के अनुसार वक्त गुजरने के साथ घृणा फैलाने वाली सामग्री में कई गुना इजाफा हुआ है।
एनसीजेपी ने ‘एजुकेशन ऑफ फैनिंग हेट’ शीषर्क वाली अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘पंजाब और सिंध प्रांतों में अनेक पाठ्यपुस्तकों के पूर्व के संस्करणों में कोई घृणा सामग्री नहीं थी , लेकिन अब इस तरह की सामग्री है।’ रिपोर्ट में कहा गया है कि पंजाब प्रांत में साल 2009-11 के दौरान पुस्तकों में 45 लाइन घृणा सामग्री थी जबकि इस साल बढ़कर यह 122 लाइन हो गई। सातवीं, आठवीं, नवीं और दसवीं कक्षा की उर्दू और पाकिस्तान अध्ययन की पुस्तकें सर्वाधिक प्रभावित पाई गईं क्योंकि घृणा सामग्री 15 लाइन से बढ़कर 86 लाइन हो गई।
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के मौजूदा पाठ्यक्रम के सभी 22 अध्यायों में घृणा सामग्री है। अधिकार एवं समाज समूह अक्सर पाठ्य पुस्तकों में इस तरह की सामग्री को जातीय घृणा को बढ़ाने और भारत जैसे देश के प्रति शत्रुता फैलाने के लिए जिम्मेदार ठहराते रहे हैं। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, September 5, 2012, 16:55